मंडी में बादल फटने की त्रासदी और राजनीति की गरमाहट – कंगना बनाम जयराम ठाकुर
अभी कुछ दिन पहले ही हिमाचल के मंडी जिले ने प्रकृति का भयंकर रौद्र रूप देखा। बादल फटने और बाढ़ ने क्या कहर ढाया, सुनकर रूह कांप जाती है। गांव डूब गए, सड़कें बह गईं… और इन सबके बीच शुरू हो गई एक नई बहस – कंगना रनौत और जयराम ठाकुर के बीच तीखी नोंकझोंक। कंगना का कहना है, “जिन्हें फिक्र नहीं वो चुप बैठे हैं”। सच क्या है? आइए समझते हैं।
क्या हुआ असल में? मंडी की आपदा और राजनीति का तड़का
इस बार का मानसून हिमाचल के लिए मानो काल बनकर आया है। मंडी तो जैसे पूरी तरह बर्बाद। infrastructure चौपट, गांवों तक पहुंचने के रास्ते कटे हुए… और rescue operations में भी दिक्कतें आ रही हैं क्योंकि communication network ठप पड़ा है। ऐसे में कंगना रनौत का प्रभावित इलाकों में जाने का जुनून और जयराम ठाकुर का उन्हें रोकना – ये सब मिलाकर क्या बना? एक सियासी तूफान। है न मजेदार बात? आपदा से ज्यादा चर्चा इसी झगड़े की हो रही है!
वैसे कंगना का तर्क समझ आता है। वो तो पहले भी disaster zones में जाकर मदद कर चुकी हैं। लेकिन जयराम ठाकुर भी कहां मानने वाले? उनका कहना है safety protocols का ख्याल रखना जरूरी था। सच तो ये है कि दोनों के अपने-अपने पॉइंट्स हैं। पर सवाल यह है कि क्या यह सब बहस करने का सही वक्त था?
सोशल मीडिया पर आग – कौन किसको दे रहा है सबक?
अब तो मामला social media पर भी भड़क चुका है। कंगना का वो वायरल पोस्ट तो आपने देखा ही होगा – “जिन्हें जनता की फिक्र नहीं…”। सीधा-सीधा जयराम ठाकुर को टारगेट करती हुई बात। और फिर शुरू हो गई ट्रोलिंग की बाढ़! एक तरफ कंगना के फैंस उन्हें ‘बहादुर’ बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ लोग इसे ‘नाटक’ कह रहे हैं।
ठीक है, मैं भी मानता हूं कंगना कोई साधारण नेता नहीं। उनका स्टाइल ही कुछ अलग है। लेकिन क्या यह सब करने से प्रभावितों को कोई फायदा मिल रहा है? ये सवाल मेरे दिमाग में कौंध रहा है।
राजनीति का खेल या जनता की चिंता?
देखिए, इस पूरे विवाद ने राजनीतिक दलों को दो गुटों में बांट दिया है। BJP के कुछ लीडर्स कंगना का साथ दे रहे हैं, तो Congress वाले इसे ‘publicity stunt’ बता रहे हैं। मैं तो यही कहूंगा – जब तक हमारे नेता आपस में लड़ते रहेंगे, आम आदमी की मुश्किलें कम होने वाली नहीं।
असल में problem ये है कि disaster management में राजनीति घुस जाती है। और फिर? राहत कार्य पीछे छूट जाते हैं। क्या हमने केदारनाथ त्रासदी से कुछ सीखा था? लगता तो नहीं।
आगे क्या? बारिश का खतरा और राजनीति की आंच
मौसम वालों ने अगले दो दिन और बारिश की चेतावनी दी है। यानी हालात और बिगड़ सकते हैं। state और central government को additional relief teams भेजनी पड़ सकती हैं।
और राजनीति वाली बात? अगर कंगना और जयराम ठाकुर इसी तरह statements देते रहे, तो हिमाचल की सियासत गरमा सकती है। पर क्या यही सही वक्त है? मेरी नजर में तो नहीं। अभी तो बस एक ही प्राथमिकता होनी चाहिए – लोगों की जान बचाना और उनकी मदद करना। बाकी सब बाद में।
आखिर में बस इतना कहूंगा – प्रकृति के सामने हम सब नतमस्तक हैं। फिर चाहे कोई सांसद हो या मुख्यमंत्री। वक्त है एकजुट होकर मुश्किल का सामना करने का, न कि आरोप-प्रत्यारोप का। क्या आप सहमत हैं?
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मंडी बादल फटने की त्रासदी और कंगना-जयराम ठाकुर की टकराहट – आपके दिमाग में आ रहे सारे सवालों के जवाब
1. मंडी में बादल फटने (Cloudburst) की घटना कब हुई और कितना नुकसान हुआ?
ये कहानी शुरू होती है 12 अगस्त 2023 से, जब मंडी ने एक ऐसी आफत देखी जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। बादल फटा तो मानो पहाड़ों का गुस्सा फूट पड़ा हो। घर? बह गए। सड़कें? लुप्त हो गईं। और जानें… हां, वो तो चली ही गईं। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं 20 से ज़्यादा मौतें, पर असल संख्या शायद इससे भी भयानक हो। 50 से अधिक लोग अभी तक लापता हैं – ये सुनकर दिल दहल जाता है, है न?
2. कंगना रनौत और जयराम ठाकुर के बीच क्या विवाद हुआ?
अब यहां मामला थोड़ा spicy हो जाता है! कंगना, जो अपनी बेबाकी के लिए मशहूर हैं, ने सोशल मीडिया पर सरकार की धीमी प्रतिक्रिया पर जमकर तीर चलाए। और ठाकुर साहब? उनका जवाब था – “जिन्हें वास्तविक चिंता है, वो ट्वीट नहीं, मदद कर रहे हैं।” बस फिर क्या था, कंगना ने अपनी trademark style में जवाब दिया। सच कहूं तो ये विवाद disaster से ज़्यादा सुर्खियां बटोर रहा है – और ये थोड़ा दुखद भी है।
3. इस आपदा के बाद सरकार ने क्या relief measures लिए हैं?
तो अब सवाल यह है कि सरकार ने क्या कदम उठाए? NDRF की टीमें मैदान में हैं, ये तो अच्छी बात है। सीएम ने 4 करोड़ रुपये के तत्काल राहत की घोषणा की है – पर सच पूछो तो ये रकम इस तबाही के सामने कितनी कारगर होगी? प्रभावित परिवारों को 1 लाख रुपये देने का वादा किया गया है, लेकिन क्या ये काफी है? केंद्र से मदद मांगी गई है, पर जैसा हमेशा होता है – फाइलें चलेंगी, मीटिंगें होंगी… और बीच में फंसे रह जाएंगे लोग।
4. क्या मंडी में अभी और बारिश (heavy rainfall) का alert है?
और हां, मुसीबतें अभी थमी नहीं हैं! IMD ने अगले 48 घंटों के लिए orange alert जारी किया है। अधिकारियों ने (और ये सलाह वाकई अहम है) निचले इलाकों से दूर रहने को कहा है। Rescue teams पूरी तरह तैयार हैं – पर सवाल ये कि क्या प्रकृति के आगे हमारी तैयारियां कभी काफी हो पाती हैं? एक डर तो बना ही रहता है।
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