मुंबई के 51 कबूतरखाने बंद! सरकार का बड़ा फैसला, पर क्या यह सही है?
अरे भाई, मुंबई में तो बड़ा हंगामा हो रहा है! महाराष्ट्र सरकार ने अचानक ही शहर के 51 कबूतरखाने बंद करने का ऐलान कर दिया। तुरंत प्रभाव से। अब सवाल यह है कि क्या यह फैसला सही है? असल में, कबूतरों की बीट और पंखों से फैलने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ गया था। और भई, मुंबई जैसे शहर में जहां हर स्क्वायर फुट पर पांच लोग रहते हैं, यह समस्या गंभीर हो ही जाती है।
कबूतरों का दाना डालना: भावना से समस्या तक
देखिए न, मुंबई में कबूतरों को दाना डालने की परंपरा तो हमारे दादा-परदादा के ज़माने से चली आ रही है। मंदिरों के बाहर, चौराहों पर – हर जगह लोग दाना डालते नज़र आ जाते थे। लेकिन अब? अब तो यही परंपरा एक बड़ी मुसीबत बन गई है। पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि कबूतरों की आबादी अब कंट्रोल से बाहर हो चुकी है। और भई, histoplasmosis और cryptococcosis जैसी बीमारियां तो खेलने वाली बात नहीं हैं। सच कहूं तो, अब यह सिर्फ भावना की बात नहीं रही, स्वास्थ्य का मुद्दा बन गई है।
सरकार ने दिखाई दांत, पर क्या यह ज़रूरत से ज़्यादा है?
तो अब सरकार ने क्या किया? एकदम सख्त रुख अपनाया। Municipal Corporation की रिपोर्ट के आधार पर 51 कबूतरखाने तुरंत बंद। और हां, अब अगर कोई इन जगहों पर दाना डालता पकड़ा गया तो जुर्माना भरना पड़ेगा। हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि यह थोड़ा ज़्यादा सख्त कदम है। पर सच तो यह है कि दादर, माटुंगा जैसे इलाकों में तो कबूतरों का आतंक ही हो गया था। वहां के रहवासी तो सरकार के इस फैसले पर तालियां बजा रहे हैं।
एक फैसला, हज़ार रायें – किसकी सुनें सरकार?
अब यहां दिलचस्प बात यह है कि हर कोई अलग राय रखता है। डॉक्टर और स्वास्थ्य विशेषज्ञ तो इस फैसले को लेकर खुश हैं। उनका कहना है कि यह तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था। लेकिन दूसरी तरफ, Animal Welfare Board वाले नाराज़ हैं। उनका कहना है कि कबूतरों के खाने का क्या? बस ऐसे ही उन्हें भूखा मरने के लिए छोड़ दिया जाए? पर सच पूछो तो जिन बिल्डिंग्स में रहने वाले लोग रोज़ कबूतरों की सफाई से परेशान थे, उनके लिए यह फैसला वरदान से कम नहीं।
आगे क्या? सरकार के पास है कोई प्लान?
अच्छा, तो अब सवाल यह उठता है कि आगे क्या? सरकार कह रही है कि उनके पास एक लॉन्ग टर्म प्लान है। जल्द ही पूरे शहर के लिए नए guidelines आने वाले हैं। साथ ही एक awareness campaign भी चलाया जाएगा जहां लोगों को बताया जाएगा कि कबूतरों से कौन-कौन सी बीमारियां फैल सकती हैं। और हां, Animal Welfare वालों के साथ बैठकें भी हो रही हैं ताकि कबूतरों के लिए कोई बेहतर इंतज़ाम किया जा सके।
अब देखना यह है कि यह पूरा मामला कैसे सुलझता है। एक तरफ तो लोगों की सेहत का सवाल है, दूसरी तरफ जानवरों के हक़ की बात। सरकार को इस नाज़ुक संतुलन को बनाए रखना होगा। वैसे, मेरी निजी राय? कुछ बदलाव तो ज़रूरी थे, लेकिन हद से ज़्यादा सख्ती भी ठीक नहीं। आप क्या सोचते हैं? कमेंट में ज़रूर बताइएगा!
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मुंबई में कबूतरखाने बंद – क्या है पूरा मामला? (FAQ)
1. मुंबई में कबूतरखाने बंद करने की क्या वजह है?
देखिए, बात यह है कि पिछले कुछ समय से मुंबई में कबूतरों से जुड़ी बीमारियों के cases बढ़ते जा रहे थे। Histoplasmosis, Cryptococcosis जैसी गंभीर बीमारियाँ – जो सीधे फेफड़ों और दिमाग पर असर डालती हैं। BMC ने जब ये आंकड़े देखे, तो सोचा कि अब preventive action लेना ही होगा। वैसे भी, public health को लेकर थोड़ा strict होना पड़ता है, है न?
2. कबूतरों से फैलने वाली बीमारियों की लिस्ट
असल में कबूतर सिर्फ प्यारे दिखने वाले पक्षी नहीं हैं। इनके मल, पंख या थूक से कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं:
– Histoplasmosis: फेफड़ों की गड़बड़ी (कभी-कभी तो बहुत serious)
– Cryptococcosis: यह तो दिमागी बुखार लाता है – डरावना है न?
– E.coli और Salmonella जैसे common infections भी
सच कहूँ तो, ये सब पढ़कर मुझे भी थोड़ा डर लगा!
3. क्या अब कबूतरों को दाना डालना पूरी तरह बंद?
नहीं, ऐसा नहीं है। पर BMC ने कुछ खास इलाकों में restrictions लगा दी हैं। मसलन, जहाँ भीड़ ज्यादा हो – वहाँ दाना डालने से मना किया गया है। एक तरह से समझ लीजिए कि अब ‘controlled feeding’ की policy है। थोड़ा सा सोच-समझकर काम लेना होगा।
4. सबसे बड़ा सवाल – इन कबूतरों का क्या होगा?
BMC का दावा है कि कबूतर अपना ठिकाना खुद ढूंढ लेंगे। पर सच बताऊँ? कुछ animal activists को ये decision जमा नहीं रहा। उनका कहना है कि ये थोड़ा harsh step है। एक तरफ तो हम इंसानों की सुरक्षा है, दूसरी तरफ इन निरीह पक्षियों का भविष्य। कठिन स्थिति है, है ना?
वैसे… आपको क्या लगता है इस पूरे मामले में? क्या BMC का फैसला सही है, या फिर कोई और तरीका हो सकता था?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com