गुजरात में केजरीवाल का दांव: क्या वाकई भाजपा को कहना पड़ेगा “बाय-बाय”?
अरे भाई, गुजरात की राजनीति में तो जैसे नया तूफ़ान आने वाला है! अरविंद केजरीवाल ने तो सीधे मैदान में उतरकर भाजपा को चुनौती दे डाली – “बाय-बाय भाजपा” का नारा देकर। सच कहूँ तो, ये वही केजरीवाल हैं जिन्होंने दिल्ली में तो जादू दिखाया, लेकिन गुजरात? यहाँ तो भाजपा का किला 30 साल से अटूट है। पर एक बात… पंजाब के CM भगवंत मान का वो वाक्य – “30 साल का हिसाब 30 मिनट में” – सुनकर लगता है जैसे कुछ तो गड़बड़ है।
देखिए न, गुजरात मोदी-शाह की जन्मभूमि है। यहाँ तो भाजपा का राज चलता आया है जैसे कोई सनातन सत्य हो। लेकिन… लेकिन! पिछले कुछ सालों में AAP ने यहाँ धीरे-धीरे अपनी जड़ें जमानी शुरू कर दी हैं। नगर निगम चुनावों में उनका प्रदर्शन तो किसी से छुपा नहीं है। असल में, केजरीवाल की रणनीति साफ़ है – रोज़गार, भ्रष्टाचार और स्थानीय मुद्दों को उठाकर युवाओं का दिल जीतना। और भई, ये तीनों ही मुद्दे आज के गुजरात में धधक रहे हैं।
रैली में केजरीवाल ने जो बातें कहीं, वो सीधे युवाओं के दिल में उतरने वाली थीं। भ्रष्टाचार के आरोप तो लगते ही रहते हैं, लेकिन रोज़गार का मसला? ये तो गुजरात के लिए सच में बड़ा सवाल बन चुका है। और हाँ, सबसे दिलचस्प बात – उन्होंने विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बारे में संकेत दिए! मतलब साफ़ है – AAP यहाँ लंबे खेल के लिए आई है। भगवंत मान का वो बयान तो सच में चौंकाने वाला था – “30 साल की गुमराही” वाला। क्या सच में गुजरात की जनता का मूड बदल रहा है?
अब प्रतिक्रियाएं तो आनी ही थीं। भाजपा वाले तो AAP के दावों को हवाई बता रहे हैं। उनका कहना है कि जनता तो भाजपा के विकास मॉडल पर भरोसा करती है। वहीं कांग्रेस… अरे भई, कांग्रेस तो AAP को “मीडिया स्टंट” बता रही है! मजे की बात ये कि जनता की प्रतिक्रिया भी कितनी अलग-अलग है। कुछ युवा AAP के वादों को गंभीरता से ले रहे हैं, तो कुछ का मानना है कि अभी कोई विकल्प नज़र नहीं आ रहा।
तो अब सवाल यह है – आगे क्या? राजनीतिक पंडितों की मानें तो AAP अपनी रैलियों को और तेज़ करेगी। स्थानीय नेताओं को साथ लेना उनकी बड़ी रणनीति हो सकती है। और भाजपा? वो तो अपना पूरा प्रचार तंत्र सक्रिय कर देगी। नई योजनाएँ, नए वादे – खासकर युवाओं और किसानों के लिए। 2024 के loksabha चुनाव से पहले गुजरात में यह टकराव तो देखने लायक होगा। एक बात तो तय है – अब गुजरात की राजनीति त्रिकोणीय होती जा रही है। और ये सिर्फ़ गुजरात नहीं, पूरे देश की राजनीति के लिए एक बड़ा संकेत हो सकता है। क्या आपको नहीं लगता?
अरे भाई, गुजरात की राजनीति में तो अरविंद केजरीवाल ने बम फोड़ दिया है! यह “बाय-बाय भाजपा” वाला बयान… सच कहूं तो मैंने ऐसा तीखा टोन किसी और से सुना हो, ऐसा याद नहीं आता। अब सवाल यह है कि क्या यह नारा सच में राज्य के सियासी खेल को पलट देगा? वक्त बताएगा। लेकिन इतना तो तय है – भाजपा वालों को यह चुनौती हल्के में लेने की गलती नहीं करनी चाहिए।
और सबसे मजेदार बात? अब देखना है कि गुजरात की जनता इस नए अंदाज को लेकर कितनी उत्साहित है। केजरीवाल की यह जंग… चलो, कम से कम दिलचस्प तो है ही। क्या पता, इस बार कुछ नया हो जाए!
गुजरात में केजरीवाल का दांव: क्या यह सच में भाजपा के लिए खतरे की घंटी है?
1. “बाय-बाय भाजपा” – केजरीवाल का यह बोल्ड स्टेटमेंट कितना realistic है?
देखिए, केजरीवाल को थोड़ा ड्रामा करना पसंद है – यह तो हम सब जानते हैं। लेकिन असल सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक नारा है या फिर AAP की गुजरात में सच में कोई गेम-प्लान है? मेरे ख्याल से, यह दोनों है। एक तरफ तो यह भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश है, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली और पंजाब में सफलता के बाद उनका आत्मविश्वास भी दिख रहा है। पर सच कहूं? गुजरात में भाजपा की जड़ें बहुत गहरी हैं।
2. AAP vs BJP: क्या यह मैच फिक्स्ड है या फिर सच में कोई competition हो सकता है?
अरे भाई, क्रिकेट की ही तरह राजनीति में भी कुछ भी पक्का नहीं होता! हां, भाजपा का गढ़ तो गुजरात है ही – यह तो बच्चा-बच्चा जानता है। लेकिन 2022 के बाद से AAP ने जिस तरह से यहां अपनी टीम बनाई है, उसे ignore करना मुश्किल है। फ्री बिजली, अच्छी शिक्षा – ये वो मुद्दे हैं जो middle class को attract करते हैं। पर हां, अभी तो यह सिर्फ warm-up है, असली मैच तो अभी बाकी है!
3. केजरीवाल की गुजरात strategy – क्या है इनका मास्टरप्लान?
ईमानदारी से कहूं तो इनकी strategy बिल्कुल साफ दिख रही है। दिल्ली मॉडल को ही गुजरात में पेश करना – free electricity, schools, hospitals। सीधी बात है न? पर यहां की जनता को convince करना इतना आसान नहीं। गुजरात का voter थोड़ा different है, थोड़ा more aware। केजरीवाल को यहां सिर्फ promises से काम नहीं चलेगा। एक तरह से देखा जाए तो यह उनके लिए biggest test होगा।
4. AAP vs BJP: असली लड़ाई किस मैदान में होगी?
अब यह तो दिलचस्प सवाल है! मेरे हिसाब से तीन main मुद्दे होंगे:
– पहला, development का मॉडल (गुजरात vs दिल्ली)
– दूसरा, corruption-free governance का दावा
– और तीसरा, youth को jobs देने का वादा
देखिए न, भाजपा ‘गुजरात मॉडल’ पर भरोसा करेगी, जबकि AAP ‘दिल्ली की सफल कहानियां’ सुनाएगी। पर सच तो यह है कि voter को result चाहिए – बस। चाहे वो किसी भी मॉडल से आए!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com