“चीन क्यों कर रहा है हूथियों की मदद? लाल सागर में विवाद और जर्मनी का राजदूत तलब!”

चीन हूथियों की मदद क्यों कर रहा है? लाल सागर का विवाद और जर्मनी का गुस्सा!

अरे भाई, क्या आपने सुना? जर्मनी ने तो चीन के राजदूत को बुलाकर सीधे-सीधे डांट लगा दी! मामला क्या है? लाल सागर में हूथी विद्रोहियों को चीन के समर्थन का। जर्मनी ने इसे “बिल्कुल नहीं चलेगा” बताया है। सच कहूं तो, यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है, और पूरी दुनिया इस पर चर्चा कर रही है।

अब थोड़ा पीछे चलते हैं। लाल सागर में हूथियों ने तो हाल ही में जमकर उत्पात मचा रखा है। International ships पर हमले, व्यापार मार्गों में रुकावट… अमेरिका और यूरोप तो पहले ही एक्शन ले चुके हैं। लेकिन चीन? उसका रुख बिल्कुल अलग है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि चीन हूथियों को चुपके से सपोर्ट कर रहा है। और यह सब ईरान के साथ उसके रिश्तों का खेल है। ईरान तो लंबे समय से हूथियों को हथियार और मदद देता आया है। अब चीन का नाम जुड़ गया है। Western देशों को यह बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा।

अभी ताजा अपडेट क्या है? जर्मनी ने चीनी राजदूत को बुलाकर औपचारिक शिकायत दर्ज करवाई है। चीन का जवाब? “हम तो शांति चाहते हैं, हथियार किसी को नहीं दे रहे।” मजे की बात यह कि अमेरिका भी अब इस मामले में बोल पड़ा है। और सबसे बड़ी चिंता की बात? लाल सागर में यह झगड़ा global economy को नुकसान पहुंचा सकता है। तेल की आपूर्ति, shipping routes – सब प्रभावित हो रहे हैं।

अब सवाल यह है कि कौन क्या कह रहा है? जर्मनी का विदेश मंत्रालय साफ-साफ बोल रहा है – “चीन का यह कदम international laws के खिलाफ है।” चीन वालों का कहना है कि वे तो शांति के पुजारी हैं। असल में? Experts की मानें तो चीन मध्य पूर्व में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है। अमेरिका को चुनौती देने का यह उसका तरीका है।

तो अब आगे क्या? अगर चीन ने हूथियों को सपोर्ट करना जारी रखा, तो western देश economic sanctions लगा सकते हैं। जर्मनी और चीन के बीच trade relations पहले से ही काफी जटिल हैं। UN को भी शायद इस मामले में दखल देना पड़े। फिलहाल तो बातचीत चल रही है। लेकिन यह विवाद जल्द ही शांत होने वाला नहीं दिखता। क्या आपको नहीं लगता?

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चीन और हूथियों का विवाद – कुछ ज़रूरी सवाल और जवाब

अरे भाई, ये चीन और हूथियों वाला मामला तो हर दिन नया मोड़ ले रहा है न? आइए, बिना किसी जटिल भाषा के समझते हैं कि असल में चल क्या रहा है…

1. चीन हूथियों की मदद क्यों कर रहा है? सच्चाई क्या है?

देखिए, चीन का ये सपोर्ट कोई नेक दिली वाला काम तो नहीं है। असल में? Middle East में अपनी पकड़ मजबूत करने का खेल है। अमेरिका को टक्कर देने का मौका भी। और हाँ, उनका पसंदीदा खेल – trade routes पर कंट्रोल। सीधे शब्दों में कहें तो, ये पूरा चालबाजी है, जिसमें हूथियों को सिर्फ मोहरा बनाया जा रहा है।

2. लाल सागर में ये तूफान क्यों मचा हुआ है?

अरे भई, लाल सागर तो global trade की जान है! दुनिया का कितना सामान यहाँ से गुजरता है, अंदाजा लगाइए। और अब हूथियों के हमलों से shipping routes अस्त-व्यस्त हो रहे हैं। सच कहूँ तो, international community की नींद उड़ गई है। और चीन? वो तो इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल बनकर उभरा है। क्यों न होता, है न?

3. जर्मनी के राजदूत को तलब करने की कहानी क्या है?

ओहो, यूरोपीय देशों का तो इस मामले में सिर दर्द हो गया है। जर्मनी ने तो खुलकर अपनी चिंता जता दी। राजदूत को तलब करना? शायद चीन से सीधे जवाब माँगने की कोशिश है। या फिर… हो सकता है वो चीन को ये समझाना चाहते हों कि अब बहुत हो चुका!

4. क्या ये विवाद World War तक जा सकता है? सच क्या है?

अभी के लिए तो नहीं, लेकिन… हालांकि… देखिए न, अगर बड़े देश आमने-सामने आ गए तो? फिलहाल तो सब diplomatic रास्ते से हल निकालने में लगे हैं। पर सच कहूँ? इतिहास गवाह है कि कभी-कभी छोटी सी चिंगारी भी बड़ा तूफान ला देती है। उम्मीद तो यही है कि ऐसा न हो।

तो ये थी इस पूरे मामले की सरल व्याख्या। कैसी लगी आपको? कमेंट में ज़रूर बताइएगा। और हाँ, कोई और सवाल हो तो पूछिए – हम तैयार हैं!

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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