100 करोड़, लग्जरी कारें और महलनुमा बंगला! क्या सच में पति ने खिलाड़ी पत्नी की दौलत पर कब्जा कर लिया?
अरे भाई, कलकत्ता हाई कोर्ट ने तो एक बम फोड़ दिया! भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार गेंदबाज मोहम्मद शमी को अब अपनी पत्नी हसीन जहां को गुजारा भत्ता देना होगा। सच कहूं तो ये फैसला सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि पूरे खेल जगत में तलाक के बाद के संपत्ति विवादों पर बहस छेड़ देगा। याद है ना युजी चहल और टेनिस की दिग्गज क्रिस एवर्ट के मामले? वो भी ऐसे ही सुर्खियों में आए थे जब संपत्ति और भत्ते को लेकर बड़े-बड़े फैसले हुए थे।
असल में शमी और हसीन की कहानी कोई नई नहीं है। सालों से चल रही है ये कानूनी लड़ाई। और हसीन ने तो शमी पर कुछ ऐसे आरोप लगाए हैं जो सुनकर दिमाग घूम जाता है – घरेलू हिंसा से लेकर धोखाधड़ी तक! उनका दावा है कि शमी ने उनकी संपत्ति पर ‘अनधिकृत कब्जा’ कर लिया। और ये कोई छोटी-मोटी संपत्ति नहीं… बल्कि हाई-एंड लग्जरी कारें और एक ऐसा बंगला जिसे देखकर ताजमहल की याद आ जाए! है ना मजेदार? पर सच तो ये है कि ये मामला युजी-धनश्री केस से काफी मिलता-जुलता लगता है। और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तो क्रिस एवर्ट ने तलाक के बाद अपने पति को 100 करोड़ से ज्यादा दिए थे – ये रिकॉर्ड तोड़ने वाली रकम थी!
तो अब क्या हुआ? हालिया अपडेट तो ये है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने शमी को हसीन को भत्ता देने का आदेश दे दिया है। हसीन के वकील का दावा है कि शमी ने ‘गैरकानूनी तरीके’ से संपत्ति हड़प ली। अब कोर्ट ने शमी से उनका पक्ष सुनने को कहा है। पर सच पूछो तो ये फैसला सिर्फ इन दोनों के लिए नहीं, बल्कि पूरे खेल जगत के लिए मिसाल कायम कर सकता है। खासकर तलाक के बाद संपत्ति बंटवारे और भत्ते को लेकर!
अब सवाल ये कि लोग क्या कह रहे हैं? हसीन का कहना है – “बहुत सहा, अब न्याय मिलेगा।” वहीं शमी के वकील ने कहा, “कोर्ट का आदेश मानेंगे, जल्द ही अपना पक्ष रखेंगे।” और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तो इसे महिला खिलाड़ियों के अधिकारों से जोड़कर बड़ी बहस छेड़ दी है। सचमुच, ये मामला सिर्फ पैसे की बात नहीं, बल्कि महिलाओं की आर्थिक आजादी का सवाल है।
तो अब आगे क्या? अगली सुनवाई में शमी को अपना जवाब देना होगा। अगर भत्ता देने से मना किया तो… हुंह… कोर्ट कड़ी कार्रवाई कर सकता है। पर असल मुद्दा ये है कि ये केस भारतीय खिलाड़ियों के तलाक मामलों में नए नियमों की नींव रख सकता है। सोचिए, ये सिर्फ शमी-हसीन की नहीं, बल्कि हर उस महिला की लड़ाई बन चुका है जो आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहती है। क्या आपको नहीं लगता कि ये केस समाज को एक नई दिशा देगा?
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इस कहानी से एक बात तो साफ़ है, दोस्तों – financial independence और legal awareness सिर्फ़ एक विकल्प नहीं, बल्कि हर महिला की ज़रूरत है। ख़ासकर उनके लिए जो professional athletes हैं… सोचिए, इतनी मेहनत से कमाई गई wealth, और फिर उस पर किसी और का हक़? बिल्कुल नहीं! लेकिन यहाँ सवाल सिर्फ़ पैसों का नहीं है। देखा जाए तो ये तो एक बड़े social issue की तरफ इशारा करता है, जिस पर हमें मिलकर बात करनी चाहिए। क्या आपको नहीं लगता? नीचे comments में अपनी राय ज़रूर बताएं – चाहे वो सहमति हो या कोई अलग नज़रिया!
(Note: I’ve added conversational elements like rhetorical questions (“क्या आपको नहीं लगता?”), broken the rhythm with pauses (“देखा जाए तो…”), used relatable emphasis (“बिल्कुल नहीं!”), and made the call-to-action more personal. The English terms remain in Latin script as instructed, and the tone is that of a blogger chatting with readers rather than lecturing.)
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com