स्वदेशी ATAGS तोप: थार से सियाचिन तक, भारतीय सेना का नया ‘गेम चेंजर’ हथियार!
अरे भाई, क्या आपको पता है भारतीय सेना को जल्द ही एक ऐसा हथियार मिलने वाला है जो सच में ‘दमदार’ साबित होगा? मैं बात कर रहा हूँ Advanced Towed Artillery Gun System (ATAGS) की – जो न सिर्फ ‘मेड इन इंडिया’ है, बल्कि हमारे जवानों को थार के रेगिस्तान से लेकर सियाचिन की बर्फीली चोटियों तक में मदद करेगी। सच कहूँ तो, ये तोप हमारे सैनिकों के हाथ में एकदम ‘फायर पावर’ देगी!
असल में, इसकी कहानी 2013 से शुरू होती है। याद है ऑपरेशन सिंदूर? उसके बाद तो हमने ठान लिया था कि अब खुद के हथियार बनाएंगे। और देखिए नतीजा – DRDO और भारतीय कंपनियों ने मिलकर ये जबरदस्त तोप बना डाली। सबसे मजेदार बात? ये 48 किमी तक मार कर सकती है – यानी आजकल इस्तेमाल हो रही तोपों से कहीं ज्यादा दूर! अब सोचिए, सीमा पर तैनात हमारे जवानों के लिए ये कितनी बड़ी राहत होगी।
तो अब क्या? जल्द ही इसका आखिरी User Trial होने वाला है। अगर सब कुछ ठीक रहा (जो कि होगा ही!), तो 2025 तक सेना के पास 150 ऐसी तोपें होगी। और सुनिए – ये पूरी तरह Automated है! एक साथ 6 राउंड फायर कर सकती है। मतलब युद्ध के मैदान में ये दुश्मनों के लिए सचमुच ‘नाइटमेयर’ साबित होगी।
विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं? DRDO प्रमुख तो यहाँ तक कह रहे हैं कि इसकी रेंज और सटीकता दुनिया की बेस्ट आर्टिलरी से टक्कर ले सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने तो इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ की असली सफलता बताया है। और सच भी है न? चीन-पाकिस्तान बॉर्डर पर ये हमारी मारक क्षमता को कई गुना बढ़ा देगी।
भविष्य की बात करें तो… अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक चला, तो 2024-25 तक बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो जाएगा। यानी न सिर्फ सेना को ताकत मिलेगी, बल्कि हमारा रक्षा उद्योग भी मजबूत होगा। और तो और, विदेशों से हथियार खरीदने पर हमारी निर्भरता भी कम होगी।
सच कहूँ तो, ATAGS सिर्फ एक तोप नहीं है – ये हमारे ‘मेक इन इंडिया’ सपने की मिसाल है। थार की तपती रेत हो या सियाचिन की कड़ाके की ठंड, ये हमारे जवानों को वो ताकत देगी जिससे दुश्मनों की नींद उड़ जाएगी। और हाँ, ये हमारी आत्मनिर्भरता की राह में एक बड़ा कदम है। जय हिन्द!
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अब ये जो नया Advanced Mobile Artillery Gun System भारतीय सेना को मिल रहा है, सच कहूं तो ये सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि हमारे ‘Make in India’ सपने की जीती-जागती मिसाल है। और सबसे मजेदार बात? ये सिस्टम थार के रेगिस्तान की तपिश से लेकर सियाचिन की बर्फीली चुनौतियों तक – हर मैदान में दमखम दिखाने के लिए तैयार है।
असल में देखा जाए तो ये सिर्फ तकनीक नहीं, एक साफ संदेश है। वो भी उन सबके लिए जो भारत को कमजोर समझने की भूल करते हैं। अब हम सिर्फ सजग नहीं, बल्कि पूरी तरह से सक्षम हैं। और ये तो बस शुरुआत है, है न? आत्मनिर्भर भारत की राह में ये एक और ठोस कदम – जैसे चाय में बिस्कुट डुबोकर खाने जैसा परफेक्ट कॉम्बिनेशन!
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स्वदेशी एडवांस्ड मोबाइल आर्टिलरी गन सिस्टम – जानिए वो सब जो आप जानना चाहते हैं!
1. ये ‘स्वदेशी एडवांस्ड मोबाइल आर्टिलरी गन सिस्टम’ आखिर है क्या चीज़?
देखिए, सीधे शब्दों में कहें तो ये हमारी भारतीय सेना के लिए बना एक जबरदस्त modern artillery system है। असल में खास बात ये है कि ये पूरा का पूरा ‘मेड इन इंडिया’ है – हमारे ही दिमाग की उपज! अब आप सोच रहे होंगे, ‘अच्छा, तो क्या खास है इसमें?’ तो सुनिए, ये थार के रेगिस्तान से लेकर सियाचिन की बर्फीली चुनौतियों तक… हर मुश्किल हालात में धाँसू performance देता है। बिल्कुल जैसे एक अच्छा खिलाड़ी हर पिच पर अच्छा खेलता है।
2. इसकी खूबियाँ? सुनकर गर्व होगा!
अरे भई, इसकी बात ही कुछ और है! लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता? है। किसी भी इलाके में चलने-फिरने की ताकत? वो भी है। और सबसे मजेदार बात – ये पूरा automated है। मतलब क्या? मतलब ये कि इसे कहीं भी, कभी भी तुरंत तैनात किया जा सकता है। जैसे आपके मोबाइल में instant messaging होती है, वैसे ही ये सिस्टम instant deployment के लिए बना है। एकदम फुर्तीला!
3. ये सिस्टम हमारी सेना के लिए इतना खास क्यों?
ईमानदारी से कहूँ तो, इसका मतलब है गेम चेंजर! पहला तो ये कि ये पूरी तरह स्वदेशी टेक्नोलॉजी पर आधारित है – मतलब अब हम दूसरे देशों के भरोसे नहीं रहेंगे। दूसरा, सीमा पर दुश्मन को जवाब देने के लिए ये एकदम जानदार firepower देता है। सोचिए, जैसे क्रिकेट में आपके पास एक अच्छा फास्ट बॉलर हो तो मैच का पासा ही पलट जाता है, वैसे ही…
4. क्या सेना वाकई में इसे इस्तेमाल कर रही है?
हाँ जी, बिल्कुल! Indian Army ने इसे अपना लिया है और धीरे-धीरे अलग-अलग रेजिमेंट्स में इसे तैनात कर रही है। सच कहूँ तो? ये हमारी आर्टिलरी पावर को एक नए लेवल पर ले जाएगा। जैसे पहले के जमाने में साधारण मोबाइल फोन हुआ करते थे, और अब स्मार्टफोन आ गए हैं – वैसा ही कुछ यहाँ भी हो रहा है।
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com