क्या पाकिस्तान तालिबान को मान्यता देने वाला दूसरा देश बनेगा? शहबाज सरकार का बड़ा फैसला!

क्या पाकिस्तान तालिबान को मान्यता देने की रेस में दूसरा नंबर लेगा? शहबाज सरकार की चाल क्या होगी?

अफगानिस्तान में तालिबान का शासन… और अब रूस ने उन्हें मान्यता देकर सबको चौंका दिया है। सच कहूं तो ये मामला अब गर्मा गया है! अब सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान भी रूस के बाद दूसरा देश बनने वाला है? वो भी ऐसे समय में जब शहबाज शरीफ सरकार पर दोनों तरफ से दबाव है – एक तरफ तालिबान का ‘भाईचारे’ वाला दबाव, दूसरी तरफ अमेरिका की डांट-फटकार।

पूरा खेल क्या है?

याद कीजिए 2021 का वो वक्त जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था। लेकिन हैरानी की बात ये है कि दुनिया के ज्यादातर देश आज तक उन्हें मान्यता क्यों नहीं दे रहे? असल में, महिलाओं के हक और मानवाधिकारों को लेकर तालिबान की छवि बहुत खराब है। अब पाकिस्तान के लिए ये सच में दिलचस्प स्थिति है। एक तरफ तो उनका तालिबान से पुराना रिश्ता (जिसे वो खुलकर स्वीकार नहीं करते), दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय दबाव। ऐसे में रूस ने तो बाजी मार ली, अब पाकिस्तान की बारी है।

क्या चल रहा है पर्दे के पीछे?

अंदरूनी सूत्र कह रहे हैं कि इस्लामाबाद में बैठे लोग गंभीरता से इस पर विचार कर रहे हैं। कुछ का कहना है कि साल के अंत तक पाकिस्तान तालिबान को मान्यता दे सकता है। लेकिन यहां मजा ये है कि अमेरिका पहले ही चेतावनी दे चुका है – “ऐसा किया तो पछताओगे!” और हम सब जानते हैं कि अमेरिकी प्रतिबंधों का मतलब क्या होता है। पाकिस्तानी नेताओं की नींद उड़ी हुई है, ये तो तय है।

कौन क्या बोल रहा है?

आधिकारिक तौर पर तो पाकिस्तान चुप्पी साधे हुए है, लेकिन कुछ नेता तालिबान को मान्यता देने के पक्ष में जोर-शोर से बयानबाजी कर रहे हैं। वहीं तालिबान की तरफ से ‘भाईचारे’ की भावनात्मक अपीलें आ रही हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया? बिल्कुल मिली-जुली। अमेरिका गुस्से में है, वहीं चीन और रूस मुस्कुरा रहे हैं। एकदम चटपटा मामला!

अब आगे क्या?

अगर पाकिस्तान ने हामी भर दी तो ये गेम चेंजर साबित हो सकता है। सोचिए:
– अमेरिका से रिश्ते खराब
– चीन-रूस के साथ गले मिलने का मौका
– अफगानिस्तान में अस्थिरता और बढ़ सकती है

असल में ये फैसला सिर्फ क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति को हिला देने वाला हो सकता है। अगले कुछ हफ्ते बेहद अहम हैं।

आखिर में, सच तो ये है कि पाकिस्तान फंसा हुआ है दो चट्टानों के बीच। एक तरफ पुराने दोस्त, दूसरी तरफ वैश्विक दबाव। शहबाज सरकार जो भी फैसला ले, उसकी गूंज लंबे समय तक सुनाई देगी। देखते हैं ये शतरंज का मैच किसके पक्ष में जाता है!

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अरे भाई, ये सवाल तो हर किसी के दिमाग में घूम रहा है ना? आखिर पाकिस्तान का अगला कदम क्या होगा? चलिए, बिना लाग-लपेट के सीधे बात करते हैं।

1. क्या पाकिस्तान ने तालिबान को officially मान्यता दे दी है?

सच बताऊं? अभी तक तो नहीं। शहबाज शरीफ सरकार इस मामले पर बैठकें कर रही है, लेकिन कोई ठोस फैसला नहीं हुआ। ये तो वैसा ही है जैसे आप किसी बड़े निवेश के बारे में सोचते-सोचते थक जाते हैं। हालांकि, अफगानिस्तान के साथ उनका रिश्ता देखते हुए… कुछ भी हो सकता है।

2. भईया, पाकिस्तान को ऐसा करने की क्या जरूरत है?

देखिए न, यहां तीन बड़े कारण हैं जो समझने लायक हैं:
– पहला तो border security… वो भी ऐसी border जहां से हमेशा टेंशन आती रहती है
– दूसरा, trade… अफगानिस्तान के बाजारों तक पहुंच बनाना
– और तीसरा, regional stability (या कम से कम उनकी नजर में stability)

पर सच कहूं? ये सब तो बहाने हैं। असली मामला है strategic depth की उनकी पुरानी policy। समझ रहे हैं न मैं क्या कह रहा हूं?

3. अगर पाकिस्तान ने मान्यता दे दी, तो दुनिया क्या कहेगी?

अरे भई! USA और EU तो पहले से ही नाराज हैं। उन्होंने खुद तालिबान को recognize नहीं किया है। ऐसे में पाकिस्तान को diplomatic pressure का सामना करना पड़ सकता है।

पर एक सच्चाई ये भी है – चीन और रूस जैसे देशों की प्रतिक्रिया क्या होगी? क्योंकि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अब पहले जैसी बाइनरी नहीं रह गई है।

4. भारत को इससे क्या लेना-देना?

सुनिए, हमारे लिए ये मामला बिल्कुल neutral नहीं है। अगर पाकिस्तान ने ये कदम उठाया तो:
– कश्मीर में स्थिति प्रभावित हो सकती है
– Regional power equations बदल सकते हैं
– और सबसे बड़ी बात… हमारी security concerns बढ़ सकती हैं

लेकिन इतना घबराने की जरूरत नहीं। भारत ने अपनी foreign policy में काफी maturity दिखाई है। हम observe कर रहे हैं, react भी करेंगे – पर सही समय पर।

तो क्या आपको लगता है पाकिस्तान ये कदम उठाएगा? कमेंट में बताइएगा जरूर। मैं तो यही कहूंगा – देखते हैं, अभी तो बस चाय पीने का वक्त है!

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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