गर्मी ने देश को जला डाला: सड़कें तवे बन गईं!
क्या हाल है?
भाई, इस बार की गर्मी ने तो सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। Heat Wave ने लोगों की हालत खराब कर दी है। क्या शहर, क्या गाँव – हर जगह लोग इसकी चपेट में। असल में, तापमान ने पिछले 10 सालों के सभी आंकड़े पीछे छोड़ दिए हैं। आज हम बात करेंगे कि ये गर्मी क्यों इतनी भयानक हो गई है और इससे कैसे बचा जाए।
गर्मी का कहर
1. पारा चढ़ा आसमान पर
कई जगहों पर तो थर्मामीटर 45°C को भी पार कर गया। दिल्ली, राजस्थान, UP जैसे राज्यों में तो लोग रोज नए रिकॉर्ड बना रहे हैं।
2. सबसे बुरा हाल किसका?
उत्तर भारत तो मानो भट्टी बन गया है। लेकिन मध्य प्रदेश और बिहार भी काफी पीछे नहीं हैं। गाँवों में तो स्थिति और भी खराब है।
3. जिंदगी पर असर
Schools और Colleges को बंद करना पड़ा। बिजली की मांग आसमान छू रही है, जिससे Load Shedding की समस्या बढ़ गई है। अस्पतालों में Heat Stroke के मरीजों की भीड़ लगी है।
इतनी गर्मी क्यों?
1. Heat Dome का जादू
दरअसल, गर्म हवा एक तरह से जाल में फंस गई है। यही वजह है कि तापमान लगातार बढ़ रहा है।
2. Climate Change का खेल
Global Warming की वजह से मौसम का पूरा चक्र बिगड़ गया है। अब गर्मी के दिन लंबे और ज्यादा तेज होते जा रहे हैं।
3. शहर बने भट्टी
कंक्रीट के जंगलों ने शहरों को गर्मी के द्वीप (Heat Island) बना दिया है। पेड़ कट गए, पार्क खत्म हो गए – तो गर्मी तो बढ़ेगी ही!
कैसे बचें इस गर्मी से?
1. खुद का ख्याल
दोपहर 12 से 4 बजे तक बाहर निकलने से बचें। सूती कपड़े पहनें और Sunscreen जरूर लगाएं। पानी पीते रहें – ये सबसे जरूरी है।
2. घर को रखें ठंडा
दिन में पर्दे बंद रखें। Cooler या AC चलाएँ, लेकिन खुद को Hydrated रखना न भूलें। पुराने तरीके भी आजमाएँ – मसलन, फर्श पर पानी छिड़कना।
3. सरकार और समाज की भूमिका
कुछ शहरों में Cooling Centers खोले गए हैं। सरकार को चाहिए कि अस्पतालों में विशेष व्यवस्था करे। हमें भी पड़ोसियों का ख्याल रखना चाहिए, खासकर बुजुर्गों का।
आखिर में
ये सिर्फ गर्मी नहीं, बल्कि Climate Crisis का संकेत है। हम सभी को मिलकर पर्यावरण बचाने की कोशिश करनी होगी। छोटे-छोटे कदम भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं – पेड़ लगाएँ, पानी बचाएँ, बिजली की बर्बादी रोकें। सरकार और जनता को साथ मिलकर काम करना होगा, वरना आने वाले साल और भी भयानक होंगे।
Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com