NY जेलों में स्टाफ की कमी: ओवरटाइम का बिल पहुंचा $445M, और हम सब चुपचाप देख रहे हैं!
अरे भई, न्यूयॉर्क का state comptroller’s office तो बड़ा बम फोड़ने वाला है! उनकी ताज़ा रिपोर्ट पढ़कर लगा जैसे कोई सस्पेंस थ्रिलर देख रहे हों – DOCCS (यानी जेल विभाग) ने सिर्फ 2024 में ही ओवरटाइम पर $445 मिलियन (हां, आपने सही सुना… करीब 445 करोड़ रुपये!) उड़ा दिए। और हैरानी की बात ये कि पिछले साल के मुकाबले ये 21% ज्यादा है। मतलब साफ है – जेलों में कर्मचारियों की कमी अब महामारी का रूप ले चुकी है।
ये तो “धीरे-धीरे समझो” वाली कहानी है
असल में देखा जाए तो ये कोई नई समस्या नहीं। DOCCS को तो सालों से स्टाफ की किल्लत झेलनी पड़ रही है। पर सच कहूं तो हालात इतने खराब हो गए हैं कि मौजूदा कर्मचारियों को तो ओवरटाइम की मार से चूर-चूर होना पड़ रहा है। 2023 में $368M तो था ही, पर इस साल का आंकड़ा तो सच में डरावना है। और समस्या की जड़? एक तरफ तो भर्ती प्रक्रिया इतनी धीमी कि सालों लग जाते हैं, दूसरी तरफ जेल में काम करने की परिस्थितियां… उफ्फ, सोचकर ही पसीना आ जाए!
रिपोर्ट के वो “अरे बाप रे!” वाले पॉइंट्स
तो चलिए, रिपोर्ट की कुछ खास बातों पर नज़र डालते हैं:
– पहला तो ये कि $445M का ओवरटाइम बिल… यानी हर महीने करीब 37 करोड़ रुपये!
– दूसरा और डरावना आंकड़ा – स्टाफ में 30% की कमी। मतलब जो लोग हैं, उन पर काम का बोझ तीन गुना!
– सरकार ने भर्ती का वादा तो किया है, पर अभी तक सिर्फ वादे ही वादे हैं।
– और सबसे दुखद? कर्मचारियों की चीख़-पुकार… थकान, तनाव, मानसिक परेशानियां। क्या हम इंसानों से ज्यादा मशीन समझने लगे हैं?
अब सुनिए सबकी अपनी-अपनी “फिल्मी डायलॉग” वाली प्रतिक्रियाएं
जेल कर्मचारी संघ तो बिल्कुल गुस्से में है – “हमारे लोग टूट रहे हैं, और सरकार सो रही है!” राज्य नियंत्रक की चिंता बजट पर पड़ने वाले दबाव को लेकर है। और मानवाधिकार वालों की बात सुनिए – “ये सिर्फ कर्मचारियों की नहीं, बल्कि कैदियों की सुरक्षा का भी सवाल है!” सच कहूं तो हर कोई अपने-अपने तरीके से सही है। पर समाधान कहां है?
आगे की राह: वादे या वास्तविकता?
सरकार ने 5000 नई भर्तियों का ऐलान तो कर दिया है। बाकी है काम करना! ओवरटाइम पर लगाम लगाने के लिए नई नीतियां बन रही हैं… शिफ्टिंग में बदलाव वगैरह-वगैरह। पर विशेषज्ञों की चेतावनी गंभीर है – अगर जल्दी कुछ नहीं किया गया, तो जेलों में अराजकता फैल सकती है। और फिर… ये सिर्फ पैसे का नहीं, बल्कि पूरे समाज की सुरक्षा का मसला बन जाएगा। सोचने वाली बात है, है न?
NY की जेलों में स्टाफ की कमी की समस्या तो सुनी ही होगी आपने? लेकिन असल मसला ये है कि इसकी वजह से सिर्फ काम का बोझ नहीं बढ़ा – ओवरटाइम का बिल भी आसमान छू रहा है। साल भर में $445M! ये सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम में गहराते संकट का संकेत है।
अब सवाल यह है कि क्या बिना नीतिगत बदलाव के इसका हल संभव है? मेरी राय में तो नामुमकिन। पूरी जानकारी के लिए रिपोर्ट ज़रूर पढ़ें – क्योंकि जागरूकता ही पहला कदम है समाधान की तरफ।
(थोड़ा सख्त लगा? शायद। लेकिन सच तो सच है।)
NY जेलों में स्टाफ की कमी और ओवरटाइम का बढ़ता बोझ – जानिए पूरी कहानी
NY जेलों में स्टाफ इतना कम क्यों है? असली वजह जानकर हैरान रह जाएंगे
देखिए, मामला सिर्फ ‘कर्मचारी कम हैं’ तक सीमित नहीं है। असल में तो यह एक snowball effect है – पहले कर्मचारियों का बेतहाशा turnover rate (यानी लोग जल्दी-जल्दी नौकरी छोड़ देते हैं), फिर वेतन भी उतना attractive नहीं। और सबसे बड़ी बात? COVID के बाद भर्ती प्रक्रिया इतनी sluggish हो गई कि जैसे सिस्टम ही थम सा गया हो। ऊपर से जेल में काम करने की conditions… अरे भई, आसान नहीं होता वहां का माहौल!
$445M ओवरटाइम? सरकार की जेब पर कैसे पड़ रहा है यह भारी बोझ
अब यह आंकड़ा देखकर लगता है न कि बस एक number है? लेकिन असलियत तो यह है कि यह पैसा आपके-हमारे tax से जा रहा है! समझिए ना – जब स्टाफ कम होगा, तो बचे हुए कर्मचारियों को extra shifts तो लेनी ही पड़ेंगी। और हर extra hour का मतलब – सरकारी खजाने से और पैसा। पिछले 5 सालों में तो यह खर्च rocket की तरह ऊपर गया है। सोचिए, अगर यही पैसा training या better facilities पर लगाया जाता तो?
कैदियों पर क्या पड़ता है असर? जेल प्रशासन नहीं बताएगा यह सच
सुनने में भले ही technical लगे, लेकिन ground reality बिल्कुल अलग है। स्टाफ कम हुआ तो security में loopholes आने लगे। कैदियों को मिलने वाली basic facilities – जैसे medical attention या family visits – पर भी असर। और जब system ढीला पड़ेगा, तो tension तो बढ़ेगी ही न? एक तरफ तो हम चाहते हैं कि जेलें सुधार केंद्र बनें, लेकिन दूसरी तरफ conditions ऐसी कि… समझदारी की बात है।
क्या है समाधान? मेरे हिसाब से ये 3 कदम हैं जरूरी
ईमानदारी से कहूं तो quick fix तो कोई है नहीं। लेकिन long-term में:
1. भर्ती प्रक्रिया को streamline करो – online applications, faster processing
2. कर्मचारियों को देखो सिर्फ number की तरह नहीं – better salaries, mental health support
3. Training programs को 21वीं सदी के अनुकूल बनाओ
सरकार को चाहिए कि reactive होने की बजाय proactive policies बनाए। वरना यह ओवरटाइम का खेल तो चलता ही रहेगा। आप क्या सोचते हैं?
Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com