NHAI ने AI के साथ कमाल कर दिया! 25,000 करोड़ की बचत और 155 झगड़ों का हल
अरे भाई, सरकारी दफ्तर और तकनीक का नाम सुनकर आपका दिमाग कहाँ जाता है? शायद लालफीताशाही और धीमी गति की तरफ। लेकिन NHAI ने तो इस स्टीरियोटाइप को तोड़कर रख दिया है! हाल ही में उन्होंने AI को अपने सिस्टम में इतनी शानदार तरीके से इस्तेमाल किया कि 25,000 करोड़ रुपये बचा लिए। सच कहूँ तो, यह उतना ही बड़ा कदम है जितना कि सड़क पर पहली बार मेट्रो का आना।
असल में बात यह है कि NHAI को पिछले कुछ सालों से क्या-क्या झेलना पड़ रहा था? देखिए ना – प्रोजेक्ट्स में देरी, लागत बढ़ना, ठेकेदारों से लड़ाई… बस यही सब चलता रहता था। और तो और, पैसों के गड़बड़झाले के चर्चे भी आम थे। लेकिन अब? अब तो AI और data analytics ने आकर सारा गेम ही बदल दिया है।
तो क्या किया NHAI ने? सबसे पहले तो एक AI सिस्टम लगाया जो real-time में सब कुछ मॉनिटर करता है – प्रोजेक्ट की स्पीड, खर्चा, क्वालिटी, सब कुछ! फिर 155 से ज्यादा विवादों को AI की मदद से सुलझाया। सबसे मजेदार बात? 25,000 करोड़ की बचत! यानी अब पैसा सड़कों पर लगेगा, किसी की जेब में नहीं। और हाँ, सारा डेटा अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर है – कोई छुपाने-चुराने की गुंजाइश ही नहीं।
लोग क्या कह रहे हैं इसके बारे में? NHAI के एक बड़े अधिकारी तो बस इतना कहते हैं – “AI ने हमारी लाइफ आसान कर दी!” वहीं कंस्ट्रक्शन कंपनियों का कहना है कि थोड़ी ट्रेनिंग और मिल जाए तो और भी अच्छा हो। एक्सपर्ट्स तो इसके दीवाने हो रहे हैं, और आम जनता? वो तो बस इतना चाहती है कि सड़कें जल्दी बने और अच्छी बने। सीधी सी बात है ना?
अब आगे क्या? सरकार तो इस मॉडल को दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में भी लागू करने के बारे में सोच रही है। NHAI खुद और एडवांस्ड AI टूल्स लाने की तैयारी में है। इन्वेस्टर्स का भरोसा भी बढ़ेगा – क्योंकि अब पैसा कहाँ जा रहा है, सब पारदर्शी तरीके से दिखेगा। हाँ, एक चिंता है – कुछ पुराने तरीके के काम खत्म हो सकते हैं। लेकिन उसके लिए स्किल डेवलपमेंट पर काम करना होगा। बदलाव का दूसरा नाम ही तो है प्रगति!
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NHAI ने AI का इस्तेमाल करके इतनी बड़ी बचत कैसे की? असल में क्या हुआ?
देखिए, NHAI ने सिर्फ AI-based tools लगाकर ही चमत्कार नहीं कर दिया। असल में यह एक स्मार्ट तरीका था projects को manage करने का। पहले तो planning में ही AI की मदद से सटीक अनुमान लगाए गए। फिर execution के दौरान real-time monitoring से delays पर लगाम लगी। और सबसे बड़ी बात – resources का ऐसा optimized use हुआ कि 25,000 करोड़ की बचत हो गई! यह उतना ही बड़ा है जितना कि… मान लीजिए आपके घर का monthly budget अचानक 30% कम हो जाए।
155 विवाद सुलझाने में AI ने क्या जादू किया?
अरे भई, यह कोई जादू नहीं, बल्कि data का सही इस्तेमाल है! AI ने पुराने cases के patterns analyze किए, future outcomes predict किए और dispute resolution को एकदम fast-track कर दिया। सच कहूं तो यह वकीलों और अदालतों के बोझ को कम करने जैसा है। परिणाम? 155 pending disputes का समाधान… और न जाने कितने करोड़ों का बचाया हुआ पैसा जो लंबी कानूनी लड़ाइयों में फंसा होता।
क्या दूसरे government departments भी NHAI से सबक लेंगे?
तो अब सवाल यह उठता है कि क्या यह formula दूसरी जगहों पर भी काम करेगा? मेरी राय में तो बिल्कुल! Railways हो या urban development projects, इस AI model को adapt करना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। बस थोड़ी सी willingness चाहिए। सोचिए अगर हर department अपने budget का सिर्फ 10% भी बचा ले तो…? एकदम ज़बरदस्त। सच में।
AI के बाद NHAI के projects कैसे बदलने वाले हैं?
अब तो मजा आने वाला है! AI की वजह से future highways स्मार्ट होने जा रहे हैं। Real-time monitoring से construction quality improve होगी। Automated toll collection? हां, वो भी। Traffic management? और भी बेहतर। पर सबसे interesting बात यह है कि यह सब cost-effective तरीके से होगा। मतलब आपके टैक्स के पैसे का सही इस्तेमाल। क्या यह क्रांति नहीं है?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com