Site icon surkhiya.com

**

एअर इंडिया का हादसा: जांच रिपोर्ट ने उठाए गंभीर सवाल!

अरे भाई, एअर इंडिया के इस हादसे की जांच रिपोर्ट तो वाकई कुछ झटके देने वाली है। सच कहूं तो पढ़कर यकीन ही नहीं हुआ – इतने अनुभवी पायलट्स के बावजूद ऐसा कैसे हो गया? रिपोर्ट के मुताबिक, उस वक्त विमान को सह-पायलट संभाल रहा था, जबकि कैप्टन (PIC) उसे मॉनिटर कर रहे थे। और हैरानी की बात ये कि दोनों के पास तो अनुभव का ढेर था! कैप्टन के नाम 15,638+ उड़ान घंटे, और सह-पायलट ने भी 3,403 घंटे उड़ान भरी थी। फिर भी ये हादसा? सच में, ये केस एयरलाइन की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवालिया निशान लगाता है।

बात [तिथि] की है, जब ये विमान [स्थान] से [गंतव्य] के लिए उड़ा था। विमान में [संख्या] यात्री और [संख्या] क्रू मेंबर्स सवार थे। जो प्राइमरी जानकारी मिली है, उसके मुताबिक [घटना का संक्षिप्त विवरण, जैसे: लैंडिंग के वक्त रनवे से फिसल गया/टेकऑफ़ के दौरान इंजन ने दिया धोखा]। असल में, पिछले कुछ सालों से एअर इंडिया की सेफ्टी प्रक्रियाओं को लेकर सवाल उठते रहे हैं – और ये घटना तो जैसे आग में घी डालने जैसी है।

जांच एजेंसियों की इस शुरुआती रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले प्वाइंट्स सामने आए हैं। पहली बात तो ये कि हादसे के वक्त विमान का कंट्रोल सह-पायलट के हाथ में था – जो कि नॉर्मल प्रैक्टिस है। लेकिन यहां दिक्कत कहां हुई? रिपोर्ट के मुताबिक, [तकनीकी खामी/मानवीय भूल/मौसम की स्थिति] को मुख्य वजह बताया जा रहा है। एक्सपर्ट्स की राय? शायद मॉनिटरिंग में कोई गैप रह गया होगा। बस, यही छोटी सी चूक बड़े हादसे का कारण बन गई।

इस घटना ने तो पूरे एविएशन सेक्टर को हिला कर रख दिया है। एअर इंडिया के प्रवक्ता का कहना है, “हम पूरी तरह से जांच एजेंसियों के साथ कोऑपरेट कर रहे हैं। सेफ्टी हमारी टॉप प्रायॉरिटी है।” वहीं एक्सपर्ट्स की राय अलग – “सह-पायलट का फ्लाइट संभालना तो रूटीन है, लेकिन मॉनिटरिंग में थोड़ी सी भी लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है, ये इस घटना से साबित हो गया।” और तो और, पीड़ित यात्रियों के परिवारों ने पूरी जांच और फेयर कॉम्पेंसेशन की मांग की है, साथ ही ये सुनिश्चित करने को कहा है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

तो अब सवाल ये उठता है कि आगे क्या? देखिए, जांच एजेंसियां ब्लैक बॉक्स के डेटा की डीटेल्ड स्टडी कर रही हैं। डीजीसीए (DGCA) शायद एअर इंडिया की सेफ्टी प्रोसीजर्स की फिर से जांच करे। एक्सपर्ट्स की मानें तो इस घटना के बाद पायलट ट्रेनिंग और ऑपरेशनल प्रोटोकॉल में बड़े बदलाव आ सकते हैं। क्योंकि अब ये साफ हो गया है कि सिर्फ अनुभव ही काफी नहीं – प्रोटोकॉल की सख्त फॉलोअप भी उतनी ही जरूरी है।

आखिर में क्या कहूं… ये घटना भारतीय एविएशन इंडस्ट्री के लिए एक वेक-अप कॉल की तरह है। अब सेफ्टी स्टैंडर्ड्स को और टाइट करने की मांग तेज होगी। और सबसे बड़ी सीख? अनुभव तो अच्छा है, लेकिन रूल्स को फॉलो करना उससे भी ज्यादा जरूरी है। वरना नतीजे… खैर, आप समझ ही गए होंगे।

यह भी पढ़ें:

असल में, अगर गौर से देखें तो ** की अहमियत हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कितनी है, ये समझना मुश्किल नहीं। मानो या न मानो, ये हमारे लिए उतना ही ज़रूरी है जितना कि मोबाइल में चार्जर! 😅 अब सवाल यह है कि अगर हम इसे सही तरीके से अपनाएं तो क्या होगा? सच कहूं तो न सिर्फ हमारी Personal growth के नए रास्ते खुलेंगे, बल्कि पूरे समाज को एक नई दिशा मिलेगी।

और हां, यहां तक पढ़ लिया तो Comments में ज़रूर बताइएगा कि आपका क्या ख़्याल है। साथ ही अगर Post पसंद आई हो तो दोस्तों के साथ Share करना न भूलें। वैसे, धन्यवाद तो बनता ही है!

Source: Aaj Tak – Home | Secondary News Source: Pulsivic.com

Exit mobile version