ये दिल मांगे मोर… कैप्टन विक्रम बत्रा की वो कहानी जिसने हर भारतीय का सीना चौड़ा कर दिया!
अरे भाई, कारगिल की बात करें और कैप्टन विक्रम बत्रा का ज़िक्र न हो? ये तो वैसा ही है जैसे चाय बनाओ और अदरक डालना भूल जाओ! 1999 की वो लड़ाई सिर्फ एक युद्ध नहीं थी, बल्कि हमारे जवानों की जुनून की दास्तां थी। और उसमें भी बत्रा साहब? उन्होंने तो प्वाइंट 5140 पर ऐसा कमाल किया कि पाकिस्तानी घुसपैठियों की हालत खस्ता हो गई। “ये दिल मांगे मोर!” वाला उनका नारा सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं, है न?
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देखिए, पाकिस्तान ने सोचा था कि ऊँची चोटियों पर कब्ज़ा करके हमें घुटने टिकवा देंगे। लेकिन भूल गए कि हमारे जवानों के पास सिर्फ बंदूकें नहीं, लोहे के इरादे हैं! प्वाइंट 5140 सिर्फ एक नंबर नहीं था – वो तो हमारे सम्मान का सवाल बन चुका था। और इसी को फतह करने की ज़िम्मेदारी मिली 24 साल के एक जांबाज़ को। सोचिए, हमारी उम्र में ये लोग देश के लिए जान देने को तैयार थे!
वो रात जब इतिहास लिखा गया
20 जून की वो रात… बर्फ़ीली हवाएं, ख़तरनाक ढलान, और हर पत्थर के पीछे छुपा दुश्मन। लेकिन बत्रा और उनके साथियों ने ऐसा जोश दिखाया कि सुनकर दिल गर्व से भर जाता है। जीत के बाद उनका वो मशहूर नारा – “ये दिल मांगे मोर!” ये सिर्फ शब्द नहीं थे, बल्कि एक जवान का वो जज़्बा था जो और ऊँचाइयों को छूना चाहता था। सच कहूं तो, आज भी ये सुनकर आंखें नम हो जाती हैं।
शहीद हुए, पर अमर हो गए
परमवीर चक्र मिला, लेकिन असली इनाम तो वो प्यार है जो देश आज तक उन्हें दे रहा है। फिल्म ‘शेरशाह’ हो या स्कूलों में उनकी कहानियां, बत्रा साहब हर भारतीय के दिल में जिंदा हैं। उनकी मां का वो इंटरव्यू याद है? जब उन्होंने कहा था – “मेरा बेटा अमर हो गया”। सच में, कुछ लोग मरते नहीं, लीजेंड बन जाते हैं।
आज भी जिंदा है उनकी सीख
सुनिए, ये सिर्फ इतिहास की बात नहीं है। आज के युवाओं को बत्रा साहब से सीखने को मिलता है – ईमानदारी, बहादुरी और देशभक्ति की असली मिसाल। कारगिल ने हमें सिखाया कि चुनौतियां कितनी भी बड़ी क्यों न हों, हौसले बड़े हों तो जीत निश्चित है। और हाँ, उनका वो नारा? वो तो हर उस भारतीय की आवाज़ है जो देश के लिए कुछ करना चाहता है!
अंत में बस इतना: कैप्टन विक्रम बत्रा ने साबित किया कि हीरोज़ सिर्फ फिल्मों में नहीं होते। वो असली जिंदगी में भी होते हैं – हमारे बीच से, हमारे जैसे। बस फर्क इतना है कि उनके दिल में देश के लिए प्यार कुछ ज़्यादा ही होता है। “ये दिल मांगे मोर” वाला जज़्बा हमेशा जिंदा रहे!
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कैप्टन विक्रम बत्रा की कहानी सुनते ही दिल गर्व से भर जाता है, है न? ये सिर्फ एक सैनिक की कहानी नहीं, बल्कि हर उस भारतीय के लिए प्रेरणा है जो देश के लिए कुछ करना चाहता है। उनका वो मशहूर नारा “ये दिल मांगे मोर” – सुनते ही शरीर में एक अजीब सी ऊर्जा दौड़ जाती है, मानो कुछ कर गुजरने का जोश आ जाए।
और कारगिल की वो लड़ाई… हालांकि मैंने खुद तो नहीं देखी, लेकिन जितना सुना है, उतने से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। एक तरफ तो पाकिस्तान की धोखेबाज़ चालें, दूसरी तरफ हमारे जवानों का अदम्य साहस। विक्रम बत्रा ने जिस तरह से दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया, वो तो… वाह! क्या बात है। सच में।
आज भी जब उनकी बहादुरी की बात होती है, मन में एक सवाल उठता है – क्या हम उनके बलिदान को सच में समझ पाए हैं? उनकी ये अमर गाथा सिर्फ इतिहास का पन्ना नहीं, बल्कि हम सबके लिए एक सबक है – देशभक्ति और कर्तव्य का असली मतलब क्या होता है। सोचने वाली बात है, है न?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com