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शुभांशु शुक्ला: जब एक भारतीय ने अंतरिक्ष में बढ़ाया कदम!

26 जून 2024 की वो सुबह… जब भारतीय मूल के शुभांशु शुक्ला ने सचमुच इतिहास लिख दिया। सोचिए, Axiom Mission 4 के तहत पूरे 28 घंटे की वो रोमांचक यात्रा, और फिर International Space Station (ISS) में कदम रखने का वो पल! है न गर्व की बात? अब तक केवल 634 लोग ही ये मुकाम हासिल कर पाए हैं, और उनमें से एक अब हमारे शुभांशु जी हैं। भारत ही क्यों, पूरी दुनिया के space enthusiasts के लिए ये खुशी का पल है।

पर इस मिशन की कहानी तो कुछ दिन पहले, 25 जून से शुरू होती है। फ्लोरिडा के Kennedy Space Center से SpaceX के Falcon 9 रॉकेट ने जोरदार धमाके के साथ उड़ान भरी। और साथ में थे हमारे शुभांशु – जो NASA और ISRO के साथ काम कर चुके हैं। यानी experience की कोई कमी नहीं! असल में ये पूरा मिशन private sector की ताकत दिखाता है। Commercial Spaceflight की दुनिया में ये एक बड़ी छलांग है… शायद आने वाले दिनों में space tourism के नए दरवाज़े खोल दे।

तो क्या हुआ इन 28 घंटों में? देखिए, स्पेसक्राफ्ट लॉन्च तो 25 को हुआ, लेकिन असली मज़ा तो 26 को आया जब ये ISS से डॉक हुआ। शुभांशु अकेले नहीं थे – उनके साथ तीन और astronauts थे, अलग-अलग देशों से। पूरा मिशन scientific experiments और microgravity research पर फोकस्ड था। मतलब साफ है – आने वाले समय में space exploration को ये research नई दिशा देगी।

और प्रतिक्रियाएं? बिल्कुल ज़बरदस्त! ISRO ने इसे “भारत के लिए गर्व का क्षण” बताया। NASA की बात करें तो उन्होंने private sector की बढ़ती ताकत को रेखांकित किया। पर सबसे मार्मिक तो शुभांशु का वो पहला संदेश था: “ये मेरे लिए सपने सच होने जैसा है… और मैं सभी युवाओं से कहना चाहता हूँ – impossible शब्द खुद में impossible है!” सच कहूँ तो, ये शब्द लाखों भारतीयों के दिलों में उम्मीद की चिंगारी जगा गए।

अब आगे क्या? अगले दो हफ़्ते तक ISS पर रहेंगे हमारे वैज्ञानिक। वहाँ होगी cutting-edge research… वो भी zero gravity में! इस मिशन का असल impact तो भविष्य में दिखेगा – जब commercial space travel और space tourism नई ऊँचाइयाँ छुएगा। और हमारे Gaganyaan मिशन के लिए? ये तो जैसे प्रेरणा का पावरबैंक साबित होगा!

सच कहूँ तो, शुभांशु की ये उड़ान सिर्फ़ एक achievement नहीं… ये तो उन सभी सपनों को पंख देती है जो सितारों को छूना चाहते हैं। विज्ञान की कोई सीमा नहीं, बस जज़्बा चाहिए। और आज… ये जज़्बा एक भारतीय ने साबित कर दिखाया है। आने वाली पीढ़ियाँ जब भी अंतरिक्ष की बात करेंगी, शुभांशु शुक्ला का नाम ज़रूर याद करेंगी। क्योंकि ये सफर सिर्फ़ उनका नहीं… पूरे भारत का सपना था जो सच हुआ!

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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