2025 में जुलाई महीने की भारी गिरावट: 16 लाख करोड़ डूबे, क्या है पूरा मामला?
अरे भाई, जुलाई 2025 का महीना तो भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में एक ऐसा दर्दनाक अध्याय बन गया जिसे भुलाना मुश्किल होगा। सच कहूं तो, ये वो महीना था जब निवेशकों की नींद हराम हो गई। बाजार ने ऐसी ऐतिहासिक गिरावट दिखाई कि लगभग 16 लाख करोड़ रुपये तो बस हवा हो गए! है ना चौंकाने वाली बात? और तो और, वैश्विक स्तर पर Top-10 Economies में भारत का प्रदर्शन सबसे फिसड्डी रहा। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा हुआ क्यों? चलिए, बात करते हैं इस पूरे ड्रामे की।
मामले की पृष्ठभूमि: कहां से शुरू हुई मुसीबत?
देखिए ना, पिछले कुछ सालों में तो हमारा शेयर बाजार बुल रन पर था – ऐसा लग रहा था जैसे उसे रोकने वाला कोई नहीं। FIIs और DIIs दोनों की मेहरबानी से बाजार नए-नए रिकॉर्ड बना रहा था। लेकिन… हमेशा एक लेकिन होता है ना? 2025 की दूसरी तिमाही से ही बाजार में कुछ अजीब सी खलबली शुरू हो गई थी। महंगाई दर बढ़ रही थी, ब्याज दरें ऊपर जा रही थीं, और वैश्विक मंदी का डर सबको सता रहा था। जुलाई आते-आते तो Sell-Off और Profit Booking का ऐसा तांडव शुरू हुआ कि बाजार को लगातार नीचे धकेल दिया। सच बताऊं? ये गिरावट इतनी भयानक थी कि जुलाई का पूरा महीना निवेशकों के लिए किसी डरावनी फिल्म से कम नहीं रहा।
मुख्य अपडेट: क्या-क्या हुआ? (और कितना बुरा हुआ?)
भईया, जुलाई 2025 में जो हुआ वो तो किसी को भी सन्न कर देने वाला था। Sensex और Nifty दोनों ही लुढ़कते चले गए – Sensex में 15% और Nifty में 14.5% की गिरावट! ये 2020 के COVID Crash के बाद की सबसे बड़ी मासिक गिरावट थी। FIIs ने तो जुलाई में ही 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेच डाले – ऐसा लगा जैसे उन्होंने भारत से हाथ ही खींच लिए। बड़ी कंपनियां? उनका भी बुरा हाल था – Reliance, Tata Group, HDFC Bank और Infosys जैसे दिग्गजों के शेयर 20-30% तक लुढ़के। और हैरानी की बात ये कि अमेरिका, चीन जैसे बाजारों में तो स्थिरता थी, लेकिन हमारा भारत सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों में शामिल रहा। क्या बात है ना?
प्रतिक्रियाएं: क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ? (और कौन क्या बोल रहा है?)
इस भीषण गिरावट के बाद तो हर कोई अपनी-अपनी राय दे रहा है। RBI के पूर्व गवर्नर का कहना है कि “ये गिरावट अस्थायी है, लेकिन सरकार और RBI को मुद्रास्फीति और ब्याज दरों पर काबू पाना होगा।” वहीं Market Analysts का मानना है कि “निवेशकों ने जोखिम से बचने के लिए मुनाफावसूली की, लेकिन आने वाले महीनों में सुधार की गुंजाइश है।” छोटे निवेशक तो बिल्कुल परेशान हैं, जबकि बड़ी Fund Houses इसे “Market Correction” बता रही हैं। सच तो ये है कि हर कोई अपने-अपने नजरिए से चीजों को देख रहा है।
आगे क्या होगा? (और आपको क्या करना चाहिए?)
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आगे का खेल कैसा होगा? क्या बाजार संभलेगा या ये गिरावट जारी रहेगी? देखिए, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार और RBI सही कदम उठाएं, तो बाजार में स्थिरता लौट सकती है। पर एक दिक्कत ये भी है कि वैश्विक आर्थिक हालात और Geopolitical Tensions भी हमारे बाजार को प्रभावित कर सकते हैं। मेरी निजी राय? अगर आप Long-Term Investor हैं, तो Short-Term Fluctuations से घबराने की जरूरत नहीं। लेकिन अगर आप Short-Term में पैसा बनाने की सोच रहे हैं, तो थोड़ा सावधान रहिएगा। क्योंकि बाजार अभी पूरी तरह से शांत नहीं हुआ है।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com