‘कॉल ऑफ ड्यूटी’ वालों को टेक्सास स्कूल शूटिंग का दोषी ठहराया जा सकता है? वकील का चौंकाने वाला दावा!
सुनकर हैरानी होगी, लेकिन शुक्रवार को एक वकील ने यही दावा किया! उनका कहना है कि ‘कॉल ऑफ ड्यूटी’ बनाने वाली कंपनी पर टेक्सास के उवाल्दे स्कूल शूटिंग के मामले में दायर मुकदमा बेबुनियाद है। सीधे शब्दों में कहें तो, उनके मुताबिक गेम कंपनी इस खौफनाक घटना के लिए कानूनी तौर पर जवाबदेह नहीं हो सकती। लेकिन सवाल यह है कि क्या सच में वीडियो गेम्स और असली दुनिया की हिंसा का कोई कनेक्शन है? यह बहस तो नए सिरे से शुरू हो गई है।
क्या हुआ था उस दिन? एक ऐसी त्रासदी जिसे भुलाया नहीं जा सकता
24 मई 2022 का वो काला दिन… टेक्सास के उवाल्दे में रॉब एलीमेंटरी स्कूल में हुई गोलीबारी ने पूरे अमेरिका को हिला दिया। 19 मासूम बच्चे और 2 शिक्षक – सब कुछ चंद मिनटों में खत्म हो गया। हमलावर? 18 साल का साल्वाडोर रामोस, जिसे बाद में पुलिस ने ढेर कर दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके बाद क्या हुआ? पीड़ितों के परिवारों ने ‘कॉल ऑफ ड्यूटी’ बनाने वाली कंपनी एक्टिविज़न ब्लिज़ार्ड पर केस कर दिया! उनका दावा – यह गेम ही था जिसने हमलावर को हिंसा के लिए उकसाया। है न चौंकाने वाला तर्क?
कंपनी का जवाब: “हम नहीं हैं जिम्मेदार!”
एक्टिविज़न ब्लिज़ार्ड के वकीलों ने जो जवाब दिया, वो भी कम दिलचस्प नहीं। उनका कहना है, “भई, हम कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं?” उनके तर्कों की बात करें तो:
– अब तक कोई रिसर्च यह नहीं साबित कर पाई कि वीडियो गेम्स से असली हिंसा होती है
– अगर अदालत हमें दोषी ठहराती है, तो यह एक खतरनाक उदाहरण बनेगा
सच कहूं तो, कंपनी की बात में दम तो लगता है। लेकिन फिलहाल अदालत इस मुकदमे को खारिज करने पर विचार कर रही है।
दो अलग-अलग नजरिए: समाज बनाम गेमर्स
इस मामले में लोग दो गुटों में बंटे हुए हैं। एक तरफ पीड़ित परिवारों का पक्ष:
“ये हिंसक गेम्स युवाओं को गलत रास्ते पर ले जाते हैं। कंपनी को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”
वहीं दूसरी ओर गेमिंग कम्युनिटी का कहना है:
“अरे भई, गेम्स तो मजे के लिए हैं। हर कोई तो हिंसक नहीं हो जाता!”
मनोवैज्ञानिक क्या कहते हैं? उनका मानना है कि:
“गेम्स का असर हर व्यक्ति पर अलग होता है। यह कोई एकलौता कारण नहीं हो सकता।”
सच तो यह है कि हिंसक व्यवहार के पीछे कई कारण होते हैं – परिवार, माहौल, मानसिक स्थिति। गेम्स को अकेले दोष देना… शायद जल्दबाजी होगी।
आगे क्या? एक ऐसा फैसला जो इतिहास बना देगा
यह केस सिर्फ एक मुकदमा नहीं, एक मिसाल बनने जा रहा है। अदालत का फैसला तय करेगा:
– क्या भविष्य में गेम कंपनियों को हिंसक घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकेगा?
– गेमिंग इंडस्ट्री के लिए यह राहत की सांस होगी या नए नियमों की शुरुआत?
अगर मुकदमा खारिज होता है – गेम कंपनियों के चेहरे पर मुस्कान। अगर चलता रहा – तो यह एक नए युग की शुरुआत होगी। एक बात तो तय है – यह फैसला सिर्फ गेमिंग इंडस्ट्री को ही नहीं, बल्कि पूरे मीडिया और हिंसा के रिश्ते को नए सिरे से परिभाषित करेगा।
असल में देखा जाए तो यह बहस टेक्नोलॉजी और समाज के बीच की उस बड़ी लड़ाई का हिस्सा है। एक तरफ माता-पिता चिल्ला रहे हैं – “हमारे बच्चों को बचाओ!” दूसरी ओर गेम डेवलपर्स कह रहे हैं – “हमारी क्रिएटिव फ्रीडम छीनने की कोशिश मत करो!” अदालत को इन दोनों के बीच संतुलन बनाना है। मुश्किल काम है। लेकिन नामुमकिन? नहीं।
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असल में, Texas स्कूल शूटिंग जैसी घटनाओं के बाद हमेशा एक सवाल उठता है – क्या Video Games इसकी वजह हैं? देखा जाए तो ‘Call of Duty’ जैसे Games में हिंसा तो है, लेकिन क्या ये सच में Real-Life Violence को ट्रिगर करते हैं? मेरा मानना है कि ऐसा सोचना थोड़ा आसान हो जाता है।
सच तो यह है कि ये मामला हमें Society, Parenting और Gun Control जैसे बड़े सवालों की तरफ ले जाता है। Video Games को दोष देना तो ऐसा ही है जैसे बुखार होने पर थर्मामीटर को कोसना!
हालांकि, ये बहस ख़त्म होने वाली नहीं। लेकिन क्या हम गलत चीज़ पर focus कर रहे हैं? सोचने वाली बात है।
Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com