नीतीश कुमार ने केजरीवाल मॉडल अपनाया… पर क्यों? चलिए समझते हैं!
अरे भई, बिहार की राजनीति में तो हाल ही में एक बड़ा ही दिलचस्प मोड़ आया है! नीतीश कुमार, जो अपने फैसलों के लिए मशहूर हैं, अब AAP के “केजरीवाल मॉडल” को अपना रहे हैं। सच कहूं तो ये मेरे लिए भी कुछ हैरानी वाली खबर थी। आखिर ये मॉडल है क्या? असल में इसमें सरकारी स्कूल-हॉस्पिटल सुधारने से लेकर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने तक की बातें हैं। अब सवाल ये है कि क्या बिहार में ये चलेगा? 2025 के चुनावों पर इसका क्या असर होगा? देखना दिलचस्प होगा!
पहले ये जान लें – केजरीवाल मॉडल आया कहां से?
देखिए, दिल्ली में तो AAP ने इस मॉडल को लेकर कमाल कर दिया है। सरकारी स्कूलों की हालत सुधारी, मोहल्ला क्लीनिक खोले… पर बिहार? यहां तो हालात बिल्कुल अलग हैं। नीतीश जी खुद तो विकास पुरुष कहलाते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में उनकी छवि पर सवाल भी उठे हैं। और हां, बिहार की समस्याएं – बेरोजगारी, पलायन, खस्ताहाल शिक्षा व्यवस्था – ये सब तो हम सब जानते ही हैं। ऐसे में ये फैसला कितना कारगर होगा? गंभीर सवाल है।
अब ताजा अपडेट क्या है?
नीतीश जी ने तो जैसे पूरा प्लान ही तैयार कर लिया है! सरकारी स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाने की बात, infrastructure सुधारने की योजना… और तो और दिल्ली जैसे मोहल्ला क्लीनिक भी लाने की बात हो रही है। भ्रष्टाचार रोकने के लिए भी नई व्यवस्था। अब सवाल ये कि क्या ये सब सिर्फ कागजों तक ही रहेगा? राजनीतिक जानकार तो ये भी कह रहे हैं कि शायद ये AAP के साथ किसी गठजोड़ की तैयारी हो। क्या पता, 2025 के चुनावों की कोई बड़ी चाल हो?
लोग क्या कह रहे हैं? मजेदार प्रतिक्रियाएं!
इस पर तो हर कोई अपनी-अपनी राय दे रहा है। AAP वाले तो खुशी से झूम रहे हैं – “देखा, हमारा मॉडल पूरे देश में चलेगा!” वहीं BJP और RJD वाले इसे “मात्र चुनावी जुमला” बता रहे हैं। एक BJP नेता तो बड़ा मजेदार कमेंट किया – “नीतीश जी नकल करने में माहिर हैं!” जनता की राय? कुछ लोग उम्मीद लगा बैठे हैं, तो कुछ का कहना है कि “ये सब वोट बैंक की राजनीति है”। सच तो ये है कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
आगे क्या? मेरी निजी राय
असल में ये पूरा मामला दो कारणों से दिलचस्प है। पहला तो ये कि अगर ये मॉडल सच में लागू हो गया, तो बिहार के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। दूसरा, 2025 के चुनावों में JDU को इससे फायदा मिल सकता है। पर… बड़ा पर… ये सब नीतीश जी के execution पर निर्भर करेगा। हम सब जानते हैं कि योजनाएं तो बहुत बनती हैं, पर असली मायने रखता है उनका सही तरीके से लागू होना। मेरा मानना है कि अगर ईमानदारी से काम हुआ, तो बिहार के लिए ये वरदान साबित हो सकता है। वरना… खैर, आप समझ ही गए होंगे!
अंत में बस इतना कि ये फैसला वाकई बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। पर ये मोड़ किस दिशा में जाएगा, ये तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल तो हम सबको बस इतना करना है – wait and watch! क्या पता, अगली बार जब बिहार जाऊं, तो वहां के सरकारी स्कूल और हॉस्पिटल देखकर हैरान रह जाऊं? उम्मीद तो अच्छी रखनी ही चाहिए, है ना?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com