“बिहार चुनाव से पहले सिंघवी की चेतावनी: ‘खुद से गद्दारी होगी…’ जानिए क्या है पूरा मामला?”

बिहार चुनाव से पहले सिंघवी का बम: ‘खुद से गद्दारी होगी…’ पर क्या है पूरा ड्रामा?

अरे भई, बिहार की राजनीति में तो हमेशा मसाला बना रहता है! अभी चुनाव नजदीक आए नहीं कि कांग्रेस के धुरंधर अभिषेक मनु सिंघवी ने एक ऐसा बयान दे मारा जिसने सबकी नींद उड़ा दी। असल में बात ये है कि उन्होंने मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर ‘फ्रॉड’ का आरोप लगाया है। और तो और, धमकी भी दे डाली – अगर हालात नहीं सुधरे तो चुनाव बहिष्कार तक की नौबत आ सकती है! सच कहूं तो ये बयान ऐसा है जैसे राजनीतिक तालाब में पत्थर फेंक दिया हो।

आखिर क्या है पूरा गोरखधंधा?

देखिए न, बिहार में चुनावी रंगत तो चढ़ ही रही थी कि सिंघवी ने अचानक दावा कर दिया कि मतदाता सूची से करीब 2 करोड़ नाम… पफ्फ… गायब! यानी सीधे-सीधे लोकतंत्र की रीढ़ पर वार। अगर ये सच हुआ तो? सोचिए जनाब, ये तो वैसा ही है जैसे क्रिकेट मैच से ही आधे खिलाड़ियों को अंपायर बाहर कर दे!

मजे की बात ये कि ये कोई नया मामला भी नहीं है। 2015 के चुनावों में भी ऐसे ही आरोप उछले थे। सिंघवी तो यहां तक कह रहे हैं कि सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करके विपक्षी वोटरों को सूची से हटाया जा रहा है। पर सवाल ये उठता है – अगर ऐसा है तो फिर चुनाव आयोग क्या कर रहा है?

ताजा हालात: क्या चल रहा है अभी?

अभी तो सिंघवी ने पूरा डाटा ही पेश कर दिया है – 2 करोड़ नाम गायब! ये आंकड़ा इतना बड़ा है कि दिमाग घूम जाए। कांग्रेस ने तो अब दूसरे विपक्षी दलों को भी साथ लेने की कोशिश शुरू कर दी है। लेकिन चुनाव आयोग? वो तब तक चुप्पी साधे हुए है जब तक कि… शायद कोई बड़ा धरना-प्रदर्शन न हो जाए!

राजनीतिक रिएक्शन: कौन क्या बोला?

इस मामले में तो सबके अपने-अपने राग अलापने लगे हैं। कांग्रेस वाले तो पूरी तरह बैकअप दे रहे हैं। भाजपा? उनका कहना है – “ये सब फिजूल की बातें हैं!” RJD के तेजस्वी यादव भी अब मैदान में कूद पड़े हैं। उनका कहना है कि ये “लोकतंत्र के लिए खतरा” है। वहीं नीतीश कुमार सरकार ने चुनाव आयोग पर भरोसा जताया है। सच कहूं तो हर कोई अपनी-अपनी रोटी सेक रहा है!

अब आगे क्या? क्या होगा अगला मूव?

तो अब सवाल ये है कि ये ड्रामा किधर जाएगा? अगर विपक्ष एकजुट हो गया तो ये मामला कोर्ट तक पहुंच सकता है। या फिर सड़कों पर प्रदर्शन शुरू हो जाएंगे। कुछ एक्सपर्ट्स तो ये भी कह रहे हैं कि इसी बहाने चुनाव टल भी सकते हैं। पर ये तो वक्त ही बताएगा।

एक बात तो तय है – ये मामला सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहने वाला। पूरे देश में चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। अब देखना ये है कि चुनाव आयोग इस आग में घी डालता है या आग बुझाने की कोशिश करता है। क्योंकि जैसा कि हम सब जानते हैं – बिहार की राजनीति में कुछ भी हो सकता है!

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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