sc stays nimisha hanging asks centre on yemen transfer 20250718120559703907

“SC ने Nimisha की फांसी पर रोक लगाई? यमन भेजने पर केंद्र से मांगा जवाब!”

SC ने Nimisha की फांसी पर रोक लगाई? यमन भेजने पर केंद्र से पूछे सवाल

क्या आपने निमिषा प्रिया का मामला सुना है? ये केरल की वो नर्स हैं जिनकी जिंदगी पिछले 6 साल से यमन की एक जेल में अटकी हुई है। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में दिलचस्प कदम उठाया है – केंद्र सरकार से सीधे सवाल पूछे हैं। सच कहूं तो, ये केस सिर्फ एक इंसान की जान का सवाल नहीं, बल्कि भारत सरकार की कूटनीतिक क्षमता की परीक्षा भी है।

और हां, अब तक की कहानी थोड़ी डरावनी है। 2017 में निमिषा पर एक यमनी नागरिक की हत्या का आरोप लगा। उनका कहना है कि ये आत्मरक्षा में हुआ था, लेकिन यमन की अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुना दी। अब जब execution की तारीख नजदीक आ रही है, तो सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया है। थोड़ी राहत की बात, है न?

एक नर्स जिसकी जिंदगी अटक गई

सोचिए, 2008 में एक युवा नर्स यमन जाती है बेहतर job की तलाश में। पैसे कमाने का सपना। लेकिन 2017 में क्या हुआ? एक झगड़ा, एक मौत, और फिर… death sentence। निमिषा की कहानी सुनकर दिल दहल जाता है।

असल में, पूरा मामला बहुत उलझा हुआ है। निमिषा का दावा है कि वो यमनी नागरिक उन्हें प्रताड़ित कर रहा था। दुर्घटनावश उसकी मौत हो गई। लेकिन यमन की अदालत को ये बात मानने में दिक्कत हुई। और अब? छह साल से एक अजनबी देश की जेल में। भारत सरकार की गुहारें अब तक बेअसर रही हैं।

SC का बड़ा सवाल: क्या यमन भेजा जा सकता है?

अब सुप्रीम कोर्ट ने एक दिलचस्प पेंच डाला है। देखिए न, मामला ये है कि निमिषा को अपील करने के लिए यमन जाना पड़ेगा। लेकिन वो तो वहां की जेल में हैं! तो सवाल ये उठता है – क्या भारत सरकार उन्हें यमन भेजकर कानूनी लड़ाई लड़ने में मदद कर सकती है?

जस्टिस जोसेफ और जस्टिस रॉय की बेंच ने केंद्र से 14 दिन में जवाब मांगा है। ये सुनकर निमिषा के परिवार को थोड़ी उम्मीद जगी है। पर सच्चाई ये है कि समय बहुत कम है। Execution की तारीख करीब आ रही है।

कौन क्या कह रहा है?

इस पूरे मामले में प्रतिक्रियाएं बहुत दिलचस्प हैं। निमिषा की माँ तो रो-रोकर मीडिया से बात कर रही हैं। ‘Save Nimisha‘ जैसे संगठनों ने SC के कदम की तारीफ की है। वहीं दूसरी तरफ, राजनीतिक दल सरकार पर नरमी का आरोप लगा रहे हैं। शशि थरूर ने तो ट्विटर पर सीधे लिख दिया – “कूटनीति से काम लो, एक जान बचानी है!”

लेकिन सच ये है कि मामला इतना आसान नहीं। यमन के साथ राजनयिक रिश्ते, अंतरराष्ट्रीय कानून… सब कुछ इस में उलझा हुआ है।

अब क्या होगा?

अगले दो हफ्ते बहुत महत्वपूर्ण हैं। केंद्र सरकार को SC को जवाब देना होगा। अगर निमिषा को यमन जाने की इजाजत मिलती है, तो शायद कुछ उम्मीद बची है। नहीं तो…? स्थिति वाकई डरावनी हो जाएगी।

एक बात तो तय है – ये मामला सिर्फ निमिषा तक सीमित नहीं। विदेशों में फंसे हजारों भारतीयों के लिए ये एक मिसाल बनेगा। क्या भारत सरकार अपने नागरिकों की रक्षा कर पाएगी? वक्त ही बताएगा।

फिलहाल तो बस इतना ही – निमिषा और उनके परिवार के लिए प्रार्थना करें। क्योंकि कभी-कभी न्याय के लिए सिर्फ प्रार्थना ही बचती है।

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

More From Author

us trade policies economists outlook improves 20250718115350390760

अमेरिकी व्यापार नीतियों पर अर्थशास्त्रियों का नया रुख: मंदी और महंगाई का डर कम!

deepak shenoy capitalmind mutual fund flexi cap nfo launch d 20250718123022601259

डीपक शेनॉय की Capitalmind म्यूचुअल फंड ने लॉन्च किया पहला फ्लेक्सी-कैप NFO – जानें पूरी डिटेल्स

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Comments