शहीद राजीव की कहानी: जब एक जख्मी शेर ने आतंकियों को चटाई थी धूल!
भारतीय सेना के इतिहास में कुछ किस्से ऐसे होते हैं जो सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सच कहूं तो, ये कहानियां सिर्फ इतिहास नहीं, जिंदा प्रेरणा हैं। और आज मैं आपको ऐसे ही एक जांबाज़ की कहानी सुनाने जा रहा हूँ – सेकंड लेफ्टिनेंट राजीव संधू की। सिर्फ 21 साल की उम्र में जिसने वो मिसाल कायम की जो आज भी युवाओं का खून गर्म कर देती है।
वो भयानक मोर्चा: जब LTTE ने किया धोखे से हमला
1987-90 का वक्त था, ऑपरेशन पवन चल रहा था। IPKF अपना मिशन अंजाम दे रही थी। अचानक एक दिन… वो हादसा! राजीव अपनी टुकड़ी के साथ LTTE के एक ठिकाने को नष्ट करने गए थे। लेकिन ये आतंकी तो घात लगाए बैठे थे। एक पल में ही… बम-बम-बम! गोलियों की बौछार। राजीव के दोनों पैर बुरी तरह जख्मी, शरीर छलनी… पर क्या ये कोई हार मानने वाला जवान था?
खून से लथपथ… पर हौसले से लबरेज!
अब यहाँ से कहानी और दिलचस्प हो जाती है। पैर टूटे, शरीर से खून बह रहा… मगर राजीव ने हार नहीं मानी। सच कहूं तो, उनका वो जज्बा देखकर दुश्मन भी शायद दंग रह गया होगा। रेंगते हुए आगे बढ़े, कार्बाइन उठाई… और एक आतंकी को ढेर कर दिया! इस बीच उन्होंने अपने साथियों को पहले सुरक्षित निकलने को कहा – असल नेतृत्व यही है न? आखिरी सांस तक मोर्चा संभाला… और वीरगति को प्राप्त हुए।
महावीर चक्र: एक बेटे को मिला देश का सलाम
1990 में राजीव को मरणोपरांत महावीर चक्र मिला। सेना प्रमुख ने सही कहा था – “ये बलिदान हमारे मूल्यों की मिसाल है।” उनके परिवार वालों ने बताया कि बचपन से ही उनमें देशभक्ति कूट-कूट कर भरी थी। आज भी उनके साथी उन्हें याद करते हैं… आँखें नम हो जाती हैं… कहते हैं – “वो असली हीरो था भाई!”
आज भी जिंदा है राजीव की विरासत
अब सवाल ये उठता है – ऐसे शहीदों को कैसे याद रखें? देखिए, राजीव की कहानी आज भी सेना के training institutes में पढ़ाई जाती है। उनके गाँव में स्मारक बनाने की मांग चल रही है। और सच तो ये है कि ऐसे वीर हमारी सुरक्षा की नींव हैं। उनके बलिदान के बिना… हमारी चैन की नींद अधूरी है।
फ़िलहाल तो इतना ही… लेकिन सोचिए, सिर्फ 21 साल की उम्र में इतना बड़ा हौसला! क्या हममें से हर कोई ऐसा कर पाएगा? शायद नहीं… इसीलिए तो ये कहानियां बार-बार सुननी चाहिए। ताकि याद रहे – हमारी आज़ादी की कीमत क्या है।
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com