बिजनेस स्कूल डिबेट्स: करियर बनाने का जरिया या टेंशन की वजह?
शुरुआत
अगर आप बिजनेस स्कूल में पढ़ रहे हैं या जाने वाले हैं, तो डिबेट्स के बारे में जरूर सोचा होगा। असल में, ये सिर्फ क्लासरूम एक्टिविटी नहीं, बल्कि आपके पूरे करियर को शेप दे सकती हैं। आज हम बात करेंगे कि यही डिबेट्स आपके लिए गेम-चेंजर कैसे बन सकती हैं… या फिर कभी-कभी सिरदर्द भी!
डिबेट्स आखिर हैं क्या?
समझिए इसकी ABCD
बिजनेस स्कूल की डिबेट्स में students किसी टॉपिक पर जमकर बहस करते हैं। कोई formal structure हो या फिर casual open discussions – दोनों ही मायने रखते हैं। यहां तक कि कॉफी ब्रेक में होने वाली बहस भी कई बार बड़ी सीख दे जाती है!
हॉट टॉपिक्स जो चल रहे हैं
आजकल supply chain management से लेकर AI तक, marketing strategies से लेकर accounting ethics तक – सब कुछ डिबेट का विषय बन रहा है। ये वो मुद्दे हैं जो real world में आपको काम करते वक्त जरूर पालने पड़ेंगे।
डिबेट्स से मिलने वाले फायदे
स्किल्स का पैकेज डील
एक ही बार में communication skills, analytical thinking और problem-solving – तीनों चीजें सीखने को मिलती हैं। साथ ही, आपकी leadership qualities भी निखरती हैं। बोनस के तौर पर teamwork का तड़का लग जाता है!
कनेक्शन्स की दुकान
यहां professors और industry experts से मिलने का मौका मिलता है। आगे चलकर जब नौकरी की बात आएगी, तो यही contacts काम आएंगे। कहते हैं न, नेटवर्क ही नेटवर्थ है!
रिज्यूमे में चार चाँद
डिबेट्स में हिस्सा लेना आपके resume को और भी ज्यादा attractive बना देता है। Interview में जब आप अपनी debating experience के बारे में बताएंगे, तो recruiter के चेहरे पर मुस्कान जरूर आएगी।
डिबेट्स के नुकसान भी तो हैं
टेंशन का झटका
कई students के लिए competition का pressure और failure का डर बहुत रियल होता है। कभी-कभी तो confidence इतना डाउन हो जाता है कि बिस्तर से उठने का भी मन नहीं करता!
टाइम मैनेजमेंट का झंझट
डिबेट्स की तैयारी में इतना टाइम लग जाता है कि बाकी सब्जेक्ट्स पीछे छूट जाते हैं। Exams के टाइम तो ये समस्या और भी बड़ी हो जाती है।
एक ही राग अलापना
कुछ students किसी एक ही टॉपिक पर इतना focus कर देते हैं कि बाकी important aspects पीछे छूट जाते हैं। ये तब और खतरनाक हो जाता है जब करियर में diversity की जरूरत होती है।
कैसे बनाएं डिबेट्स को अपना सुपरपावर
टॉपिक चुनने की कला
सबसे पहले तो अपने career goals के हिसाब से relevant topics चुनें। वो नहीं जिसमें सिर्फ दूसरों की दिलचस्पी हो!
तैयारी का मंत्र
अच्छी research के बिना तो कुछ नहीं होने वाला। Mock debates करें, feedback लें, और फिर से practice करें। याद रखें – practice makes perfect!
बैलेंस है जरूरी
Debates और studies के बीच balance बनाना सीखें। Mental health को ignore करके अच्छा परफॉर्मेंस नहीं दिया जा सकता। थोड़ा break लेना भी जरूरी है भाई!
आखिरी बात
डिबेट्स के फायदे और नुकसान दोनों हैं, लेकिन smart approach अपनाकर आप इसे अपने करियर का सबसे बड़ा asset बना सकते हैं। हमें आपके experiences जानने की बड़ी इच्छा है – नीचे comments में जरूर बताएं!
FAQs: वो सवाल जो आप पूछना चाहते हैं
क्या हर student के लिए डिबेट्स जरूरी हैं?
Mandatory तो नहीं, लेकिन अगर आप corporate world में जाना चाहते हैं, तो ये आपके लिए game-changer साबित हो सकती हैं।
डिबेट्स में हिस्सा लेने से पहले क्या ध्यान रखें?
सबसे important है – अपने comfort level को समझें। जबरदस्ती में कुछ करने से अच्छा है धीरे-धीरे शुरुआत करना।
अगर डिबेट में हार जाएं तो?
याद रखें, failure final नहीं होता। असल में, ये तो सीखने का सबसे अच्छा तरीका है। किसी ने सही कहा है – “हार से ही तो जीत का स्वाद मीठा लगता है!”
Source: Financial Times – Work & Careers | Secondary News Source: Pulsivic.com