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** “PM मोदी ने ब्रिटेन के साथ की बड़ी डील! क्या अमेरिका को दिया ये साफ संदेश?”

PM मोदी ने ब्रिटेन के साथ की बड़ी डील! क्या अमेरिका को दिया ये साफ संदेश?

अरे भाई, भारत ने फिर से वैश्विक व्यापार के चेसबोर्ड पर एक मास्टरस्ट्रोक खेल दिया है! प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने ब्रिटेन के साथ जो FTA साइन किया है, वो सिर्फ कागज पर दस्तखत नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत है। सच कहूं तो, ये डील 34 अरब डॉलर तक का व्यापार बढ़ाने की क्षमता रखती है – यानी हमारे exporters के लिए तो जैसे दिवाली और ईद एक साथ आ गई हो! लेकिन सवाल यह है कि क्या ये अमेरिका को ये बताने का तरीका है कि “देखो भई, हमारे पास options भी हैं”? चलिए, इस डील को गहराई से समझते हैं।

एक पुरानी दोस्ती, नई दिशा

देखिए न, भारत और ब्रिटेन का रिश्ता तो वैसे भी बहुत पुराना है – हमारे दादा-परदादा के ज़माने से। पर ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन को जैसे नए दोस्तों की तलाश हो गई। और हम? हम तो पिछले कुछ सालों से अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर की वजह से परेशान थे। ऐसे में ये FTA एक तरह से win-win स्थिति है। मजे की बात ये कि हमने अपनी चाल तो चल दी, अब बारी अमेरिका की है।

समझौते की बड़ी बातें: किसे मिलेगा फायदा?

असल में इस डील में कुछ ऐसे प्वाइंट्स हैं जो सुनकर लगता है कि “वाह! ये तो बहुत बढ़िया हुआ!”। पहली बात तो ये कि हमारे exporters को ब्रिटेन में टैरिफ में भारी छूट मिलेगी – फार्मा, टेक्सटाइल और IT सेक्टर वालों के तो होश उड़ गए होंगे! दूसरी तरफ, ब्रिटेन ने इंफ्रास्ट्रक्चर और renewable energy में निवेश बढ़ाने का वादा किया है। मतलब साफ है – जॉब्स, जॉब्स और जॉब्स! एक्सपर्ट्स का तो कहना है कि इससे लाखों रोजगार पैदा हो सकते हैं। सच में।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: तारीफ भी, आलोचना भी

अब जहां तक राजनीति की बात है, तो यहां भी दिलचस्प सीन है। एक तरफ तो हमारे कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल इसे “नए युग की शुरुआत” बता रहे हैं, वहीं विपक्ष के कुछ नेताओं को लगता है कि हमें अमेरिका पर फोकस करना चाहिए था। पर सच पूछो तो, क्या ये सही समय नहीं था अपने options diversify करने का? बिल्कुल सही समय था। और ब्रिटेन के PM ने तो इसे “मील का पत्थर” तक कह डाला!

भविष्य की रणनीति: अमेरिका पर क्या होगा असर?

अब सबसे ज्वलंत सवाल – क्या अमेरिका इससे प्रभावित होगा? देखिए, मेरा मानना है कि ये डील अमेरिका को एक साफ मैसेज देती है कि भारत अब सिर्फ एक ही बाजार पर निर्भर नहीं रहना चाहता। और तो और, हम EU और ऑस्ट्रेलिया के साथ भी बातचीत कर रहे हैं। अगर ये सब हो गया तो? फिर तो भारत वैश्विक व्यापार में एक बड़ा प्लेयर बन जाएगा। एकदम ज़बरदस्त!

आखिर में, ये कहना गलत नहीं होगा कि ये डील सिर्फ पैसे की बात नहीं है। ये भारत के वैश्विक प्रभाव को भी दर्शाता है। अब बस इंतज़ार है इस बात का कि अमेरिका इस संदेश को कैसे लेता है। क्या वो अपने रुख में नरमी लाएगा? वक्त बताएगा। पर एक बात तो तय है – भारत ने अपनी चाल चल दी है!

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देखिए, PM मोदी की ब्रिटेन के साथ हुई ये डील सिर्फ एक समझौता नहीं है – ये तो एक बड़ा संदेश है। अमेरिकी बाजार पर हमारी निर्भरता? कम होनी चाहिए, और ये डील उसी दिशा में एक स्मार्ट चाल है। ट्रंप प्रशासन को भी मिल गया होगा इशारा, है न?

असल में बात ये है कि ये डील सिर्फ कागजों पर हस्ताक्षर नहीं। भारत के लिए ये वैश्विक व्यापार में नए दरवाजे खोल सकती है। आर्थिक स्वावलंबन की बात करें तो… ये उसी तरह ज़रूरी कदम है जैसे किसी लंबी यात्रा में पहला कदम। छोटा लगे, पर दिशा तय कर दे।

एक तरफ तो ये भारत-ब्रिटेन रिश्तों को नई ऊर्जा देगा, वहीं दूसरी तरफ… देखा जाए तो ये हमारी अर्थव्यवस्था के लिए game-changer साबित हो सकता है। बस, अब देखना ये है कि इसका असर कितना और कब तक रहता है।

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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