क्या चीन के लिए भारत का दरवाज़ा फिर से खुलेगा? थिंक टैंक का ये बोल्ड प्रस्ताव क्या बदल सकता है?
अच्छा, सुनो… भारत और चीन के बीच का पूरा आर्थिक समीकरण ही बदलने वाला है या नहीं, ये तो वक्त बताएगा। लेकिन हाल ही में नीति आयोग ने जो प्रस्ताव रखा है, वो काफी चर्चा में है। सीधे शब्दों में कहें तो – चीनी कंपनियों को भारत में थोड़ी आज़ादी मिल सकती है। कैसे? अभी तक तो चीनी फर्म्स को भारतीय कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने के लिए सरकारी मंजूरी चाहिए होती थी। लेकिन इस नए प्रस्ताव के तहत, वो बिना किसी परमिशन के 24% तक की हिस्सेदारी खरीद पाएंगी। बस यूं समझ लो – FDI के मामले में ये एक बड़ा शिफ्ट हो सकता है।
याद है 2020 का वो तनाव? उसके बाद का सबक
देखिए, ये सब बातें तब और दिलचस्प हो जाती हैं जब हम 2020 के गलवान घाटी विवाद को याद करते हैं। उस वक्त तो भारत ने चीन समेत सभी पड़ोसी देशों के निवेश पर सख्त पाबंदियां लगा दी थीं। क्या हुआ था? एक नया नियम आया – “अगर आप चीन या पाकिस्तान जैसे देशों से हैं, तो भारत में निवेश करने से पहले सरकार से पूछना होगा।” और फिर क्या? चीनी ऐप्स बैन होने लगे, business टेंशन बढ़ा… माहौल ही बदल गया।
प्रस्ताव की असली मासाला क्या है?
अब इस नए प्रस्ताव को समझने के लिए तीन चीज़ें याद रखनी चाहिए:
1. पहली और सबसे बड़ी बात – 24% तक की हिस्सेदारी पर से रोक हट सकती है। यानी चीनी कंपनियां सीधे deal कर पाएंगी।
2. दूसरा मकसद साफ है – manufacturing को बूस्ट करना और FDI लाना। जॉब्स बढ़ेंगे, इकोनॉमी को फायदा होगा।
3. और सबसे ज़रूरी – अभी ये सिर्फ चर्चा में है। फाइनल डिसीजन तो सरकार को लेना है।
कौन खुश, कौन नाराज़? प्रतिक्रियाओं का मिक्स्ड बैग
अब सवाल ये कि लोग इस पर क्या कह रहे हैं? सच बताऊं तो – हर कोई अपनी-अपनी राग अलाप रहा है। विपक्ष के कुछ नेताओं को लग रहा है कि ये सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। “डेटा प्राइवेसी का क्या होगा?” वाले सवाल उठ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ, CII और FICCI जैसे उद्योग संगठन तालियां बजा रहे हैं। उनका लॉजिक सीधा है – निवेश बढ़ेगा, रोज़गार मिलेगा। और चीन? वो अभी तक officially कुछ नहीं बोला है, लेकिन वहां के बिजनेस कम्युनिटी में खुशी की लहर है।
आगे क्या? कुछ अच्छा, कुछ चुनौतियां
मान लीजिए ये प्रस्ताव पास हो जाता है, तो क्या-क्या बदल सकता है? पहली बात तो – चीनी कंपनियों के लिए भारत में काम करना आसान हो जाएगा। दूसरा – सरकार कुछ सुरक्षा शर्तें भी लगा सकती है, ताकि हमारे हितों को कोई नुकसान न हो। और तीसरा, जो सबसे दिलचस्प है – भारत और चीन के बीच का पूरा आर्थिक रिश्ता ही नए सिरे से परिभाषित हो सकता है। हालांकि… एक बड़ा हालांकि… बॉर्डर डिस्प्यूट जैसे मुद्दे अभी भी बाकी हैं। वो कैसे इफेक्ट करेंगे, ये देखना बाकी है।
तो फाइनल वर्ड्स में? नीति आयोग का ये प्रस्ताव सिर्फ एक पॉलिसी चेंज नहीं, बल्कि एक बड़े स्ट्रैटेजिक शिफ्ट का संकेत हो सकता है। अगर ये पास होता है, तो दोनों देशों के बीच नए इकोनॉमिक रिलेशन्स की शुरुआत हो सकती है। लेकिन यहां एक सवाल मेरे दिमाग में कौंधता है – क्या हम सुरक्षा और विकास के बीच सही बैलेंस बना पाएंगे? वक्त ही बताएगा।
यह भी पढ़ें:
- India Supports Dalai Lama China Relations Impact
- S Jaishankar China Visit After Galwan Clash Impact On India China Relations
- Jaishankar China Visit India China Relations After Galwan
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com