यूके में ग्रीन एनर्जी सब्सिडी पर तूफान आने वाला है? नई सरकार का गेम-प्लान
अभी तक तो यूके में ग्रीन एनर्जी को लेकर सब कुछ शांत चल रहा था, लेकिन लगता है अब राजनीतिक हवाएं बदलने वाली हैं। और ये कोई छोटा-मोटा बदलाव नहीं, बल्कि ऐसा भूचाल ला सकता है जिससे पूरा renewable सेक्टर हिल जाए। Richard Tice – जो कि राइट-विंग पॉपुलिस्ट पार्टी के डिप्टी लीडर हैं – उन्होंने तो साफ-साफ कह दिया है कि अगर उनकी सरकार बनती है, तो net zero के सारे वादे शायद कचरे के डिब्बे में जा सकते हैं। सुनकर हैरानी हुई न? मुझे भी हुई थी।
असल में बात ये है कि यूके सरकार ने 2050 तक net zero का जो सपना देखा था, उसके लिए ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स को खूब पैसा दिया जा रहा था। अच्छी बात थी न? पर अब कुछ लोग कह रहे हैं कि ये सब्सिडी तो टैक्सपेयर्स की जेब पर डाका डालने जैसा है। Richard Tice की पार्टी का तो यहां तक दावा है कि इससे आम आदमी का राशन-पानी महंगा हो रहा है। सच क्या है? शायद दोनों तरफ के तर्कों में कुछ न कुछ सच्चाई है।
अब सबसे ज्वालामुखी वाली बात – Tice ने ऐलान कर दिया है कि वो ग्रीन एनर्जी सब्सिडी को “खत्म करने पर विचार” कर रहे हैं। अरे भई! ये तो वैसा ही हुआ जैसे किसी पौधे को पानी देना बंद कर दो। Solar, wind और दूसरी renewable कंपनियां जो अभी तक सरकारी सहारे पर चल रही थीं, उनके पैरों तले से जमीन खिसक सकती है। लेकिन सवाल ये भी है कि क्या सरकारी पैसे के बिना ये सेक्टर चल भी पाएगा?
प्रतिक्रियाएं? बिल्कुल मिली-जुली। एक तरफ तो पर्यावरणविद गुस्से में हैं – “ये तो धरती मां के साथ खिलवाड़ है!” वहीं दूसरी तरफ कुछ अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि सरकारी खजाने पर से बोझ तो कम होगा। पर सच पूछो तो, किसी भी तरफ का फैसला आसान नहीं है। राजनीतिक मैदान में तो इसको लेकर बहस का तूफान आया हुआ है।
तो अब क्या? अगर ये पार्टी सत्ता में आती है तो…
– ग्रीन एनर्जी कंपनियों की हालत पतली
– नौकरियां जाने का खतरा
– पूरा यूरोप ये देखेगा कि यूके अपने वादों से पीछे तो नहीं हट रहा
– और हमारे पर्यावरण का क्या होगा? ये सवाल तो बना ही रहेगा।
एक तरफ पैसा, दूसरी तरफ धरती। कठिन चुनाव है। आप क्या सोचते हैं? कमेंट में जरूर बताइएगा।
खैर, ये कहानी अभी पूरी नहीं हुई है। जैसे-जैसे राजनीतिक घटनाक्रम बदलेंगे, हम आपको अपडेट करते रहेंगे। बने रहिए हमारे साथ!
यह भी पढ़ें:
UK में ग्रीन एनर्जी सब्सिडी पर बड़ा फैसला – जानिए क्या होगा असर?
1. सरकार ने अचानक सब्सिडी क्यों रोक दी? समझिए असली वजह
देखिए, UK सरकार का तर्क तो समझ आता है – उनका कहना है कि ग्रीन एनर्जी अब बच्चा नहीं रहा, ये अब खुद पैरों पर खड़ा हो सकता है। पर सच पूछो तो, क्या सच में ऐसा है? वैसे दूसरा पहलू ये भी है कि सरकार इस पैसे को health और education जैसे सेक्टर्स में डालना चाहती है। समझदारी की बात लगती है, है न?
2. क्या अब ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स ठप पड़ जाएंगे?
छोटी-मोटी दिक्कतें तो आएंगी ही, ये तो तय है। जैसे नए स्टार्टअप्स को फंडिंग मिलने में थोड़ा टाइम लग सकता है। लेकिन मजे की बात ये है कि कई एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि यही वक्त है इनोवेशन का! जब सब्सिडी का क्रच हटेगा, तो कंपनियां असली दम दिखाएंगी। थोड़ा कड़वा सच, पर शायद फायदेमंद।
3. Climate change के टारगेट्स का क्या होगा?
सरकार तो गारंटी दे रही है कि सब ठीक रहेगा, क्योंकि अब ग्रीन एनर्जी खुद ही प्रॉफिटेबल हो चुकी है। पर… हमेशा एक पर होता है न? कुछ एनवायरनमेंटल ग्रुप्स को लग रहा है कि ये फैसला जल्दबाजी में लिया गया है। सच क्या है? वक्त ही बताएगा।
4. भारत जैसे देशों के लिए क्या मतलब निकालें?
अगर UK में ये एक्सपेरिमेंट कामयाब रहा, तो देखते-देखते हमारे यहां भी नीतियां बदलने की बहस शुरू हो जाएगी। एक तरफ तो ये अच्छा संकेत है कि ग्रीन एनर्जी अब mainstream हो रही है। लेकिन दूसरी तरफ, क्या विकासशील देशों के लिए ये मॉडल फिट बैठेगा? बड़ा सवाल है।
Source: Financial Times – Companies | Secondary News Source: Pulsivic.com