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“1 मिनट में 700 गोलियां दागने वाला AK-203! अमेठी का ‘शेर’ पाकिस्तान को कांपने पर मजबूर करेगा”

AK-203: अमेठी का ये ‘शेर’ पाकिस्तान को क्यों डरा रहा है? 1 मिनट में 700 गोलियां… सच में?

अरे भाई, भारतीय सेना का नया खिलौना देख लो! AK-203 असॉल्ट राइफल… नाम सुनकर ही दुश्मनों की नींद उड़ गई होगी। असल में, ये कोई मामूली बंदूक नहीं है – एक मिनट में 700 राउंड? सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं न? और सबसे मजेदार बात – ये ‘शेर’ अब पूरी तरह ‘मेड इन इंडिया’ होने वाला है। अमेठी के कोरवा में IRRPL फैक्ट्री 2025 तक इसे बनाने लगेगी। सोचो, हमारे देश के सिपाही अब रूसी नहीं, भारतीय AK चलाएंगे। गर्व की बात है न?

रूस के साथ जुगलबंदी, पर स्वदेशी स्वर

देखा जाए तो ये प्रोजेक्ट दिलचस्प है। एक तरफ तो रूस के साथ पुरानी दोस्ती का फायदा, दूसरी तरफ ‘मेक इन इंडिया’ का सपना। हालांकि, कुछ लोग पूछेंगे – “यार, पूरी तरह स्वदेशी कब होगा?” लेकिन 2025 तक 100% भारत में बनने वाली ये राइफल्स… छोटा कदम नहीं है। और सुनो – अमेठी वालों के लिए तो ये गेम-चेंजर साबित होगा। रोजगार मिलेगा, इलाके का विकास होगा… बस अब फैक्ट्री लगाने के बाद उसका धुआँ न उड़ाएं यार!

2025 का टारगेट: 1 लाख राइफल्स!

अब नंबरों की बात करें तो… IRRPL का प्लान महत्वाकांक्षी है। 2026 तक 1 लाख राइफल्स? 2030 तक 6 लाख? भई साहब! पर सवाल ये उठता है – क्या हमारी फैक्ट्रियां इतनी क्षमता रखती हैं? खैर, टेक्निकल स्पेसिफिकेशन्स तो जबरदस्त हैं। 700 RPM की फायर रेट वाली हल्की राइफल… आतंकवादियों के लिए बुरे सपने जैसी। लेकिन याद रहे – हथियार अच्छे हों, पर इस्तेमाल करने वाले हाथ भी मजबूत होने चाहिए।

लोग क्या कह रहे? एक्सपर्ट्स से लेकर अमेठी वाले तक

रक्षा विशेषज्ञों की राय? “गेम चेंजर” बोल रहे हैं। पर मैं कहूँगा – देखते हैं प्रैक्टिकल में कैसा परफॉर्म करती है। सरकार का दावा है कि ये आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है… शायद सही भी है। और अमेठी वालों की खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं! उन्हें तो बस नौकरियां चाहिए… जो मिलेंगी। बस भगवान करे योजना सफल हो।

भविष्य? एक्सपोर्ट भी हो सकता है!

अब आगे की सोचें तो… सेना तो इसे अपना ही रही है, पर क्या हमारे मित्र देशों को भी एक्सपोर्ट कर पाएंगे? अगर हाँ, तो ये भारत के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। और हो सकता है AK-203 की सफलता के बाद और भी एडवांस्ड वेपन्स बनाने का मौका मिले। पर पहले तो ये प्रोजेक्ट पूरा होने दो भाई!

तो यारों, निष्कर्ष ये कि AK-203 सिर्फ एक राइफल नहीं, भारत की बढ़ती रक्षा क्षमता का प्रतीक है। पाकिस्तान डरे या न डरे, पर हमारे जवानों का मनोबल तो बढ़ेगा ही। बस एक गुजारिश – इतने शक्तिशाली हथियार बनाने के बाद… इस्तेमाल करने की नौबत ही न आए। शांति हमेशा बेहतर है, है न?

अमेठी में बनने वाली AK-203 राइफल्स के बारे में सुनकर एक बात तो तय है – भारतीय सेना की मारक क्षमता अब और भी ज़्यादा खतरनाक होने वाली है। सोचिए, ये सिर्फ एक राइफल नहीं, बल्कि हमारे जवानों के हाथों में एक जानदार हथियार है जो सुरक्षा के साथ-साथ दुश्मन की नींद उड़ाने का काम करेगा।

तेज़ फायरिंग रेट और उसकी घातक क्षमता की बात करें तो… अरे भाई, पाकिस्तान को तो बस यही सोच-सोचकर बैठना पड़ेगा कि अब क्या होगा! लेकिन असल में, यह हमारे लिए सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की एक बड़ी उपलब्धि है।

और हाँ – जय हिंद! क्योंकि देश की सुरक्षा से बड़ा कुछ नहीं।

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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