पाकिस्तान की शाहीन-3 मिसाइल: खुद की गलती से खुद को खतरा?
22 जुलाई 2025 का वो दिन… जब पाकिस्तानी सेना का दावा एक बार फिर धराशायी हो गया। शाहीन-3 मिसाइल का परीक्षण? नहीं यार, बल्कि एक ऐसी फजीहत जिसने उनकी तकनीकी कमजोरियों को बेनकाब कर दिया। असल में, बात ये हुई कि उनकी “सबसे उन्नत” मिसाइल का मलबा बलूचिस्तान के डेरा बुगटी में जा गिरा। और यहाँ मजा (या कहें डरावनी बात) ये है कि ये जगह उनकी एक परमाणु सुविधा से सिर्फ कुछ किलोमीटर दूर थी! सोचिए अगर थोड़ा और करीब गिरती तो…?
क्यों फेल हो रही हैं पाकिस्तान की मिसाइलें?
अब सवाल ये उठता है कि आखिर शाहीन-3 जैसी मिसाइलें, जिसे पाकिस्तान अपनी “राष्ट्रीय सुरक्षा की गारंटी” बताता है, इतनी बार फेल क्यों हो रही हैं? देखा जाए तो 2,750 किमी तक मार करने वाली ये मिसाइल सैद्धांतिक रूप से तो बहुत खतरनाक है… पर प्रैक्टिकली? पिछले कुछ सालों में इसके परीक्षणों की फेल्योर रेट किसी सस्ते स्मार्टफोन से भी ज्यादा है। और इस बार तो हद हो गई – परमाणु सुविधा के पास गिरना? ये कोई मजाक नहीं है दोस्तों!
वो 5 मिनट जब सबकी सांसें अटक गईं
स्थानीय लोगों के मुताबिक, विस्फोट इतना जबरदस्त था कि 10 किमी दूर तक खिड़कियाँ हिल गईं। एक गड्ढा? नहीं यार, क्रेटर जैसा कुछ बन गया। ईमानदारी से कहूँ तो ये सिर्फ किस्मत थी कि ये मलबा आबादी से दूर गिरा। नहीं तो… खैर, सोचकर ही रूह काँप जाती है।
विशेषज्ञों की चिंता: “ये तो बस शुरुआत है”
परमाणु सुरक्षा के जानकार डॉ. अमित शर्मा का कहना है – “ये कोई छोटी-मोटी गलती नहीं, बल्कि criminal negligence है।” और सच में, अगर मिसाइल थोड़ा और left या right होती तो? radiation leak, environmental disaster… पूरा साउथ एशिया प्रभावित हो सकता था। बलूच नेताओं ने तो सीधे-सीधे पाक सरकार पर जानबूझकर लापरवाही बरतने का आरोप लगा दिया है।
अब आगे क्या? 3 बड़े सवाल
पहला – क्या पाकिस्तान को अपने missile test protocols पर दोबारा सोचना चाहिए? दूसरा – क्या परमाणु साइट्स के आस-पास ऐसे खतरनाक टेस्ट्स पर रोक लगनी चाहिए? और तीसरा सबसे अहम – क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए? खासकर तब जब बलूचिस्तान पहले से ही असंतोष की आग में झुलस रहा है।
एक तरफ तो ये घटना पाकिस्तान की तकनीकी अक्षमताओं को उजागर करती है… लेकिन दूसरी तरफ ये पूरे region के लिए एक wake-up call है। Nuclear safety को लेकर ये लापरवाही किसी भी समय बड़ी तबाही ला सकती है। अब देखना ये है कि आने वाले दिनों में इसके political और strategic repercussions क्या होंगे। एक बात तो तय है – इस बार पाकिस्तान बिना किसी international pressure के नहीं बच पाएगा!
पाकिस्तान की शाहीन-3 मिसाइल का अपने ही न्यूक्लियर facility के पास गिरना… सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं, है ना? ये कोई छोटी-मोटी घटना नहीं है, बल्कि एक ऐसी गलती है जो पूरे राष्ट्र की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा देती है। असल में देखा जाए तो ये भाग्यशाली रहा कि मिसाइल किसी आबादी वाले इलाके में नहीं गिरी। लेकिन सवाल यह है कि अगली बार क्या होगा?
हालांकि पाकिस्तान इस घटना को हल्के में ले रहा है, पर सच तो यह है कि उनकी missile technology और safety protocols दोनों ही खतरनाक तरीके से लापरवाह लगते हैं। ईमानदारी से कहूं तो, यह उतनी ही बड़ी चूक है जितना कि कोई बंदूक अपने ही पैर पर चला ले। और सबसे डरावनी बात? अगली बार निशाना भारत नहीं, बल्कि खुद पाकिस्तान हो सकता है। सोचकर ही डर लगता है।
अब तो बस यही उम्मीद की जा सकती है कि वे इस घटना से सबक लेंगे। वरना… खैर, अगली बार का नतीजा शायद इतना भाग्यशाली न हो।
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