चीन ने PM मोदी के दलाई लामा को जन्मदिन बधाई पर क्या कहा? ‘भारत को चाहिए…’
अरे भाई, भारत और चीन के बीच तनाव का एक नया मसाला चढ़ गया है। और इस बार वजह है PM मोदी का वो ट्वीट – हां हां, दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई वाला। चीन का विदेश मंत्रालय तो जैसे आग बबूला हो गया! उनके प्रवक्ता माओ निंग ने क्या कहा? “भारत को चाहिए कि…” – और फिर शुरू हो गया लेक्चर। सीधे शब्दों में कहें तो चीन को ये बिल्कुल पसंद नहीं आया।
अब थोड़ा पीछे चलते हैं। दलाई लामा… ये नाम तो सुना ही होगा? तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु, जो 1959 से हमारे यहाँ रह रहे हैं। चीन इन्हें क्या समझता है? एक तरह से उनके लिए ये ‘पब्लिक एनिमी नंबर वन’ हैं। और हमारे PM ने इन्हें बधाई दे दी… तो चीन का रिएक्शन तो आना ही था ना?
चीन ने तीन बड़े-बड़े पॉइंट्स उठाए:
1. “भारत को कंट्रोल में रखना चाहिए…” (ये लाइन तो उनकी फेवरेट लगती है)
2. दलाई लामा “तिब्बत को अंसतुलित कर रहे हैं” (वाह, नया टर्म सीखा!)
3. और सबसे मजेदार – भारत ने अभी तक कुछ नहीं कहा (यानी हम चुप हैं, पर चीन अपना माइक ड्रॉप कर चुका है)
अब सवाल ये है कि ये सब हो क्या रहा है? देखिए, एक तरफ तो हमारे देश के एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि चीन बहुत सेंसिटिव हो गया है। वहीं तिब्बती समुदाय खुश है कि भारत ने उनका साथ दिया। और चीनी मीडिया? उनके लिए तो ये नया ‘सीरियल’ शुरू हो गया है भारत-चीन रिलेशन्स का!
तो अब आगे क्या? ईमानदारी से कहूं तो… पता नहीं। लेकिन इतना तो तय है कि ये मामला जल्द ही ठंडा नहीं पड़ने वाला। भारत की तरफ से कोई स्टेटमेंट आएगा, चीन फिर से कुछ बोलेगा… और ये सिलसिला चलता रहेगा। असल में, दोनों देशों की अपनी-अपनी ‘इमेज’ का सवाल है। भारत को अपनी secular identity बनाए रखनी है, और चीन को… वो तो किसी को भी तिब्बत पर बोलने नहीं देना चाहता।
एक बात और – अगर आप सोच रहे हैं कि ये सिर्फ एक ट्वीट का मामला है… तो जरा ठहरिए। ये तिब्बत का मुद्दा है, सीमा विवाद से जुड़ा हुआ, और कौन जाने कल को किस अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठ जाए। राजनीति है भाई, सब कुछ इंटरकनेक्टेड है।
फिलहाल तो बस इतना ही… अब देखते हैं कि ये नया एपिसोड कहाँ तक जाता है। आपकी क्या राय है? कमेंट में जरूर बताइएगा!
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चीन की ओर से हर बार की तरह विरोध तो हुआ, लेकिन भारत ने साफ कर दिया – हमारे घर के मामले में दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं! सच कहूं तो, यह कोई नई बात नहीं है। PM मोदी का दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई देना… देखिए, यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी। असल में, यह हमारी विदेश नीति और संस्कृति की आज़ादी का एक स्पष्ट संदेश था।
तो सवाल यह है कि आगे क्या? हमें चीन जैसे पड़ोसी के साथ रिश्ते तो बनाए रखने हैं, लेकिन अपने मूल्यों और हितों पर कोई समझौता किए बिना। यह घटना एक तरह से हमारे इरादों का इम्तिहान थी… और हमने पास होने का संदेश दे दिया।
एक बात और – क्या आपने गौर किया कि यह सब कितने सहज तरीके से हुआ? बिना किसी बड़े ड्रामे के। शायद यही असली कूटनीति है। जैसे कहते हैं न – ‘शांति से, लेकिन दृढ़ता से’।
चीन ने PM मोदी के दलाई लामा को जन्मदिन बधाई पर क्या कहा? – जानिए पूरा मामला
अरे भाई, ये चीन-भारत के बीच का मामला है ना, तो थोड़ा सा spicy तो होगा ही! आखिर दलाई लामा को लेकर दोनों देशों के बीच तनातनी नई बात तो है नहीं। लेकिन इस बार क्या हुआ? चलिए समझते हैं…
1. चीन ने PM मोदी के बधाई संदेश पर क्यों खाई नाराजगी?
देखिए, चीन वालों का तो पुराना रिकॉर्ड है – जब भी दलाई लामा का नाम आता है, उनका BP high हो जाता है! इस बार भी उन्होंने भारत को ‘Tibet के मामलों में दखल न देने’ की सीख दे डाली। और तो और, दलाई लामा को “separatist leader” तक कह डाला। सच कहूं तो चीन का ये रवैया नया नहीं है, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी वो अपनी पुरानी रेकॉर्ड बजा रहा है।
2. भारत ने चीन के इस बयान को कैसे handle किया?
अब भारत सरकार कहां चुप बैठने वाली थी? उन्होंने साफ कह दिया कि दलाई लामा एक धार्मिक leader हैं और भारत को अपने नागरिकों को बधाई देने का पूरा हक है। और तो और, भारत ने चीन के statement को सीधे-सीधे “unnecessary” बता डाला। थोड़ा सा सॉलिड जवाब था, है ना?
*मन ही मन सोच रहा हूं – कभी-कभी diplomacy में भी सीधे शब्दों में जवाब देना जरूरी होता है।*
3. क्या ये पहली बार है जब दलाई लामा को लेकर ऐसा विवाद हुआ?
अरे भई नहीं! ये तो जैसे साल में एक बार आने वाला सीजनल ड्रामा है। चीन और भारत के बीच दलाई लामा को लेकर tensions का इतिहास काफी पुराना है। चीन की तो फिक्स्ड मानसिकता है – उनके लिए दलाई लामा = Tibet की आजादी। जबकि भारत की नजर में वो एक spiritual leader हैं। दोनों के viewpoints में जमीन-आसमान का फर्क है।
4. क्या इस छोटे से विवाद से भारत-चीन relations पर असर पड़ेगा?
Experts की मानें तो ये कोई बड़ा विवाद नहीं है। पर ये जरूर है कि ये मामला दोनों देशों के बीच के मूलभूत मतभेदों को दिखाता है – चाहे वो Tibet का मसला हो या border issues का।
*मेरी निजी राय?* चीन-भारत relations हमेशा से ही थोड़े कॉम्प्लिकेटेड रहे हैं। ऐसे छोटे-मोटे विवाद तो आते-जाते रहेंगे, लेकिन दोनों देशों को आगे बढ़ना ही होगा। वैसे भी, diplomacy में कभी-कभी ‘agree to disagree’ वाला फॉर्मूला ही काम आता है!
तो ये थी इस पूरे मामले की स्टोरी। क्या सोचते हैं आप? क्या चीन को अपने रवैये में बदलाव लाना चाहिए? कमेंट में बताइएगा!
Source: Hindustan Times – India News | Secondary News Source: Pulsivic.com