ट्रंप और यूक्रेनी पत्रकार की भावुक बातचीत: क्या छिपा है मंशा में?
जब भावनाओं ने हावी किया राजनीति को
अक्सर राजनीति में भावनाओं के लिए जगह नहीं होती, लेकिन हाल ही NATO समिट के बाद हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ने इस धारणा को तोड़ दिया। बीबीसी यूक्रेन की मायरोस्लावा पेट्सा ने जब ट्रंप से सीधा सवाल पूछा – “क्या अमेरिका यूक्रेन को एंटी-एयर मिसाइल सिस्टम देगा?” तो जवाब में मिला एक भावुक संवाद। देखते-देखते यह मामला सैन्य मदद से ज्यादा इंसानियत की बहस बन गया।
क्या हुआ था असल में?
पूरा कॉन्टेक्स्ट समझिए
नीदरलैंड्स के हेग में हुए NATO के 75वें समिट के बाद यह प्रेस कॉन्फ्रेंस हो रही थी। यूक्रेन के लिए यह सवाल इसलिए अहम था क्योंकि रूस से जंग में उन्हें अमेरिका और NATO की मदद की सख्त जरूरत है। एंटी-एयर मिसाइल सिस्टम जैसे हथियार तो उनके लिए जान से भी ज्यादा कीमती हैं।
ट्रंप ने क्या कहा?
सीधे जवाब देने की बजाय ट्रंप ने पत्रकार से भावुक होकर कहा, “मैं आपको बहुत सारी कामयाबी दिलाना चाहता हूँ।” बात तो प्यारी लगी, लेकिन सैन्य मदद के बारे में एक स्पष्ट शब्द भी नहीं कहा। यही वजह है कि Experts के बीच अब तक बहस जारी है।
कौन हैं यह पत्रकार?
मायरोस्लावा पेट्सा की कहानी
बीबीसी यूक्रेन की यह पत्रकार सिर्फ रिपोर्टर नहीं, बल्कि युद्ध की मार झेल रहे देश की आवाज है। उनके पति खुद यूक्रेनी आर्मी में हैं, इसलिए उनकी रिपोर्टिंग में सिर्फ फैक्ट्स नहीं, बल्कि दर्द भी शामिल होता है।
युद्ध में मीडिया की भूमिका
जंग के दौरान पत्रकारों की जिम्मेदारी सिर्फ खबरें देना नहीं होती। वे एक तरफ तो दुनिया को सच दिखाते हैं, दूसरी तरफ अपने लोगों का हौसला भी बनाए रखते हैं। मायरोस्लावा जैसे पत्रकार इसका जीता-जागता उदाहरण हैं।
क्या बदलेगा अमेरिका-यूक्रेन रिश्ते में?
यूक्रेन को क्या चाहिए?
रूसी हवाई हमलों से बचने के लिए यूक्रेन को एंटी-एयर मिसाइल सिस्टम चाहिए जैसे हमें सांस लेने के लिए हवा। अमेरिका पहले भी मदद कर चुका है, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या वो और ज्यादा घातक हथियार देगा?
ट्रंप का असली इरादा क्या है?
ट्रंप का जवाब भले ही भावुक था, लेकिन अस्पष्ट जरूर था। Experts की मानें तो यह उनकी राजनीतिक चाल हो सकती है। यूक्रेन के प्रति सहानुभूति दिखाना अच्छा है, लेकिन ट्रंप की प्राथमिकता हमेशा अमेरिका फर्स्ट ही रहती है।
लोग क्या कह रहे हैं?
सोशल मीडिया पर हंगामा
ट्रंप के इस भावुक रिएक्शन ने ट्विटर और फेसबुक को गर्म कर दिया। किसी ने इसे नाटक बताया, तो किसी ने दिल की बात। #TrumpUkraine और #NATOSummit ट्रेंड करने लगे। आप भी कमेंट में बताइए – आपको क्या लगता है?
Experts की राय
ज्यादातर Experts मानते हैं कि ट्रंप ने जानबूझकर स्पष्ट जवाब नहीं दिया। हो सकता है वो भविष्य के लिए अपने हाथ खुले रखना चाहते हों। पर एक बात तो तय है – यह घटना अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भावनाओं के महत्व को दिखाती है।
तो क्या सीख मिलती है?
यह घटना साबित करती है कि राजनीति में भी इंसानियत की जगह हो सकती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या भावनात्मक बयानों से यूक्रेन को वो हथियार मिल पाएंगे जिनकी उसे जरूरत है? आने वाले दिनों में ही पता चलेगा कि ट्रंप के ये शब्द सिर्फ दिखावा थे या फिर कुछ ठोस करने का इरादा।
Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com