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सूखे मौसम ने बढ़ाई ब्रिटेन में खाद्य महंगाई, फसलों को भारी नुकसान

ब्रिटेन में सूखा: क्यों आसमान से ज्यादा आग supermarket के बिलों में लग रही है?

अभी तक तो हम सोचते थे कि ब्रिटेन में बारिश ही बारिश होती है, लेकिन इस बार मौसम ने पूरा उल्टा खेल दिखाया है। सच कहूँ तो, British Retail Consortium (BRC) के आंकड़े देखकर तो लगता है कि supermarket के बिलों में आग लगी हुई है – जून 2024 में खाने-पीने की चीजों के दाम 6.8% तक उछल गए! और ये साल का सबसे बड़ा उछाल है। असल में समस्या ये है कि बारिश ने जैसे ब्रिटेन को ही भुला दिया है। किसानों की हालत तो देखो – खेत सूखे, फसलें झुलसी हुई, और हमारी थाली महंगी होती जा रही।

सोचो जरा, पिछले कितने महीनों से बारिश का नामोनिशान नहीं। गेहूं, आलू, सब्जियाँ – सबकी पैदावार लगातार गिर रही है। और हैरानी की बात ये कि सिर्फ ब्रिटेन ही नहीं, पूरा यूरोप इसी आग में झुलस रहा है। सरकार ने किसानों के लिए emergency package तो घोषित कर दिया, पर लगता है मौसम को किसी की सुनने की फुर्सत ही नहीं।

BRC की रिपोर्ट तो और भी डरावनी है – सब्जियाँ, dairy products और bakery items के दाम आसमान छू रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों की चेतावनी सुनकर तो लगता है अभी सबसे बुरा आना बाकी है। अगर जुलाई-अगस्त में भी बारिश न हुई तो? बड़े-बड़े supermarkets तो पहले ही चेतावनी दे चुके हैं – “तैयार रहिए, दाम और बढ़ने वाले हैं!”

British Farmers Union के प्रवक्ता की बात सुनिए: “हालात वाकई गंभीर हैं। सरकार को अभी और financial support देना होगा।” वहीं consumer rights groups की मांग है कि खाने-पीने की चीजों पर VAT कम किया जाए। Finance ministry वालों का जवाब? “हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।” यानी आम आदमी की तरह वे भी बारिश का इंतज़ार कर रहे हैं!

मौसम विभाग का पूर्वानुमान और भी निराशाजनक है – अगले दो हफ्ते भी बारिश के आसार नहीं। अर्थशास्त्रियों की चिंता ये है कि अगर ये संकट लंबा खिंचा तो inflation और भी भयंकर रूप ले लेगा। सरकार अब नई irrigation schemes पर विचार कर रही है, पर सवाल ये है कि क्या ये सब भविष्य के लिए तो ठीक है, लेकिन आज की जलती हुई समस्या का क्या?

सच तो ये है कि ये सूखा अब सिर्फ किसानों की समस्या नहीं रहा। हर घर की थाली महंगी हो रही है, हर consumer का बजट बिगड़ रहा है। सरकार, किसान, आम जनता – सबकी निगाहें आसमान की ओर टिकी हैं। पर अफसोस, बादलों को अभी कोई जल्दी नहीं है। क्या आपको भी लगता है कि अब हमें climate change को गंभीरता से लेना शुरू कर देना चाहिए?

यह भी पढ़ें:

सूखा और ब्रिटेन में खाने के दाम आसमान पर – आपके सवाल, हमारे जवाब

1. सूखे ने ब्रिटेन की फसलों को कितना नुकसान पहुंचाया?

देखिए, ब्रिटेन में पिछले कुछ महीनों से बारिश का नामोनिशान नहीं। ऐसे में किसान भाइयों की क्या हालत हुई होगी, आप समझ सकते हैं। गेहूं? कम। सब्जियां? और भी कम। असल में, पानी नहीं तो फसल कहां से होगी? और जब फसल ही नहीं, तो supermarket तक सामान पहुंचाने वाली supply chain पर भी असर तो पड़ेगा ही। सीधी सी बात है न?

2. खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान पर क्यों?

अरे भई, सवाल तो जायज है! सोचिए – दुकान पर सामान कम, और ग्राहक ज्यादा। तो दुकानदार क्या करेगा? दाम बढ़ाएगा न! यही economics का बेसिक rule है। ऊपर से पेट्रोल-डीजल के दाम भी तो बढ़े हुए हैं, जिससे transport महंगा हुआ। और हां, storage का खर्चा भी अलग से। सब मिलाकर आपके kitchen budget पर दबाव तो बनेगा ही।

3. क्या यह मुसीबत सिर्फ ब्रिटेन वालों की है?

नहीं यार, बिल्कुल नहीं! पूरा यूरोप इस बार गर्मी और सूखे से जूझ रहा है। फ्रांस, स्पेन – सबकी हालत खराब। अब ब्रिटेन को बाहर से सामान मंगाना पड़ रहा है। और जब international market में demand बढ़ेगी, तो prices तो बढ़ेंगे ही न? यह तो वैसा ही है जैसे त्योहारों के समय हमारे यहां प्याज के दाम बढ़ जाते हैं।

4. इसका कोई हल निकाला जा रहा है या नहीं?

हल तो ढूंढ ही रहे हैं! सरकार और किसान मिलकर नए तरीके आजमा रहे हैं। जैसे कम पानी वाली फसलें उगाना, सिंचाई के बेहतर तरीके। पर ये सब तुरंत असर दिखाने वाले उपाय नहीं हैं। फिलहाल तो हम सबको food waste कम करने पर ध्यान देना होगा। वैसे भी, बर्बादी तो बुरी बात है न?

एक बात और – अगर आपको लगता है कि यह समस्या सिर्फ ब्रिटेन की है, तो जरा global warming के बारे में सोचिए। खैर, यह बहस फिर कभी।

Source: Financial Times – Global Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com

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