चीन-पाकिस्तान की चालबाजी: भारत की ताकत को क्यों नज़रअंदाज़ कर रही है दुनिया?
अरे भाई, सच बताऊं? हाल में एक खुफिया रिपोर्ट ने फिर से वही पुरानी फिल्म दिखा दी – चीन और पाकिस्तान की वही घिसी-पिटी रणनीति! प्रॉक्सी वॉर के नाम पर भारत के खिलाफ साजिश रचना। मजे की बात यह है कि 2019 के ऑपरेशन सिंदूर ने तो पाकिस्तान की पोल खोलकर रख दी थी, पर चीन? वो तो बस ‘इनोसेंट बाइस्टैंडर’ बना रहा। सच पूछो तो, अंतरराष्ट्रीय समुदाय का रवैया हैरान करने वाला है – क्या वाकई भारत की मिलिट्री क्षमता पर संदेह करने का कोई तर्क है? या फिर… कहीं यह जानबूझकर तो नहीं?
सबकुछ शुरू हुआ था ऑपरेशन सिंदूर से
याद है ना वो 2019 का वक्त? पुलवामा हमले के बाद भारत ने जो सर्जिकल स्ट्राइक की, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। पर एक चीज़ और हुई थी – पाकिस्तान को सीधे तौर पर मुंह की खानी पड़ी। लेकिन यहां चीन ने अपना असली चेहरा दिखाया। ‘ऑल-वेदर फ्रेंड’ का नाटक करते हुए पाकिस्तान को पर्दे के पीछे से सपोर्ट करता रहा। और अब तो CPEC (China-Pakistan Economic Corridor) के जरिए ये गठजोड़ और भी मजबूत हो गया है। सीधी सी बात है – ये हमारी सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है।
ताजा खुलासे: अब और क्या बचा है छुपाने को?
अब तो खुफिया एजेंसियों ने साफ-साफ बता दिया है – चीन पाकिस्तान को हथियारों से लैस कर रहा है, फंडिंग दे रहा है। भारत ने UN में मामला उठाया भी, पर क्या हुआ? अमेरिका और यूरोप ने सिर्फ ‘चिंता जताई’ है। ठोस कार्रवाई? वो तो अभी तक दूर की कौड़ी है। सच कहूं तो, ये प्रॉक्सी वॉर की रणनीति कोई नई नहीं, बस अब ज्यादा बेपर्दा हो गई है।
दुनिया क्या कह रही है? असलियत क्या है?
भारत सरकार का स्टैंड क्लियर है: “हमने बार-बार इन साजिशों को उजागर किया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक्शन लेना चाहिए।” वहीं चीन का रटा-रटाया जवाब: “हम शांति चाहते हैं… भारत बिना सबूत के आरोप लगा रहा है।” और पाकिस्तान? उसका तो एक ही राग है – “कश्मीर, कश्मीर, कश्मीर!” एक्सपर्ट्स की मानें तो चीन भारत को एशिया में कमजोर दिखाना चाहता है। पर वो ये भूल रहा है कि भारत अब 1962 वाला भारत नहीं रहा।
आगे की राह: भारत के पास क्या विकल्प हैं?
अब भारत क्या करेगा? देखिए, पहला तो डिप्लोमैटिक प्रेशर बनाना – अमेरिका और EU के साथ मिलकर चीन की आर्थिक और मिलिट्री गतिविधियों पर लगाम लगाना। दूसरा? अगर ये दोनों देश अपनी हरकतों से बाज नहीं आते, तो सीमा पर और सख्त कदम उठाने होंगे। सच तो यह है कि ये चुनौती बड़ी जरूर है, पर नामुमकिन नहीं। भारत की मिलिट्री और डिप्लोमैटिक ताकत इसका जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। बस, अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी अपनी आंखें खोलनी होंगी।
आखिर में एक बात – जब तक हम सच को सच कहते रहेंगे, तब तक झूठ की राजनीति कभी सफल नहीं होगी। चीन और पाकिस्तान को यह समझना होगा कि भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं, प्रोएक्टिव एक्शन लेने में भी सक्षम है। और यही इस पूरे मामले का सार है।
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चीन और पाकिस्तान वाली ‘छोटी-मोटी’ राजनीतिक चालें तो चलती रहेंगी, है न? लेकिन इस latest report ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारत की ताकत अब छुपाने लायक नहीं रही। सैन्य हो, economy हो या फिर global strategy – हमारी धाक अब पूरी दुनिया में है। और सच कहूं तो, ये तो बस शुरुआत है!
देखिए न, अब वो दिन गए जब कोई भी देश हमें हल्के में ले सकता था। आज अगर कोई चुनौती देना भी चाहे, तो हमारी तैयारियां पूरी हैं। लेकिन यहां सबसे ज़रूरी बात – हमें खुद पर भरोसा रखना होगा। एकजुटता? वो तो हमारी ताकत का सबसे बड़ा हथियार है। तो क्या आप तैयार हैं इस नए भारत का हिस्सा बनने के लिए? ज़रा सोचिए!
(Note: HTML tags preserved as instructed. The text now has – 1) Rhetorical questions 2) Conversational connectors 3) Sentence fragments like “है न?” 4) Mixed sentence lengths 5) Retained English words in original form 6) Avoided robotic perfection by adding colloquial phrases like “छोटी-मोटी”)
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com