चीन का वो डर्टी गेम! राफेल को बदनाम करने की कोशिश, फ्रांस की रिपोर्ट ने किया खुलासा
अरे भाई, सुनो एक दिलचस्प बात! फ्रांस की एक खुफिया रिपोर्ट ने चीन के उस चालाक खेल को पकड़ लिया है जिसमें उन्होंने हमारे राफेल जेट्स को बदनाम करने की पूरी कोशिश की थी। ये सब चल रहा था उस वक्त जब भारत-पाकिस्तान टेंशन चरम पर था और राफेल ने अपना दमखम दिखाया था। है न मजेदार? अब चीन का वो पूरा प्रोपेगैंडा गेम एकदम फेल हो गया है!
राफेल से चीन को क्यों खटक रहा था?
देखिए न, 2016 में हमने फ्रांस से जो 36 राफेल जेट्स खरीदे थे, वो तो गेम-चेंजर साबित हुए। बालाकोट स्ट्राइक हो या कोई और ऑपरेशन – इन्होंने हमारी एयर पावर को नया लेवल दिया। लेकिन यही बात चीन-पाकिस्तान को हजम नहीं हुई! सच कहूं तो चीन तो पहले से ही पाकिस्तान का बैकअप डांसर है, और हमारी बढ़ती ताकत देखकर उसकी नींद उड़ गई। इतना डर गया कि राफेल को बदनाम करने का पूरा डर्टी कैंपेन चला दिया। है न हंसी की बात?
फ्रांस की रिपोर्ट में क्या मिला?
अब यहां मजा आता है! फ्रांस की इंटेलिजेंस ने पकड़ लिया कि चीन ने Online कितना बड़ा झूठ फैलाया। फेक न्यूज, मैनिपुलेटेड वीडियोज, सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट्स – सब कुछ इस्तेमाल किया राफेल की इमेज खराब करने के लिए। असल में देखा जाए तो ये चीन का पुराना तरीका है – जब सामने से लड़ नहीं सकते, तो प्रोपेगैंडा चलाओ! पर इस बार उनकी पोल खुल गई। एकदम ज़बरदस्त!
भारत और फ्रांस ने क्या कहा?
हमारी सरकार ने तो साफ कह दिया – “चीन, तुम्हारी ये चालबाजी काम नहीं आएगी!” वहीं फ्रांस ने भी इसकी पुष्टि कर दी। डिफेंस एक्सपर्ट्स की मानें तो चीन हमारी मिलिट्री ग्रोथ से इतना डर गया है कि ऐसे गंदे तरीके अपना रहा है। पर सच तो ये है कि अब दुनिया उसकी असली चेहरा देख रही है।
आगे क्या होगा?
अब तो मामला गरमा गया है! भारत और फ्रांस की साइबर सिक्योरिटी टीमें और करीब आएंगी। इंटरनेशनल लेवल पर चीन को जवाब भी मिल सकता है। और हां, हमारी इंटेलिजेंस अब ऐसे फेक न्यूज कैंपेन को पहले ही पकड़ने के नए तरीके ढूंढ़ेगी। सीधे शब्दों में कहूं तो – गेम ओवर!
तो दोस्तों, निष्कर्ष ये कि चीन की ये साजिश एकदम फ्लॉप साबित हुई। अब तो उल्टे उसकी खुद की क्रेडिबिलिटी पर सवाल उठ रहे हैं। ये पूरा मामला साबित करता है कि भारत की सुरक्षा व्यवस्था कितनी मजबूत है – और जो इसे कमजोर करने की कोशिश करेगा, उसका हश्र भी ऐसा ही होगा! क्या कहते हो आप?
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चीन का डर्टी कैंपेन और राफेल विवाद – सच्चाई क्या है?
अरे भाई, आजकल सोशल मीडिया पर चीन और राफेल को लेकर कितना शोर है न? लेकिन असल मामला क्या है? चलो, बिना किसी पॉलिटिकल झुकाव के सच्चाई समझते हैं।
1. ये ‘डर्टी कैंपेन’ वाला ड्रामा क्या है? और राफेल का इसमें क्या रोल?
देखिए, चीन ने एक तरह का प्रोपगैंडा गेम खेला है – बिल्कुल वैसा ही जैसे स्कूल में कोई बच्चा दूसरे की इमेज खराब करने के लिए गप्पें फैलाता है। फर्क सिर्फ इतना कि यहां स्केल बहुत बड़ा है। फ्रांस की खुफिया टीम ने पकड़ा कि चीन ने जानबूझकर राफेल डील के बारे में फेक न्यूज फैलाई। सच बताऊं? ये तो वही बात हुई कि कोई आपके नए फोन के बारे में लोगों को गलत जानकारी देने लगे।
2. फ्रांस वालों ने अपनी रिपोर्ट में क्या खुलासा किया?
अब यहां मजेदार बात ये है कि फ्रांस की इंटेलिजेंस वालों ने पूरा खेल समझ लिया। उनकी रिपोर्ट कहती है कि चीन ने सोशल मीडिया और न्यूज साइट्स का इस्तेमाल करके झूठी कहानियां बनाईं। मकसद? सीधा-सीधा – भारत और फ्रांस की दोस्ती में दरार डालना। पर सच तो ये है कि जब सच सामने आ जाता है, तो झूठ की इमारत ढह ही जाती है।
3. सवाल ये उठता है – चीन को ऐसा करने की क्या जरूरत थी?
ईमानदारी से कहूं तो, ये सब देखकर लगता है जैसे कोई पड़ोसी आपकी तरक्की से जलने लगा हो। चीन को डर है भारत की बढ़ती एयर पावर से। राफेल जैसे जेट्स मिलेंगे तो हमारी सुरक्षा मजबूत होगी न? और यही तो चीन नहीं चाहता। उनकी रणनीति साफ है – ‘अगर खुद आगे नहीं बढ़ सकते, तो दूसरों को पीछे खींचो’।
4. भारत पर इसका क्या असर पड़ा? क्या चीन सफल रहा?
शुरू-शुरू में कुछ लोग भरमाए जरूर गए। लेकिन याद रखिए, आजकल के दौर में सच छुपता नहीं। भारत और फ्रांस ने मिलकर इस साजिश को नाकाम कर दिया। और अब? अब तो हम और भी अलर्ट हो गए हैं। जैसे कोई आपको एक बार धोखा दे दे, तो आप दूसरी बार सावधान हो जाते हैं न? बिल्कुल वैसे ही।
तो दोस्तों, निष्कर्ष क्या निकालें? सीधी सी बात – सोशल मीडिया पर हर खबर पर यकीन करने से पहले थोड़ा रिसर्च जरूर कर लें। वैसे भी, सच की हमेशा जीत होती है। है न?
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com