बांग्लादेश जेट क्रैश: भारतीय बर्न स्पेशलिस्टों की टीम घायलों के इलाज के लिए रवाना

बांग्लादेश जेट क्रैश: भारत ने भेजी बर्न स्पेशलिस्टों की टीम, पर क्या यह सिर्फ एक औपचारिकता है?

अरे भाई, बांग्लादेश में F7 फाइटर जेट क्रैश की खबर सुनकर दिल दहल गया। लेकिन यहाँ एक अच्छी खबर भी है – भारत सरकार ने तुरंत एक्सपन रिएक्शन दिखाते हुए बर्न स्पेशलिस्टों की टीम भेज दी। असल में देखा जाए तो यह हमारी “पड़ोसी पहले” नीति का सिर्फ एक उदाहरण भर नहीं है। बल्कि… यह तो वो पुरानी दोस्ती है जिसमें मुसीबत के वक्त एक-दूसरे का साथ देना शामिल है। याद कीजिए कोविड के दिनों को, जब हमने वैक्सीन की खेप भेजी थी।

क्या हुआ था असल में?

देखिए, मामला यह है कि ढाका के पास एक एयरबेस पर ट्रेनिंग के दौरान यह जेट क्रैश हो गया। और हाँ, जैसा कि ऐसे हादसों में होता है – बर्न इंजरी वाले मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा थी। बांग्लादेश सरकार ने तुरंत काम शुरू कर दिया, लेकिन… यहाँ बात सिर्फ इलाज की नहीं है। बात है तुरंत मदद पहुँचाने की। और भारत ने यही किया।

एक दिलचस्प बात – क्या आप जानते हैं कि हमारे सफदरजंग हॉस्पिटल और AIIMS के डॉक्टर्स बर्न केस में कितने एक्सपर्ट हैं? सच कहूँ तो दुनिया के टॉप लेवल पर। और यही एक्सपर्ट्स अब बांग्लादेश पहुँच चुके हैं, अपने साथ लेकर एडवांस्ड मेडिकल इक्विपमेंट्स भी।

क्यों मायने रखती है यह मदद?

सुनिए, अंतरराष्ट्रीय रिश्तों की बात करें तो यह कोई बड़ी बात नहीं लगती। लेकिन असल में? यही छोटे-छोटे कदम बड़े बदलाव लाते हैं। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने जो “समय पर और सराहनीय” कहा, वह सिर्फ औपचारिकता नहीं थी। एक घायल के रिश्तेदार का कहना था – “हमें भरोसा है भारतीय डॉक्टर्स पर” – और यही तो असली पेमेंट है डॉक्टर्स के लिए!

हालांकि… एक सवाल मन में उठता है – क्या ऐसे हादसों के बाद सिर्फ मेडिकल हेल्प भेजना काफी है? शायद नहीं। इसलिए तो बातचीत चल रही है मिलिट्री सेफ्टी प्रोटोकॉल्स पर संयुक्त वर्कशॉप्स की। समझदारी की बात है, है न?

आगे क्या?

अब दो चीजें देखनी बाकी हैं – पहला, हमारी मेडिकल टीम कैसा परफॉर्म करती है। और दूसरा… इस हादसे से क्या सीख मिलती है। एक तरफ तो यह ट्रेजडी है, लेकिन दूसरी तरफ यह हमें याद दिलाती है कि इंसानियत किसी बॉर्डर से बंधी नहीं होती।

और हाँ, एक बात और – क्या आपने नोटिस किया कि हमारे विदेश मंत्रालय ने ट्वीट में क्या खूब कहा? “मुश्किल घड़ी में साथ खड़े हैं”। सचमुच। बस इतना ही कहना चाहिए था।

अंत में…

तो देखा आपने? यह सिर्फ एक जेट क्रैश की खबर नहीं है। यह एक कहानी है दोस्ती की, मानवता की, और उस रिश्ते की जो संकट के समय और मजबूत होता है। और हाँ… यह उम्मीद की कहानी भी है – कि आने वाले दिनों में स्वास्थ्य और सुरक्षा के मोर्चे पर हमारा सहयोग और गहराएगा।

क्योंकि अंत में… दिल से दिल मिलते हैं, सरहदों से नहीं। है न?

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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