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“संसद में फिर हंगामा! जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस की बड़ी चाल, SIR मुद्दे पर जोर”

फिर हुआ संसद में हंगामा! धनखड़ का इस्तीफा और SIR मुद्दा… कांग्रेस की चाल या असली चिंता?

अरे भई, आज तो संसद में फिर से वही पुराना नज़ारा – चिल्लाते हुए नेता, गूंजती आवाज़ें और बैठकों के बजाय बवाल। मानसून सत्र का यह दिन किसी पुरानी बॉलीवुड फिल्म की तरह ड्रामाई रहा। एक तरफ कांग्रेस के माणिकम टैगोर ने बिहार के SIR (Special Investment Region) मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव ठोक दिया, तो दूसरी ओर धनखड़ साहब के इस्तीफे को लेकर बहस गरमा गई। सच कहूं तो, ये दोनों मुद्दे अब सरकार और विपक्ष के बीच नया युद्धक्षेत्र बनते दिख रहे हैं।

SIR विवाद और धनखड़ का मामला – क्या है पूरी कहानी?

देखिए न, बिहार वाला SIR प्रोजेक्ट तो पहले से ही विवादों में था। किसानों की ज़मीन लेने को लेकर विपक्ष का रोना-धोना चल ही रहा था। पर अब तो मामला संसद तक पहुंच गया है। और हां, धनखड़ साहब का मसला भी कम दिलचस्प नहीं! कांग्रेस वालों ने उनके खिलाफ ‘नैतिकता’ का तोप खोल दिया है। सवाल यह है कि क्या ये सच में जनहित के मुद्दे हैं या फिर सिर्फ राजनीति का खेल?

संसद में क्या हुआ? – बहस, प्रस्ताव और गरमा-गरम माहौल

तो स्थिति ये थी – कांग्रेस वालों ने SIR मुद्दे पर सदन रोकने की मांग की। भाजपा वालों ने इसे ‘समय की बर्बादी’ बताया। और धनखड़ साहब का मामला? वो तो राज्यसभा में आग लगा गया! TMC समेत कई दल उनके इस्तीफे की मांग करते नजर आए। एक तरफ तो ये सब हो रहा था, दूसरी तरफ महत्वपूर्ण बिलों पर चर्चा ठप्प। क्या यही है हमारी लोकतंत्र की ताकत?

नेताओं के बयान – किसने क्या कहा?

टैगोर साहब तो बिल्कुल आगबबूला – “SIR किसानों के खिलाफ साजिश है!” भाजपा वाले अपने अंदाज में – “विपक्ष को सिर्फ हंगामा करना आता है।” और TMC? वो तो धनखड़ साहब के मामले में ‘संवैधानिक मर्यादा’ की दुहाई दे रहे हैं। सच पूछो तो, हर कोई अपनी रोटी सेक रहा है।

अब आगे क्या? – राजनीति का अगला पासा

अब सवाल यह है कि SIR मुद्दे पर जांच होगी या नहीं? और धनखड़ साहब? क्या वो इस्तीफा देंगे? विश्लेषक कह रहे हैं कि ये टकराव पूरे मानसून सत्र को प्रभावित कर सकता है। मतलब साफ है – और बिल लटकेंगे, और बहसें होंगी। पर क्या कभी कोई हल निकलेगा? ये तो वक्त ही बताएगा।

अंत में इतना ही – आज फिर संसद ने हमें दिखा दिया कि राजनीति में बहस और हंगामे का फर्क कितना बारीक है। SIR हो या धनखड़ का मामला, असली सवाल तो यह है कि क्या जनता के मुद्दे कहीं इस सबके बीच दब तो नहीं रहे? खैर, अगले कुछ दिन बताएंगे कि ये सब कहां जाकर थमता है।

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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