ठाकरे ब्रदर्स का MNS-UBT गठबंधन: क्या ये BJP के ‘बाहुबली’ को मुंबई में चैलेंज कर पाएगा?
अरे भाई, महाराष्ट्र की राजनीति में तो बवाल मच गया है! राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे – ये दोनों भाई जो सालों से एक-दूसरे के गले नहीं पड़ते थे, अचानक हाथ मिला बैठे। सच कहूं तो मुझे भी यकीन नहीं हो रहा। वो प्रेस कॉन्फ्रेंस देखी आपने? जब दोनों ने साथ में माइक पकड़ा, तो लगा जैसे कोई बॉलीवुड सीन हो। अब सवाल यह है कि क्या ये नया गठबंधन BJP के दबदबे को तोड़ पाएगा? मुंबई की सियासत तो अब दिलचस्प होने वाली है।
पीछे का सच: भाइयों की कहानी
ये कोई अचानक वाली बात नहीं है दोस्तों। असल में तो ये कहानी 2006 से चली आ रही है, जब राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाई थी। उस वक्त तो लगता था ये भाई-भाई की जंग है। लेकिन देखा जाए तो राजनीति में दुश्मन और दोस्त स्थायी नहीं होते। 2019 के बाद से जो हालात बने, उन्होंने इन दोनों को एक मंच पर ला खड़ा किया। शिवसेना का बंटवारा, BJP का बढ़ता प्रभाव – ये सब मिलकर इस गठबंधन की जमीन तैयार कर रहे थे।
और भई, मुंबई तो इस पूरे खेल का सेंटर पॉइंट है न! 36 विधानसभा सीटें, म्युनिसिपल चुनाव – यहीं पर इस गठबंधन की असली परीक्षा होगी। मुंबई सिर्फ पैसे की नहीं, मराठी अस्मिता की भी बात है। और अब दोनों भाई इसी मुद्दे पर एक साथ खड़े हैं। है न मजेदार बात?
गठबंधन का गणित और लोगों की प्रतिक्रिया
अब ये नया जोड़ीदारी कैसे काम करेगी? देखिए, दोनों पार्टियां सीट शेयरिंग पर बातचीत कर रही हैं। और भई, BJP को सीधे निशाने पर लेते हुए मराठी अस्मिता को मुद्दा बनाया है। राज ठाकरे का वो स्टेटमेंट – “हम मुंबई को बाहरी ताकतों से बचाएंगे” – साफ-साफ किसको टारगेट कर रहा है, ये तो आप समझ ही गए होंगे।
लोगों की प्रतिक्रिया? मिश्रित है भई। BJP वाले तो मजाक उड़ा रहे हैं – “MNS का अब कोई जनाधार ही नहीं बचा”। वहीं उद्धव इसे “मराठी मानस की जीत” बता रहे हैं। आम जनता? कुछ लोगों को उम्मीद है, तो कुछ को शक। सच तो यह है कि भाइयों के बीच पुराने मतभेद अभी भी हैं। क्या ये गठबंधन टिकेगा? यही तो बड़ा सवाल है।
आगे क्या? चुनौतियां और मौके
2024 का लोकसभा चुनाव और 2025 की म्युनिसिपल इलेक्शन – यही इस गठबंधन की असली परीक्षा होगी। BJP वाले तो पहले ही काउंटर प्लानिंग शुरू कर देंगे। कुछ एक्सपर्ट्स की राय है कि मुंबई में अब त्रिकोणीय लड़ाई होगी। और हां, अगर ये गठबंधन टिका रहा, तो BJP के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है।
पर सबसे बड़ा सवाल तो यही है न – क्या ये भाईचारा टिकेगा? पुराने झगड़े फिर से सामने नहीं आएंगे? या फिर ये महाराष्ट्र की राजनीति में नया अध्याय लिखेगा? एक बात तो तय है – मुंबई का ये सियासी ड्रामा अभी और रोमांचक होने वाला है। बस, पॉपकॉर्न तैयार रखिएगा!
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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com