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ट्रंप अपने ही बनाए संकट में फंसे: एपस्टीन साजिश के सवालों से घिरे

ट्रंप अपने ही बनाए दलदल में फंसे? एपस्टीन केस का नया मोड़!

अरे भई, पिछले हफ्ते अमेरिकी न्याय विभाग और FBI ने ऐसा उलटफेर किया कि वाशिंगटन के सारे राजनीतिक दलालों के पसीने छूट गए! एकदम से यह कहकर पलटी मारी कि एपस्टीन केस में कोई “एलिट क्लाइंट लिस्ट” है ही नहीं। सच कहूं तो यह वही बात हुई जैसे कोई जादूगर खरगोश दिखाकर फिर कह दे कि “अरे, टोपी तो खाली थी!” और अब सवाल यह है कि इस पूरे घमासान में ट्रंप कहां खड़े हैं? क्योंकि याद कीजिए, एपस्टीन के साथ उनकी तस्वीरें तो सोशल मीडिया पर आज भी वायरल होती रहती हैं।

एपस्टीन से ट्रंप तक: एक अजीबो-गरीब दोस्ती की कहानी

असल में देखा जाए तो एपस्टीन वो शख्स था जिसके बारे में कहा जाता था कि वो अमीरों का “गुप्त दरबारी” था। नाबालिग लड़कियों के साथ उसके काले कारनामे तो सबको पता हैं, लेकिन 2019 में उसकी जेल में हुई संदिग्ध मौत ने तो पूरे केस को और भी गहरा बना दिया। अब यहां मजे की बात यह कि ट्रंप ने एक समय में खुलेआम एपस्टीन को अपना “बढ़िया दोस्त” बताया था। हालांकि बाद में जब मामला गरमाया तो उन्होंने दूरी बना ली। पर अब कोर्ट डॉक्यूमेंट्स में ट्रंप का नाम आने से स्थिति फिर से गर्मा गई है। क्या यह सिर्फ संयोग है? शायद नहीं!

सरकारी U-टर्न: सच छुपाने की कोशिश या भ्रम?

तो अब स्थिति यह है कि न्याय विभाग पहले कुछ और कह रहा था, अब कुछ और। एक तरफ तो यह कहा जा रहा था कि एपस्टीन के हाई-प्रोफाइल क्लाइंट्स की लिस्ट मौजूद है, वहीं अब सरकार कह रही है कि ऐसी कोई आधिकारिक सूची है ही नहीं। है न मजेदार? और तो और, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स तो यहां तक दावा कर रही हैं कि ट्रंप एपस्टीन के घर पर बार-बार जाते थे। अगर यह सच है तो 2024 के चुनाव से पहले यह ट्रंप के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। क्योंकि अमेरिकी जनता भूलती जरूर है, लेकिन इतनी जल्दी नहीं!

दोनों तरफ से गोलियां: साजिश या सच्चाई?

इस पूरे मामले में दिलचस्प बात यह है कि हर कोई अपनी-अपनी रोटी सेक रहा है। ट्रंप वाले कह रहे हैं कि यह सब 2024 के चुनाव से पहले उनके खिलाफ साजिश है। वहीं विपक्ष वालों का कहना है कि “अब तो पारदर्शिता दिखाओ भई!” मीडिया में भी कुछ लोग इसे बड़ा स्कैंडल बता रहे हैं तो कुछ का कहना है कि यह सब बेकार की अटकलें हैं। पर सच तो यह है कि अमेरिका में अभी जो राजनीतिक माहौल है, उसमें ऐसे मामले बिना आग के धुआं नहीं होते।

आगे क्या? ट्रंप के लिए बवाल का साल!

अब अगर किसी आधिकारिक दस्तावेज़ में ट्रंप का नाम आ गया तो? फिर तो मामला और भी गंभीर हो जाएगा। 2024 की रेस में यह उनके लिए बड़ी रुकावट बन सकता है। खासकर तब जब विपक्ष इस मुद्दे को लगातार उछाले। फिलहाल तो यह लग रहा है कि यह केस और भी नए मोड़ लेगा। और हम सब जानते हैं कि अमेरिकी राजनीति में जब ऐसे मामले गर्माते हैं, तो कभी-कभी अप्रत्याशित विस्फोट भी हो जाते हैं। देखते हैं, इस बार क्या होता है!

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Source: The Hindu – International | Secondary News Source: Pulsivic.com

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