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1 जुलाई की सुबह: क्या-क्या चल रहा है आज?

सुबह-सुबह चाय के साथ खबरों का मजा ही कुछ और होता है, है न? आज 1 जुलाई को देश-दुनिया में काफी कुछ हलचल है – राजनीति से लेकर बाजार तक, और फिर मौसम वालों ने तो हड़कंप मचा रखा है। हमने नवभारत टाइम्स Online के लिए सारी अहम खबरें छाँटकर आपके सामने रख दी हैं, ताकि आपका दिन शुरू हो पूरी जानकारी के साथ।

पूरा माजरा क्या है?

देखिए, किसान और सरकार वाली कहानी तो चल ही रही है – बातचीत का दौर आज फिर शुरू हो सकता है। वहीं एक तरफ रुपया गिर रहा है तो महंगाई चढ़ रही है… जैसे आम आदमी की जेब पर डाकू पड़े हों! और भईया, मॉनसून ने तो कुछ राज्यों में कमाल कर दिया है, पर कहीं-कहीं अभी भी पानी-पानी मचा है।

आज की बड़ी हेडलाइंस

किसान नेताओं और सरकार की आज फिर मुलाकात हो सकती है – शायद इस बार कोई हल निकले? शेयर बाजार आज मस्त चढ़ा हुआ है, लेकिन एक्सपर्ट्स की राय है कि जश्न मनाने से पहले थोड़ा सब्र कर लें। मौसम वालों ने दिल्ली-एनसीआर समेत कई इलाकों के लिए ‘भीगो धमाका’ वाली चेतावनी जारी कर दी है। और हाँ, यूक्रेन मामले में भारत की चाल पर पूरी दुनिया की नजर है।

कौन क्या बोला?

किसान नेता राकेश टिकैत का तो साफ कहना है – “या तो हमारी मांगें मानो, या फिर देखो आंदोलन का नया अंदाज!” वहीं इकोनॉमिस्ट डॉ. राजीव मेहता रुपये की गिरावट को लेकर चिंतित हैं – उनका कहना है सरकार को अभी कुछ करना होगा। और हाँ, मौसम विभाग वालों ने तो लोगों से कह दिया है – “अगले 24 घंटे छाता लेकर घूमो वर्ना…”

आगे क्या होगा?

अगले कुछ दिनों में किसान आंदोलन का रुख साफ हो सकता है (वैसे हम यही सुनते आ रहे हैं न?)। शेयर बाजार तो उछल-कूद करता ही रहेगा। और भईया, मॉनसून की मस्ती के चलते कुछ इलाकों में नावें निकल सकती हैं – प्रशासन ने तो पहले ही अलर्ट कर दिया है।

नवभारत टाइम्स Online आपको इन सभी मामलों पर ताज़ा अपडेट्स देता रहेगा। आज की यह मॉर्निंग ब्रीफिंग आपको पूरे दिन खबरों से जोड़े रखेगी। वैसे… अभी तक चाय तो पी ली आपने?

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SEO के बारे में वो सब कुछ जो आप जानना चाहते थे (पर पूछने में हिचक रहे थे!)

SEO है क्या बला, और हमें इसकी परवाह क्यों करनी चाहिए?

तो बात ये है कि SEO यानी Search Engine Optimization… वो जादू की छड़ी नहीं, लेकिन काम की चीज़ ज़रूर है। सीधे शब्दों में कहें तो, ये वो तरीके हैं जिनसे आपकी website Google की नज़रों में ‘अच्छी लड़की’ बन जाती है। और भई, अच्छी रैंकिंग का मतलब? ज़्यादा लोग, ज़्यादा क्लिक्स, और हो सकता है आपका business भी थोड़ा खुशहाल हो जाए। सच कहूँ तो आजकल online में टिके रहने के लिए ये उतना ही ज़रूरी है जितना चाय में चीनी!

Paid tools के बिना काम चलेगा? (जेब पर ज़ोर डालने से पहले पढ़ लें)

असल में, मेरा पर्सनल एक्सपीरियंस कहता है – बिल्कुल चलेगा! Google Search Console और Analytics जैसे फ्री टूल्स तो हैं ही हमारे भगवान। लेकिन… हमेशा एक लेकिन होता है न? अगर आपको डीप में जाना है तो Ahrefs या SEMrush जैसे paid tools आपकी जान बचा सकते हैं। पर नए लोगों के लिए? फ्री वर्जन ही काफी है। एकदम सच्ची बात!

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देखिए, इसे ऐसे समझिए – On-Page SEO वो है जब आप अपनी website को अंदर से सजाते-संवारते हैं (content, meta tags, images वगैरह)। और Off-Page? वो तब जब आप बाहर जाकर लोगों को बताते हैं कि “अरे, मेरी website भी तो देखो!” (backlinks, social media वाली बातें)। सच तो ये है कि ये दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। जैसे समोसे बिना चटनी!

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ईमानदारी से? बिल्कुल नहीं। अगर कोई आपसे ये दावा करे तो समझ जाइए कि वो या तो भगवान हैं या… खैर, आप समझदार हैं। SEO तो वैसा ही है जैसे पौधे को पालना – 2-3 महीने में थोड़ी हरियाली दिखेगी, लेकिन असली फल तो 6-12 महीने में मिलेंगे। और हाँ, शॉर्टकट की कोशिश में Google की डांट भी खानी पड़ सकती है। धैर्य रखिए, यार!

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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