उत्तर कोरिया पर हमला? रूस ने अमेरिका-जापान-दक्षिण कोरिया को दी खुली चुनौती!
अरे भई, अब तो मामला गरम हो गया है! रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने तो जैसे बाज़ी ही पलट दी है। उन्होंने अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया को साफ-साफ कह दिया – “उत्तर कोरिया पर military attack किया तो… खेल खत्म!” असल में ये बयान ऐसे वक्त आया है जब ये तीनों देश मिलकर उत्तर कोरिया के nuclear प्रोग्राम के खिलाफ जोरदार military exercises कर रहे हैं। सच कहूं तो, ये कोई छोटी-मोटी धमकी नहीं है।
क्या है पूरा माजरा? समझिए पूरा कंटेक्स्ट
देखिए न, उत्तर कोरिया तो पिछले कई सालों से अपने missile और nuclear टेस्ट्स को लेकर सुर्खियों में है। लेकिन अब बात और सीरियस हो गई है। अमेरिका-जापान-दक्षिण कोरिया की तिकड़ी ने तो जैसे पूरी ताकत झोंक दी है। पिछले शुक्रवार को इन्होंने कोरियाई प्रायद्वीप के पास joint air drill किया – और हैरानी की बात ये कि इसमें अमेरिका के B-52 बॉम्बर्स भी शामिल थे! यानी सीधा-सीधा मैसेज देने की कोशिश।
वहीं दूसरी तरफ… रूस और उत्तर कोरिया की दोस्ती अचानक से कितनी गहरी हो गई है! खासकर Russia-Ukraine वॉर के बाद से तो मॉस्को और प्योंगयांग एकदम गले मिलते नजर आ रहे हैं। military सहयोग, political समर्थन – सब कुछ। और अब लावरोव का ये बयान… समझ गए न कि पजल का अगला पीस कहाँ फिट होने वाला है?
लावरोव ने क्या कहा? समझिए पॉइंट्स में
रूसी विदेश मंत्री ने तो जैसे सीधे-सीधे अल्टीमेटम दे दिया:
– उत्तर कोरिया पर हमला? बिल्कुल नहीं चलेगा!
– अमेरिका और उसके दोस्त जानबूझकर माहौल खराब कर रहे हैं
– ये सारे military exercises सिर्फ उकसावे की राजनीति है
देखा जाए तो ये बयान सीधे उन हालिया military drills का जवाब है जिन्हें अमेरिका ने “defensive” बताया था। पर रूस को तो ये सब defensive नहीं, बल्कि aggressive लग रहा है। किसकी सही में सही है? ये तो वक्त ही बताएगा।
किसने क्या कहा? देशों की प्रतिक्रियाएं
अब जानते हैं कि किसने क्या रिएक्ट किया:
– रूस: “ये लोग जानबूझकर तनाव बढ़ा रहे हैं” (लावरोव का स्टेटमेंट)
– अमेरिका: अभी तक कोई ऑफिशियल जवाब नहीं, पर Pentagon का कहना है कि ये सब defensive है
– दक्षिण कोरिया: “हम किसी भी खतरे के लिए तैयार हैं” (थोड़ा मर्दाना जवाब!)
– उत्तर कोरिया: चुप्पी… लेकिन पिछले कुछ महीनों में उसके missile tests ने सबको हैरान किया है
एक तरफ तो ये सब चल रहा है, दूसरी तरफ… क्या आपने नोटिस किया कि चीन अभी तक इस मामले में चुप क्यों है? है न दिलचस्प?
आगे क्या हो सकता है? एक्सपर्ट्स की राय
अब सवाल यह है कि आगे क्या? विशेषज्ञों का मानना है कि:
1. अगर अमेरिका और गैंग military pressure जारी रखेगा, तो रूस-चीन उत्तर कोरिया को और सपोर्ट करेगा
2. UN में नए sanctions पर बहस हो सकती है
3. सबसे बड़ा डर? पूरे एशिया में एक नया cold war जैसा माहौल!
ईमानदारी से कहूं तो, ये स्थिति उतनी सिंपल नहीं है जितनी दिख रही है। कोरियाई प्रायद्वीप का ये तनाव अगले कुछ महीनों में और बढ़ सकता है। और हाँ… अगर diplomacy नहीं चली तो? फिर तो गेम ही बदल जाएगा।
तो ये थी पूरी स्टोरी। क्या सोचते हैं आप? क्या ये सब सिर्फ तनाव बढ़ाने वाली बातें हैं या वाकई में कोई बड़ा संकट खड़ा हो रहा है? कमेंट में जरूर बताइएगा!
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रूस ने अमेरिका को दी यह धमकी – सच में कितनी गंभीर है बात?
देखिए, रूस के Foreign Minister Sergey Lavrov ने तो जैसे सीधे आग लगा दी है! उनका कहना है कि अगर उत्तर कोरिया पर कोई हाथ उठाया गया तो रूस इसे अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानेगा। और यहां तक कह दिया कि अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया को इसके “गंभीर परिणाम” भुगतने पड़ सकते हैं। सुनकर लगता है जैसे कोई बॉलीवुड फिल्म का डायलॉग हो, लेकिन असलियत में यह बहुत सीरियस मामला है।
क्या खास है उत्तर कोरिया और रूस की इस दोस्ती में?
असल में ये दोनों देश तो पिछले कुछ सालों से गले मिले हुए हैं। मिलिट्री कोऑपरेशन से लेकर पॉलिटिकल सपोर्ट तक – सबकुछ चल रहा है। और सच कहूं तो दोनों का एक ही दुश्मन – अमेरिका और उसके allies। शायद इसीलिए Lavrov ने इतनी सख्त भाषा का इस्तेमाल किया। एक तरह से कहें तो “दोस्त की मदद करना हमारा फर्ज है” वाली स्थिति बन गई है।
क्या सच में अमेरिका उत्तर कोरिया पर हमला करने की सोच रहा है?
ईमानदारी से? अभी तक तो कोई ठोस सबूत नहीं मिला। हां, अमेरिका और दक्षिण कोरिया उत्तर कोरिया के nuclear program को लेकर बेचैन जरूर हैं। पर Lavrov की इस धमकी ने तो जैसे पूरे मामले को और गर्म कर दिया है। अब सवाल यह है कि क्या यह सब सिर्फ डराने-धमकाने की राजनीति है या फिर वाकई कोई बड़ा एक्शन होने वाला है?
और इस पूरे खेल में चीन कहां खड़ा है?
देखा जाए तो चीन भी उत्तर कोरिया का पुराना दोस्त है। लेकिन अजीब बात यह है कि अभी तक चीन ने इस मामले में कोई बड़ा बयान नहीं दिया। शायद वो “wait and watch” की पॉलिसी पर चल रहा है। पर अगर स्थिति और बिगड़ी तो चीन को भी मैदान में उतरना पड़ेगा – और तब सच में मामला गंभीर हो जाएगा। एकदम कबड्डी की तरह – जहां एक खिलाड़ी को छूते ही पूरी टीम मैदान में कूद पड़ती है!
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