सुवेंदु अधिकारी का बयान: “पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल इलाकों में न जाएं!” – क्या यह सचमुच चिंता की बात है?
अरे भाई, राजनीति में तो रोज़ कोई न कोई विवाद होता रहता है, लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेता सुवेंदु अधिकारी का यह बयान कुछ ज़्यादा ही हंगामा खड़ा कर गया है। सीधे-सीधे कह दिया कि पश्चिम बंगाल के लोग मुस्लिम बहुल इलाकों में न जाएं! कारण? उनके मुताबिक वहां “कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या” है। सच कहूं तो, यह बयान ऐसा है जैसे किसी चिड़ियाघर में शेर छोड़ दिया हो – सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में बहस का तूफ़ान आ गया है। और सवाल फिर वही – क्या यह सचमुच सुरक्षा की चिंता है या फिर सांप्रदायिक तनाव का खेल?
इतिहास तो देखिए: यह कोई नई बात नहीं!
देखिए, पश्चिम बंगाल और सांप्रदायिक तनाव… यह कहानी तो बहुत पुरानी है। खासकर उन इलाकों में जहां मुस्लिम आबादी ज़्यादा है। पर सच यह भी है कि यहां की राजनीति में भाजपा और TMC की लड़ाई अक्सर इन्हीं मुद्दों पर आकर अटक जाती है। सुवेंदु अधिकारी? अरे, यह तो उनका पुराना रिकॉर्ड है – विवादित बयान देने का। पर इस बार बात कुछ ज़्यादा ही गरम हो गई लगती है। क्या आपको नहीं लगता?
बयान की असलियत: क्या कहा गया, क्या मतलब निकाला गया?
तो सुवेंदु जी ने एक जनसभा में क्या कहा? उनका दावा – पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल इलाकों में “अपराध और हिंसा बढ़ रही है।” और राज्य सरकार? उनके मुताबिक बिल्कुल फेल। अब यहां दो बातें हैं न – एक तरफ वो लोग जो इसे “जमीनी हकीकत” बता रहे हैं, दूसरी तरफ वो जो इसे सांप्रदायिक बयान मानते हैं। सच्चाई शायद बीच में कहीं है। पर सवाल यह है कि क्या ऐसे बयानों से समस्या हल होगी?
राजनीति का खेल या असली चिंता?
TMC तो मानो आग बबूला हो गई! उनका कहना है – यह तो साफ़ सांप्रदायिक विभाजन फैलाने की कोशिश है। वहीं भाजपा के कुछ नेताओं ने अधिकारी का पक्ष लेते हुए कहा – “वो तो सच बोल रहे हैं।” मज़ेदार बात यह है कि सिविल सोसाइटी के लोग भी इस मामले में एकमत हैं – ऐसे बयानों से सामाजिक ताना-बाना बिगड़ सकता है। पर सवाल यह है कि क्या कोई सुन रहा है?
आगे क्या? कुछ तो होगा!
अब सबकी नज़रें दो चीज़ों पर हैं – पहला, क्या चुनाव आयोग या कोर्ट इस मामले में दखल देगा? दूसरा, क्या यह मामला केंद्र और राज्य सरकार के बीच नई टकराव की वजह बनेगा? एक बात तो तय है – पश्चिम बंगाल की राजनीति में यह नया मोड़ ज़रूर ला देगा। पर सवाल यह है कि क्या यह मोड़ अच्छा होगा?
अंत में बस इतना – ऐसे माहौल में सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदारी आम नागरिकों की ही है। शांति बनाए रखने की। क्योंकि राजनीति तो अपना खेल खेलेगी, पर नुकसान तो हम सबका ही होगा न? सोचिएगा ज़रूर।
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com