भावनाओं के तूफान को कैसे शांत करें? संतुलन और शांति पाने के 5 आसान उपाय

भावनाओं के इस रोलरकोस्टर से कैसे निपटें? मेरे 5 टेस्टेड टिप्स

अरे भाई, भावनाएं तो वो मसाला हैं जो ज़िंदगी को स्वाद देती हैं। पर कभी-कभी यही मसाला इतना तीखा हो जाता है कि सबकुछ अस्त-व्यस्त लगने लगता है। मैं खुद कई बार इस स्थिति से गुज़र चुका हूँ – office का stress, personal life की उलझनें, और फिर वो चिड़चिड़ापन जो छोटी-छोटी बातों पर फूट पड़ता है। लेकिन चिंता मत कीजिए, मैंने कुछ ऐसे तरीके खोजे हैं जो वाकई काम करते हैं। सच कहूँ तो ये कोई rocket science नहीं, बस छोटे-छोटे adjustments हैं जो बड़ा फर्क लाते हैं।

पहचानिए अपने अंदर के तूफान को

देखिए, हमारा शरीर बहुत smart है। वो पहले ही संकेत देने लगता है जब कुछ गड़बड़ हो रहा होता है। मसलन – रात को नींद न आना या फिर दिनभर सोने का मन करना, बिना वजह थकान महसूस होना, concentration की कमी… ये सब red flags हैं। मेरे साथ तो अक्सर ऐसा होता था कि मैं phone पर बात करते हुए भी कुछ और सोच रहा होता था। बुरी तरह से distracted!

और हाँ, इसके पीछे वजहें तो हम सब जानते हैं – late night तक office का काम, घर की tensions, junk food खाने की आदत, और exercise के नाम पर सिर्फ remote तक हाथ बढ़ाना। मज़ाक की बात नहीं, ये सच में हमारे emotional balance को बिगाड़ देता है।

मेरे 5 गो-टू टिप्स जब दिल-दिमाग़ बेकाबू हो

1. माइंडफुलनेस – बिना झंझट वाला ध्यान: मैं जानता हूँ आप सोच रहे होंगे – “भई योग-ध्यान तो मेरे बस का नहीं!” पर सच बताऊँ? सुबह सिर्फ 10 मिनट शांत बैठकर सांसों पर focus करना भी काफी है। शुरुआत में मन भटकेगा ही, पर धीरे-धीरे आदत पड़ जाएगी। मेरा personal experience है।

2. 4-7-8 ब्रीदिंग – इमरजेंसी बटन: जब कभी गुस्सा या tension बहुत ज्यादा हो, ये तरीका instant relief देता है। मैं इसे अपनी car में, office के washroom में, कहीं भी कर लेता हूँ। एकदम ज़बरदस्त। सच में।

3. डायरी लिखना – मन का कचरा फेंकना: मैं इसे emotional detox मानता हूँ। रोज़ रात को सोने से पहले जो भी दिमाग़ में चल रहा हो, उसे कागज़ पर उड़ेल दीजिए। कोई judge नहीं करने वाला। मेरी एक दोस्त तो इसे “ब्रेन डंप” कहती है – बिल्कुल सही नाम है!

4. प्रकृति का डोज: Research कहती है कि हर दिन 20 मिनट पार्क में बिताने से stress कम होता है। मैं तो अब lunch break में ही थोड़ा walk कर लेता हूँ। और अगर पार्क न हो तो? घर पर ही कुछ पौधे लगा लीजिए। मेरे balcony में तुलसी और money plant हैं – natural stress busters!

5. म्यूजिक थेरेपी: जब दिमाग़ बहुत भरा-भरा लगे, मैं instrumental music लगा लेता हूँ। कोई lyrics नहीं, बस शांत melodious tunes। YouTube पर तो ढेर सारे options हैं। मेरी personal favorite? Rain sounds with piano। एकदम मस्त!

मूड बूस्टर फूड्स – मेरे किचन के सीक्रेट्स

दोस्तों, हमारा खाना सीधे हमारे मूड को प्रभावित करता है। मैंने नोटिस किया है कि जब मैं healthy खाता हूँ तो मेरा mood भी better रहता है। यहाँ मेरी कुछ पसंदीदा चीज़ें:

– डार्क चॉकलेट (पर थोड़ी ही!) – instant mood lifter
– अखरोट और बादाम – brain food कहिए इसे
– हरी सब्ज़ियाँ – पालक तो मेरी favorite है
– केला – nature’s own happy pill
– तुलसी वाली चाय – मेरी माँ का घरेलू नुस्खा

और हाँ, जिन चीज़ों से परहेज़ करना चाहिए:
– बहुत ज्यादा चाय-कॉफी (मुझे भी छोड़ना पड़ा)
– processed और packaged food
– alcohol और smoking (ये तो obvious है)

कब लेना चाहिए professional help?

असल में बात ये है कि अगर आपको लगातार दो हफ्ते से ज्यादा समय तक:
– नींद न आए या बहुत ज्यादा आए
– खाने की आदतें पूरी तरह बदल जाएं
– daily routine के काम करने में दिक्कत हो
– खुद को नुकसान पहुँचाने के विचार आएं

तो ये red flags हैं। ऐसे में किसी अच्छे therapist से बात करना ही समझदारी है। मैंने भी एक बार counseling ली थी – कोई शर्म की बात नहीं है। बिल्कुल वैसे ही जैसे fever होने पर doctor के पास जाते हैं।

आखिरी बात – भावनाएं हमें human बनाती हैं। इन्हें suppress करने की बजाय manage करना सीखिए। मेरे ये छोटे-छोटे तरीके आपकी life को थोड़ा आसान बना देंगे। और हाँ, perfect तो कोई नहीं होता – मैं भी नहीं! पर कोशिश करते रहना ही तो ज़िंदगी है। 😊

भावनाओं के इस जंगल में शांति कैसे पाएं? कुछ आसान तरीके जो वाकई काम करते हैं

1. जब दिल दिमाग पर हावी हो जाए तो क्या करें?

असल में, हम सब वही पुरानी बात सुनते आए हैं – गहरी सांस लो। लेकिन सच कहूं तो ये वाकई काम करता है! जब भी लगे कि emotions आपको डूबो रहे हैं, बस 5-10 बार धीरे-धीरे सांस लें। मेरा तो ये personal favorite है। और हां, meditation भी ट्राई करें – शुरू में थोड़ा अजीब लगेगा, पर धीरे-धीरे असर दिखने लगेगा।

2. क्या feelings को दबाना ठीक है? सच जानिए

देखिए, हम भारतीय तो यही सीखते आए हैं कि “रोना नहीं है”, “ज्यादा feel मत करो”। लेकिन सच तो ये है कि emotions को ignore करना ठीक वैसा ही है जैसे कचरे को सोफे के नीचे छिपाना। एक दिन तो बदबू आएगी ही! बेहतर है कि उन्हें समझें, स्वीकार करें। ईमानदारी से कहूं तो ये मेरी भी सबसे बड़ी चुनौती रही है।

3. Negative thoughts का क्या करें? मेरी personal strategy

अरे भई, negative thoughts तो आते रहेंगे – ये तो हमारे दिमाग का नेचुरल तरीका है। लेकिन हमें उन्हें बढ़ावा नहीं देना। मेरा एक छोटा सा trick है – रोज सुबह उठकर 3 चीजें लिखो जिनके लिए आप thankful हो। शुरू में लगेगा ये क्या बचकाना तरीका है, पर एक महीने में फर्क खुद महसूस होगा। सच कह रहा हूं!

4. क्या पसीना बहाने से दिल हल्का होता है?

बिल्कुल! ये कोई नई बात नहीं है। जब भी मन भारी हो, बस 20 मिनट की walk पर निकल जाइए। या फिर थोड़ा yoga कर लीजिए। मेरा तो ये मानना है कि exercise एक natural anti-depressant है। है न मजेदार बात? शरीर move करेगा, तो mind भी move on करेगा। ट्राई करके देखिए!

वैसे… ये सब तरीके तभी काम करेंगे जब आप इन्हें regularly करेंगे। एक दिन में कोई बदलाव नहीं आता, है न? तो क्या सोच रहे हो? आज से ही शुरू करो!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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