महाराष्ट्र सरकार का ऐलान: अगले 5 साल तक बंद रहेगा नए फार्मेसी कॉलेजों का रास्ता, जानिए क्या है पूरा मामला
क्या हुआ है?
दोस्तों, महाराष्ट्र सरकार ने फार्मेसी की पढ़ाई को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है। असल में, अगले पांच साल तक राज्य में कोई नया फार्मेसी कॉलेज नहीं खुलेगा। ये फैसला अचानक नहीं लिया गया। दरअसल, मौजूदा कॉलेजों में इंफ्रास्ट्रक्चर और पढ़ाई का स्तर देखकर ही ये कदम उठाया गया है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ये फैसला क्यों लिया गया, इसके क्या मायने हैं और एक्सपर्ट्स इस पर क्या कह रहे हैं।
फैसले की मुख्य बातें
क्या-क्या है प्रतिबंध में?
- नए फार्मेसी कॉलेजों पर पूरी तरह रोक
- पुराने कॉलेज चलते रहेंगे
- नए कॉलेजों के लिए अप्रूवल प्रक्रिया रोकी गई है
किसने और कब लिया ये फैसला?
ये ऐलान महाराष्ट्र सरकार के मेडिकल एजुकेशन और ड्रग्स डिपार्टमेंट ने किया है। सरकार ने साफ कर दिया है कि अगले 5 साल तक किसी भी नए फार्मेसी कॉलेज को मान्यता नहीं मिलेगी।
आखिर क्यों लिया गया ये फैसला?
बेसिक सुविधाओं की कमी
सरकार का कहना है कि कई कॉलेज तो बस नाम के लिए चल रहे हैं। टीचर्स की कमी, लैब न होना, लाइब्रेरी का अभाव – ये सब आम समस्याएं हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में तो हालात और भी खराब हैं।
स्टूडेंट्स की कमी फिर भी कॉलेज!
ये सबसे बड़ी विडंबना है। कुछ एरियाज में तो फार्मेसी के स्टूडेंट्स ही नहीं हैं, लेकिन कॉलेज खुल गए हैं। नतीजा? कई कॉलेजों में तो 10-15 स्टूडेंट्स ही पढ़ रहे हैं!
क्वालिटी पर फोकस
सरकार चाहती है कि फार्मेसी की पढ़ाई का स्तर सुधरे। अभी तो हालात ये हैं कि डिग्री तो मिल जाती है, लेकिन नॉलेज नहीं। इससे न सिर्फ स्टूडेंट्स का नुकसान हो रहा है, बल्कि पूरे सेक्टर पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
इसके क्या हो सकते हैं असर?
पढ़ाई पर असर
अच्छी बात ये है कि मौजूदा कॉलेजों को अपना लेवल सुधारने का मौका मिलेगा। अब उनके पास टीचर्स ट्रेनिंग, लैब अपग्रेड और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने का समय होगा।
स्टूडेंट्स पर असर
एक तरफ तो विकल्प कम होंगे, लेकिन दूसरी तरफ अच्छे कॉलेजों में पढ़ने का चांस मिलेगा। लंबे समय में देखें तो ये स्टूडेंट्स के ही फायदे की बात है।
इंडस्ट्री को फायदा
जब बेहतर ट्रेंड प्रोफेशनल्स आएंगे, तो इंडस्ट्री को भी फायदा होगा। अभी तो कंपनियों को फ्रेशर्स को फिर से ट्रेनिंग देनी पड़ती है।
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स?
एजुकेशन एक्सपर्ट्स की राय
ज्यादातर एक्सपर्ट्स इस फैसले को सही मान रहे हैं। उनका कहना है कि ये क्वालिटी कंट्रोल की दिशा में अच्छा कदम है। हालांकि, कुछ का ये भी कहना है कि सिर्फ बैन लगाने से काम नहीं चलेगा, मॉनिटरिंग सिस्टम भी मजबूत होना चाहिए।
स्टूडेंट्स का क्या है कहना?
स्टूडेंट्स के बीच मिक्स्ड रिएक्शन है। कुछ को डर है कि एडमिशन मिलना और मुश्किल हो जाएगा, वहीं दूसरे स्टूडेंट्स खुश हैं कि अब उन्हें बेहतर एजुकेशन मिलेगी।
तो क्या है फाइनल वर्ड?
देखा जाए तो ये फैसला सही दिशा में उठाया गया कदम है। लेकिन सिर्फ बैन लगाने से काम नहीं चलेगा। सरकार को मौजूदा कॉलेजों की क्वालिटी सुधारने पर भी काम करना होगा। पैरंट्स और स्टूडेंट्स को सलाह दी जाती है कि एडमिशन से पहले कॉलेज की फैसिलिटीज जरूर चेक कर लें।
आपके सवाल, हमारे जवाब
1. क्या पहले से चल रहे कॉलेजों में एडमिशन पर भी रोक लगेगी?
बिल्कुल नहीं! ये रोक सिर्फ नए कॉलेजों पर है। पुराने कॉलेजों में एडमिशन प्रोसेस नॉर्मल तरीके से चलेगा।
2. अगर कोई कॉलेज इस फैसले को इग्नोर करे तो?
सरकार ने साफ कहा है कि ऐसा करने वाले कॉलेजों की मान्यता रद्द की जा सकती है। साथ ही भारी जुर्माना भी लग सकता है।
3. क्या दूसरे राज्य भी ऐसा ही कर सकते हैं?
हां, अगर किसी और राज्य में भी ऐसी ही समस्या है तो वो भी इस तरह का कदम उठा सकता है। कुछ राज्य तो पहले से ही इस पर विचार कर रहे हैं।
Source: Hindustan Times – India News | Secondary News Source: Pulsivic.com