H1-B वीजा न मिले तो क्या करें? O-1 वीजा भारतीयों के लिए नया गेम-चेंजर!
अमेरिका में काम करने का सपना देखने वाले भारतीयों के लिए H1-B वीजा अब एक लॉटरी जैसा हो गया है – पूरी तरह लक के भरोसे। साल दर साल लाखों आवेदन, और सिर्फ 85,000 लकी विजेता। है न मजेदार बात? 65,000 रेगुलर कोटा और 20,000 मास्टर्स वालों के लिए… पर असल में, ये नंबर्स तो बस एक भ्रम हैं। तो फिर विकल्प क्या है? दोस्तों, मैं बात कर रहा हूँ O-1 वीजा की – जो शायद आपके लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। ये उन लोगों के लिए है जिन्होंने अपने फील्ड में कुछ ‘extraordinary ability’ दिखाई हो। पर सवाल यह है कि ‘extraordinary’ का मतलब क्या?
H1-B की लॉटरी से तंग आकर लोग क्यों भाग रहे हैं O-1 की तरफ?
सच कहूँ तो, H1-B वीजा अब एक सस्ती लॉटरी टिकट जैसा लगता है। आप योग्य हैं, कंपनी सपोर्ट कर रही है, फिर भी… छूट गया! और फिर? पूरा करियर प्लान धरा का धरा रह जाता है। लेकिन अब अमेरिकी कंपनियों को भी समझ आया है – वे O-1 वीजा को तरजीह देने लगी हैं। ये वीजा उनके लिए है जिनके पास:
• रिसर्च पेपर्स हों
• पेटेंट्स हों
• कोई नेशनल/इंटरनेशनल अवॉर्ड मिला हो
• या फिर मीडिया में उनका जिक्र आया हो
पर सच्चाई ये है कि ये सब criteria इतने सख्त नहीं हैं जितना लगता है। मैंने ऐसे कई केस देखे हैं जहां ब्लॉग लिखना या फ्रीलांस प्रोजेक्ट्स भी काम आ गए!
O-1 वीजा की डिमांड अचानक क्यों बढ़ी? असली वजह जानकर चौंक जाएंगे!
एक दिलचस्प आँकड़ा: पिछले दो साल में भारतीयों के O-1 वीजा आवेदन 40% बढ़े हैं। और ये ट्रेंड सिर्फ टेक सेक्टर तक सीमित नहीं है। स्टार्टअप फाउंडर्स, यूट्यूबर्स, डिजाइनर्स – सब इसका फायदा उठा रहे हैं। सिलिकॉन वैली के एक HR मैनेजर ने मुझे बताया: “H1-B की अनिश्चितता से बचने के लिए हम O-1 को प्राइऑरिटी देते हैं। ये फास्ट ट्रैक है टॉप टैलेंट के लिए।”
पर एक कड़वा सच ये भी है – ये रास्ता हर किसी के लिए नहीं। बेंगलुरु के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की कहानी सुनिए: “मेरा H1-B तीन बार रिजेक्ट हुआ, पर मेरे 5 पेटेंट्स ने O-1 को सिर्फ 6 महीने में अप्रूव करवा दिया।” इमिग्रेशन लॉयर प्रीति शर्मा सही कहती हैं: “O-1 वीजा कोई शॉर्टकट नहीं है। आपको साबित करना होगा कि आप अपने फील्ड में टॉप पर हैं।”
भविष्य में क्या होगा? मेरी 2 पैसे की राय…
मेरा पर्सनल अनुमान? H1-B की अनिश्चितता बढ़ेगी, और O-1 की डिमांड भी। लेकिन यहाँ एक पेंच है – ये वीजा सिर्फ एक खास तबके के लिए ही रहेगा। टेक्नोलॉजी, रिसर्च, क्रिएटिव फील्ड्स… यहाँ तो ये ट्रेंड चलता रहेगा। पर औसत भारतीय प्रोफेशनल के लिए? H1-B अभी भी मेन रूट है।
आखिरी बात: O-1 वीजा भारत के असाधारण टैलेंट के लिए अमेरिका का दरवाज़ा खोल रहा है। पर याद रखिए – ये दरवाज़ा सभी के लिए नहीं है। तो सवाल ये है: क्या आप इसके लिए तैयार हैं?
H1-B वीजा न मिले तो USA जाने के नए रास्ते – सारे सवालों के जवाब
H1-B का विकल्प ढूंढ रहे हैं? ये हैं कुछ दिलचस्प options
अरे भाई, H1-B का लॉटरी सिस्टम तो जैसे सिरदर्द बन चुका है न? लेकिन घबराइए मत, कई और रास्ते हैं USA पहुंचने के। देखिए न – EB-5 इन्वेस्टर वीजा (हां, थोड़ा महंगा जरूर है), L1 वीजा अगर आपकी कंपनी मदद करे, या फिर O-1 वीजा अगर आप किसी फील्ड के रॉकस्टार हों। सच कहूं तो इन दिनों EB-5 वीजा काफी चर्चा में है, पर क्या यह सच में आपके लिए सही है? चलिए समझते हैं…
EB-5 वीजा के लिए क्या-क्या चाहिए? जानिए असली शर्तें
सुनिए, EB-5 तो बड़े खिलाड़ियों का गेम है। पहली बात – कम से कम $800,000 अमेरिका में लगाने होंगे (और हां, यह रकम बदलती रहती है)। दूसरी शर्त – कम से कम 10 अमेरिकियों को नौकरी देनी होगी। और सबसे अहम बात? आपको यह साबित करना होगा कि यह पैसा कहां से आया। बिना प्रूफ के तो बात बनने वाली नहीं!
EB-5 से मिलेगा ग्रीन कार्ड? सच्चाई जान लीजिए
असल में हां, पर इतना आसान भी नहीं। पहले आपको 2 साल का conditional ग्रीन कार्ड मिलता है – यानी ट्रायल पीरियड। अगर इन 2 साल में आपने सारे नियम पूरे किए, investment बरकरार रखा और 10 नौकरियां बनाईं, तभी मिलेगा permanent ग्रीन कार्ड। नहीं तो? वापसी का टिकट!
EB-5 वीजा की प्रोसेसिंग: कितना लगेगा वक्त?
ईमानदारी से कहूं तो यह कोई एक्सप्रेस सर्विस नहीं। औसतन 2-3 साल तो लग ही जाते हैं। USCIS की फाइलों के ढेर और आपके केस की जटिलता पर भी निर्भर करता है। और हां, यहां कोई premium processing वाला शॉर्टकट नहीं। सब्र रखिए, अमेरिका का सपना देर से ही सही, पूरा तो होगा!
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com