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बिहार में 1 जुलाई से संपत्ति रजिस्ट्री पर ‘खुफिया ऑपरेशन’! ये 4 नए नियम बदल देंगे गेम, जानें पूरी डिटेल

बिहार में 1 जुलाई से संपत्ति रजिस्ट्री पर ‘खुफिया ऑपरेशन’! ये 4 नए नियम गेम बदल देंगे

अरे भई, बिहार सरकार ने तो संपत्ति रजिस्ट्री के मामले में बड़ा धमाका कर दिया है! 1 जुलाई 2025 से चार नए नियम लागू होने वाले हैं जो पूरी प्रक्रिया को ही बदलकर रख देंगे। असल में, ये सारे बदलाव एक ही मकसद से किए गए हैं – संपत्ति के झमेलों में होने वाली धोखाधड़ी पर लगाम लगाना। और सच कहूं तो, ये समय की जरूरत भी थी। अब आपको आधार बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन से लेकर डिजिटल दस्तावेज अपलोड तक सब कुछ मिलेगा। सब कुछ online! क्या बात है न?

देखिए, पिछले कुछ सालों में बिहार में संपत्ति के नाम पर फर्जीवाड़े आसमान छू रहे थे। किसी की जमीन पर अवैध कब्जा हो जाता, कोई जाली कागजात बना लेता…और गरीब आदमी को पता भी नहीं चलता कि उसकी जमीन कब किसी और के नाम हो गई। सरकार का राजस्व भी इससे प्रभावित हो रहा था। तो अब सरकार ने इस पर कार्रवाई की है। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये नए नियम वाकई काम कर पाएंगे?

अच्छा, तो क्या-क्या बदल रहा है?

पहली और सबसे बड़ी बात – आधार बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन। अब कोई भी शख्स अपनी उंगलियों के निशान या आंखों के स्कैन के बिना संपत्ति का सौदा नहीं कर पाएगा। मतलब साफ है – अब कोई दूसरे के नाम पर सौदा नहीं कर पाएगा। दूसरा बड़ा बदलाव? डिजिटल दस्तावेज अपलोड। अब सारे कागजात online ही जमा करने होंगे। कागजों में हेराफेरी की गुंजाइश कम हो जाएगी। स्मार्ट, है न?

तीसरी चीज जो बदल रही है वो है ऑनलाइन भुगतान। अब रजिस्ट्री के पैसे UPI, नेट बैंकिंग या किसी और डिजिटल तरीके से ही देने होंगे। नकद? बिल्कुल नहीं! और चौथा नियम तो और भी दिलचस्प है – डिजिटल रजिस्ट्री कॉपी सीधे आपके मोबाइल या ईमेल पर आ जाएगी। अब न तो कागज खोने का डर, न ही नकली कॉपी बनाने का झंझट। एकदम जबरदस्त!

लोग क्या कह रहे हैं इस बारे में?

सरकारी अधिकारियों का तो कहना है कि ये नियम पारदर्शिता लाएंगे और भ्रष्टाचार घटेगा। लेकिन आम लोगों की राय थोड़ी मिली-जुली है। शहरों में लोग खुश हैं, पर गांवों में लोगों को डर है कि ये डिजिटल सिस्टम उनके लिए मुश्किल होगा। वकीलों और दलालों का एक हिस्सा कह रहा है कि शुरुआत में काम धीमा हो सकता है। पर लंबे समय में ये अच्छा ही होगा। सच कहूं तो, हर बदलाव के साथ ऐसी ही आशंकाएं आती हैं।

आगे क्या होगा?

अगर ये नियम ठीक से लागू हो गए तो संपत्ति के सौदे ज्यादा पारदर्शी हो जाएंगे। कानूनी झगड़े कम होंगे। सरकार को भी ज्यादा राजस्व मिलेगा। लेकिन एक बड़ी चुनौती है – गांवों में इंटरनेट की कम पहुंच और लोगों की तकनीकी समझ की कमी। सरकार को इस पर खास ध्यान देना होगा। वरना ये अच्छी योजना भी गांवों तक नहीं पहुंच पाएगी।

अंत में बस इतना कहूंगा – बिहार सरकार ने संपत्ति रजिस्ट्री को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक सराहनीय कदम उठाया है। लेकिन असली परीक्षा तो अब है – इन नियमों को जमीन पर कैसे उतारा जाता है। और सबसे बड़ी बात – आम आदमी को इसका कितना फायदा मिलता है। वक्त ही बताएगा। आपको क्या लगता है, ये नियम काम कर पाएंगे?

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बिहार में 1 जुलाई से संपत्ति रजिस्ट्री के नए नियम लागू होने वाले हैं, और सच कहूं तो ये बदलाव किसी ‘गेम-चेंजर’ से कम नहीं! अब सवाल यह है कि क्या आप इन्हें नज़रअंदाज़ करने का जोखिम उठा सकते हैं? मेरे हिसाब से तो बिल्कुल नहीं। खासकर अगर आप property खरीदने-बेचने की सोच रहे हैं।

एक तरफ तो ये नियम चीजों को और transparent बनाएंगे, लेकिन दूसरी तरफ थोड़ी जटिलता भी बढ़ा सकते हैं। मान लीजिए, आपने बिना जानकारी के deal कर लिया और बाद में पता चला कि कागजात में कोई खामी है – अब ये मुसीबत से कम नहीं होगा, है न?

इसलिए मेरी सलाह? थोड़ा समय निकालिए और इन चार नए नियमों को गहराई से समझ लीजिए। वैसे भी, property जैसे बड़े फैसले में सतर्कता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। और हां, किसी expert की राय लेने में कभी हर्ज़ नहीं। क्या कहते हैं आप?

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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