IIM-कलकत्ता हॉस्टल रेप केस: बीजेपी vs तृणमूल की नई जंग, पर किसका पलड़ा भारी?
11 जुलाई की वो रात… IIM Calcutta के बॉयज़ हॉस्टल में हुई एक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। एक महिला ने पुलिस शिकायत में दावा किया कि उसे काउंसलिंग के बहाने हॉस्टल बुलाया गया, और फिर नशीला पेय पिलाकर उसके साथ दरिंदगी की गई। सच कहूँ तो, ये सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। और जैसे-जैसे केस की जानकारी सामने आई, पश्चिम बंगाल की राजनीति भी आग बबूला हो गई। BJP और TMC – दोनों एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने में जुट गए।
मामला क्या है? एक प्रतिष्ठित संस्थान का काला अध्याय
देखिए, IIM Calcutta को हम सब देश के टॉप B-स्कूल्स में गिनते हैं। यहाँ ऐसी घटना? सोचा भी नहीं जा सकता। FIR के मुताबिक पीड़िता को धोखे से ड्रग्ड ड्रिंक पिलाया गया, फिर… बाकी आप समझ ही गए होंगे। पुलिस ने तुरंत केस दर्ज कर कुछ संदिग्धों को हिरासत में ले लिया। वहीं संस्थान ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए इंटरनल इन्क्वायरी कमेटी बना दी है। पर सवाल यह है कि क्या ये काफी है?
अब तक क्या हुआ? जाँच कहाँ पहुँची?
पुलिस ने इस केस को हाई प्रायोरिटी देते हुए स्पेशल टीम बना ली है। फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने क्राइम सीन से सैंपल्स लिए हैं, विक्टिम का मेडिकल भी हो चुका है – अब रिपोर्ट का इंतज़ार है। IIM कलकत्ता ने कैम्पस सिक्योरिटी पर फिर से नज़र डालने का फैसला किया है। संस्थान के प्रवक्ता ने मीडिया को बताया कि वे पीड़िता को हर संभव सहायता दे रहे हैं। परन्तु, क्या ये सब सिर्फ दिखावा है या सच में कुछ होगा? वक्त ही बताएगा।
राजनीति का खेल: बीजेपी और टीएमसी की तलवारें खींचीं
असल में तो ये केस पश्चिम बंगाल की राजनीति में नया विवाद बन चुका है। बीजेपी ने ममता सरकार पर जमकर हमला बोला – “TMC राज में महिलाओं की सुरक्षा धरी की धरी रह गई है!” वहीं टीएमसी नेता जवाब देने में पीछे कहाँ रहने वाले – “बीजेपी हर दुखद घटना को राजनीतिक रंग देने की कोशिश करती है।” स्टूडेंट्स ने भी प्रदर्शन करते हुए त्वरित न्याय की माँग की है। पर सच तो ये है कि यहाँ पीड़िता से ज्यादा राजनीति चर्चा में है।
आगे क्या? न्याय की राह कब तक लंबी होगी?
लीगल एक्सपर्ट्स की मानें तो पुलिस जाँच के आधार पर चार्जशीट तैयार होगी और मामला कोर्ट तक पहुँचेगा। पर ये प्रक्रिया कितनी तेज़ होगी? राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले चुनावों में ये केस एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। संस्थान की तरफ से नए सिक्योरिटी गाइडलाइन्स आ सकते हैं – विजिटर्स लॉग, CCTV सर्विलांस जैसे कदम। स्टूडेंट्स ने जेंडर सेंसिटिविटी वर्कशॉप्स की माँग भी की है। पर क्या ये सब पर्याप्त होगा?
इस संवेदनशील मामले में न्याय की प्रक्रिया और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आने वाले दिनों में सुर्खियाँ बटोरती रहेंगी। सभी की निगाहें अब पुलिस जाँच और कोर्ट प्रोसीडिंग्स पर टिकी हैं। एक तरफ तो न्याय की उम्मीद है, दूसरी तरफ… सिस्टम पर से भरोसा उठता नज़र आता है। सच्चाई? वो तो सिर्फ वक्त ही बताएगा।
यह भी पढ़ें:
IIM-कलकत्ता हॉस्टल रेप केस: BJP vs TMC की ये जंग क्या सच में न्याय के लिए है?
1. IIM-कलकत्ता में हुई वो घटना जिसने सबको झकझोर दिया
कल्पना कीजिए – एक छात्रा, जो अपने ही हॉस्टल में सुरक्षित महसूस करने की उम्मीद करती है, और फिर ये हादसा। IIM-कलकत्ता के हॉस्टल में रेप की ये घटना सुनकर दिल दहल जाता है। लेकिन अब सवाल ये है कि क्या ये सचमुच पीड़िता के लिए न्याय की लड़ाई है या फिर BJP और TMC के बीच एक और राजनीतिक गेंदबाजी? दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोपों की बौछार कर रही हैं – एक कह रही है ‘केस दबाया गया’, तो दूसरी कह रही है ‘राजनीति कर रहे हो’। सच क्या है? शायद हमें थोड़ा और इंतज़ार करना पड़ेगा।
2. BJP के आरोप: सच्चाई या राजनीति?
BJP की तरफ से जो आरोप आए हैं, वो काफी गंभीर हैं। वो कह रहे हैं कि TMC सरकार ने केस को दबाने की कोशिश की। पर सवाल ये उठता है – अगर ऐसा है तो क्यों? क्या सच में पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था इतनी खराब है? या फिर ये सिर्फ 2024 के चुनावों से पहले की एक सियासी चाल? मेरा मानना है कि ऐसे गंभीर मामलों में राजनीति करना… बिल्कुल गलत। लेकिन क्या हम ये मान लें कि BJP पूरी तरह निस्वार्थ है? मुश्किल सवाल है।
3. TMC का पक्ष: जवाबदेही या बचाव?
TMC का रिएक्शन तो आपने सुना ही होगा – “BJP सिर्फ राजनीति कर रही है।” उनका कहना है कि पुलिस तुरंत एक्शन लेकर जांच कर रही है। पर ईमानदारी से कहूं तो, जब तक कंक्रीट एक्शन नहीं दिखता, सिर्फ बयानबाजी से काम नहीं चलेगा। और हां, एक बात और – क्या सच में BJP सिर्फ सरकार को बदनाम करना चाहती है? हो सकता है। लेकिन क्या इसका मतलब ये है कि केस में कोई गड़बड़ी नहीं हुई? नहीं, ऐसा मान लेना भी तो गलत होगा।
4. न्याय क्यों हो रहा है लेट? असली सवाल ये है
सबसे दुखद बात ये है कि पीड़िता को अभी तक न्याय नहीं मिला। कोर्ट में केस चल रहा है, पुलिस जांच कर रही है – ये सब ठीक है। लेकिन जब दोनों बड़ी पार्टियां इस मामले को अपने-अपने तरीके से भुनाने में लगी हों, तो न्याय का रास्ता कैसे साफ होगा? देखा जाए तो, राजनीतिक दलों की ये लड़ाई सिर्फ एक चीज कर रही है – पीड़िता के न्याय में देरी। और ये बिल्कुल नहीं चलना चाहिए। एक तरफ तो हम ‘बेटी बचाओ’ का नारा लगाते हैं, दूसरी तरफ ऐसे मामलों में राजनीति करते हैं। क्या यही है हमारा सच?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com