“पुल उड़ा दिए, पर हार नहीं मानी: परमवीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह की अद्भुत वीरगाथा”

पुल उड़ा दिए, पर हार नहीं मानी: ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह की वो कहानी जो आपको गर्व से भर देगी

आज का दिन है एक ऐसे जांबाज़ की याद का, जिसने न सिर्फ दूसरे विश्वयुद्ध में जापान को टक्कर दी, बल्कि आज़ादी के ठीक बाद जम्मू-कश्मीर में घुस आए पाकिस्तानी कबायलियों को धूल चटा दी। सच कहूं तो ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह (जिन्हें पहले लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राणे के नाम से जाना जाता था) की कहानी सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। और हैरानी की बात ये कि उनकी रणनीतिक समझ आज भी सेना के लिए एक मिसाल है।

कर्नाटक का वो लड़का जिसने इतिहास रच दिया

1918 में कर्नाटक में जन्मे राजेंद्र सिंह… सोचिए, एक साधारण सा लड़का जिसने सेना जॉइन की और फिर क्या? द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान के खिलाफ लड़ाई! लेकिन असली टेस्ट तो 1947-48 में आया, जब पाकिस्तानी कबायलियों ने कश्मीर पर हमला बोल दिया। नौशेरा सेक्टर में उन्होंने जो किया, वो किसी एक्शन मूवी से कम नहीं। इतना जोश, इतनी सूझबूझ कि दुश्मन को पीछे हटना पड़ा। और यकीन मानिए, परमवीर चक्र मिलना तो बस एक फॉर्मेलिटी थी!

आज भी जिंदा है उनकी याद

आज उनकी पुण्यतिथि पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। रक्षा मंत्री से लेकर सेना प्रमुख तक सभी ने श्रद्धांजलि दी। और सुनिए, जम्मू-कश्मीर में उनके नाम पर स्मारक बनाने की मांग फिर जोर पकड़ रही है। रक्षा मंत्री का कहना था – “ब्रिगेडियर साहब ने साबित किया कि असली हीरो वो होता है जो मुश्किलों में भी हार नहीं मानता।” वहीं सेना प्रमुख ने उनके लीडरशिप स्किल्स की तारीफ करते हुए कहा – “आज भी हमारे जवान उनसे प्रेरणा लेते हैं।”

क्या हो रहा है आगे?

अब बात करते हैं भविष्य की। सेना उन पर एक documentary बना रही है – जो शायद इस साल के अंत तक रिलीज हो। जम्मू-कश्मीर सरकार ने तो उनके नाम पर military school खोलने का प्रस्ताव रख दिया है। और सबसे अच्छी बात? शिक्षा विभाग अब उनकी कहानी को school curriculum में शामिल करने पर विचार कर रहा है। ताकि आने वाली पीढ़ियां भी जान सकें कि असली बहादुरी क्या होती है।

देखिए, ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह की कहानी सिर्फ एक युद्ध की कहानी नहीं है। ये तो वो सबक है जो हमें सिखाता है कि चाहे स्थितियां कितनी भी खराब क्यों न हो जाएं, हार मान लेना कोई विकल्प नहीं। और शायद यही वजह है कि आज भी उनकी याद हमारे दिलों में ताज़ा है। सच में।

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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