परीक्षा में नकल रोकने का ये तरीका सुनकर आप भी चौंक जाएंगे!
अरे भाई, WBCHSE (पश्चिम बंगाल बोर्ड) ने तो हाल ही में एक ऐसा फैसला किया है जिस पर बहस होना तय है। सोचो जरा – परीक्षा के दौरान टॉयलेट जाने पर पाबंदी! हद है न? मतलब अब students को 3-4 घंटे तक बैठे रहना होगा, चाहे कितनी भी ज़रूरत क्यों न हो। असल में ये नकल रोकने के नाम पर किया गया है, लेकिन क्या ये ज़्यादती नहीं हो गई?
देखिए, मामला ये है कि पिछले कुछ सालों में बंगाल के कुछ स्कूलों में टॉयलेट के बहाने cheating होने के cases बढ़े हैं। कुछ चालाक students नोट्स या मोबाइल लेकर बाहर जाते थे। तो बोर्ड ने सोचा – “नहीं जाने देंगे बिल्कुल!” पर सच पूछो तो ये उस आदमी जैसा है जो चोरी रोकने के लिए पूरे मोहल्ले को ही ताला लगा दे!
नए नियम के मुताबिक:
– परीक्षा शुरू होने से पहले ही टॉयलेट जाना होगा
– एक बार पेपर शुरू हो गया तो बाहर जाने का कोई ऑप्शन नहीं
– नियम तोड़ा तो तुरंत निकाल दिया जाएगा
लेकिन सच बात तो ये है कि 18-19 साल के बच्चों से 4 घंटे तक पानी रोककर बैठने को कहना… थोड़ा ज़्यादा नहीं लगता? खासकर उनके लिए जिन्हें medical issues हों। मेरा मतलब, क्या cheating रोकने का यही एकमात्र तरीका बचा था?
अब सवाल ये उठता है कि लोग इस पर क्या सोचते हैं:
– Students तो बिल्कुल नाराज हैं – “ये तो हमारे basic rights के खिलाफ है!”
– Parents की चिंता वैसे बच्चों को लेकर है जिन्हें diabetes जैसी बीमारियां हों
– Teachers भी दो हिस्सों में बंटे हुए हैं – कुछ कह रहे हैं “जरूरी था”, तो कुछ कह रहे हैं “ये तो बच्चों के साथ ज़ुल्म है”
और हां, अब तो student unions ने विरोध प्रदर्शन की भी धमकी दे दी है। सच कहूं तो मुझे लगता है बोर्ड को थोड़ा flexible होना चाहिए। Medical emergencies के लिए कुछ exception तो रखने ही चाहिए। वरना सुना है कि दूसरे state boards भी ऐसे ही rules बनाने पर विचार कर रहे हैं। बुरी नकल होगी न?
आखिर में बस इतना कहूंगा – cheating रोकना जरूरी है, लेकिन क्या इस तरह के extreme steps लेना उचित है? एक balance तो होना चाहिए न भई! वैसे भी, जब तक students के मन में डर बैठा रहेगा, तब तक सच्ची शिक्षा कैसे मिलेगी? सोचने वाली बात है…
परीक्षा में नकल रोकने का ये नया आइडिया – क्या ये सही है या गलत? (FAQ)
1. सच में? परीक्षा के बीच में वॉशरूम जाना बंद कर दिया गया है?
हां भई, कुछ स्कूल-कॉलेजों ने तो ये हद कर दी है! नकल रोकने के नाम पर Students को exam के बीच में washroom जाने तक नहीं दिया जाएगा। मतलब साफ है – पेट दुखे या प्यास लगे, बैठे रहो! पर सवाल ये है कि क्या ये सही तरीका है? शायद नहीं…
2. इस नए नियम से बच्चों को क्या-क्या परेशानियां हो सकती हैं?
असल में देखा जाए तो ये rule सिर्फ नकल रोकने से ज्यादा health problems पैदा कर सकता है। खासकर उन Students के लिए जिन्हें diabetes जैसी medical conditions हैं। 3-4 घंटे की exam में एक बार भी पानी पीने या washroom न जाने देना? थोड़ा ज्यादा नहीं लगता?
3. कानूनी तौर पर क्या ये नियम ठीक है? अगर नहीं तो क्या करें?
देखिए, मेरे एक lawyer दोस्त ने बताया कि ये नियम students के basic human rights के खिलाफ जा सकता है। अगर आपका बच्चा इससे परेशान है तो पहले school management से बात करें। फायदा न हो तो parents association की मदद लें या फिर official complaint दर्ज कराएं। सच कहूं तो ऐसे strict rules बनाने से पहले सोचना चाहिए!
4. नकल रोकने के लिए और क्या-क्या तरीके हो सकते हैं?
भई, इतने extreme steps लेने की क्या जरूरत है? CCTV लगाओ, अच्छे invigilators रखो, question paper के different versions बनाओ – ये सब तो बेहतर options हैं न! मेरा मानना है कि washroom जाने पर रोक लगाना… ये तो बिल्कुल last option होना चाहिए। क्या आपको नहीं लगता?
एक बात और – exam pressure तो Students पर पहले से ही बहुत होता है। ऊपर से ये नए-नए rules… थोड़ा सोचिए जनाब!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com