जगन्नाथ मंदिर का खजाना: क्या इस बार ऑडिट से खुलेंगे कुछ राज़?
अरे भाई, पुरी के जगन्नाथ मंदिर की वो प्रसिद्ध Treasury, जहाँ सदियों से राजाओं और भक्तों ने सोना-चाँदी चढ़ाया है… उसकी ऑडिट होने वाली है! और ये कोई छोटी-मोटी बात नहीं। असल में देखा जाए तो ये भंडार तो हमारे इतिहास का जीता-जागता संग्रहालय है। अब सवाल यह है कि क्या इस ऑडिट में कुछ ऐसा सामने आएगा जो अब तक छिपा था? मंदिर प्रशासन और ASI मिलकर ये काम अगले महीने से शुरू कर रहे हैं – ठीक उसी समय जब मंदिर की 95 दिनों वाली मरम्मत पूरी हुई है। संयोग? शायद नहीं।
इतिहास का वो खजाना जिसकी सुरक्षा पर उठते रहे हैं सवाल
सच कहूँ तो, ये सिर्फ एक धार्मिक भंडार नहीं, बल्कि हमारी विरासत का अहम हिस्सा है। सोचिए, कितने राजाओं ने यहाँ अपने खजाने लुटाए होंगे! लेकिन पिछले कुछ सालों में इसकी सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठे हैं। ऐसे में ASI ने पहले तो भंडार कक्षों की मरम्मत करवाई, और अब ऑडिट का फैसला लिया है। समझदारी की बात है, है ना?
कैसे होगी ये ऑडिट? जानिए खास बातें
अब ये कोई सामान्य गिनती नहीं होने वाली। एक विशेष टीम – जिसमें मंदिर के लोग, ASI के एक्सपर्ट और सरकारी अधिकारी शामिल होंगे – हर चीज को बारीकी से चेक करेगी। हर रत्न, हर आभूषण… उसकी गिनती होगी, उसकी कीमत आँकी जाएगी। और हाँ, ये सब करने में कम से कम एक महीना तो लगेगा ही। इतना बड़ा खजाना है भाई!
लोग क्या कह रहे हैं? मिलीं मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ
मंदिर प्रशासन तो बिल्कुल clear है – “ये पारदर्शिता के लिए जरूरी है।” भक्तों को भी अच्छा लग रहा है कि उनके द्वारा चढ़ाए गए दान की सुरक्षा होगी। पर क्या आपने गौर किया? ASI वाले का ये कहना कि “ये ऑडिट सभी संदेह दूर कर देगी”… मतलब क्या पहले से ही कोई शक था? हम्म… दिलचस्प!
आगे क्या? कुछ सवाल जिनके जवाब अभी बाकी हैं
सच बताऊँ? मैं तो इस रिपोर्ट को पब्लिक होते देखना चाहूँगा। पर क्या वाकई में ये सबको दिखाई जाएगी? और अगर कुछ गड़बड़ मिली तो? फिर तो और जांच होगी। एक बात तय है – इस ऑडिट के बाद मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी। बाकी… खैर, हम आपको अपडेट करते रहेंगे। क्या पता, कल को कोई बड़ा खुलासा हो जाए!
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आखिर क्यों हो रही है जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की ऑडिट?
सवाल तो यह उठता है कि इतने सालों बाद अचानक यह ऑडिट क्यों? दरअसल, मंदिर में सैकड़ों सालों से जमा कीमती रत्नों और सोने-चांदी का सही हिसाब रखना उतना ही जरूरी है जितना कि आपके घर का बजट। Transparency के नाम पर बस बातें नहीं होनी चाहिए न? इसीलिए अब concrete action हो रहा है।
ऑडिट की तारीख और समयसीमा: कब से कब तक?
अगले महीने से शुरू होगी यह प्रक्रिया… हालांकि exact date का इंतज़ार अभी जारी है। मेरे एक source के मुताबिक, यह ऑडिट 2 हफ्ते में भी खत्म हो सकती है या फिर 3 महीने भी लग सकते हैं। असल में, problem यह है कि कोई नहीं जानता कि भंडार में कितना सामान पड़ा है – यही तो मजेदार बात है!
ऑडिट टीम: कौन लोग करेंगे यह बड़ा काम?
देखिए, इसमें मंदिर के अपने लोग तो होंगे ही, सरकारी बाबू भी नजर रखेंगे। पर सच कहूं तो, असली मजा तो तब होगा जब बाहर के financial experts और independent auditors अपनी रिपोर्ट देंगे। एक तरफ तो trust है, दूसरी तरफ verification – यही तो balance चाहिए न?
क्या ऑडिट के चलते भक्तों को होगा कोई परेशानी?
बिल्कुल नहीं! मंदिर का रोज़मर्रा का काम चलता रहेगा। पूजा-पाठ, दर्शन – सब normal तरीके से होंगे। मेरा मानना है कि अगर ऑडिट से भक्तों को दिक्कत होती, तो शायद यह पूरा exercise ही नहीं होता। आखिरकार, भक्तों का convenience सबसे important है। है न?
एक बात और – अगर आपको लगता है कि यह सब unnecessary है, तो सोचिए… क्या आप अपने बैंक अकाउंट का audit नहीं करवाते? तो फिर भगवान का खजाना?
Source: Hindustan Times – India News | Secondary News Source: Pulsivic.com