कॉपर की कीमतों में फिर उछाल! गोल्डमैन की चेतावनी – कमी होगी और गंभीर
परिचय
देखा जाए तो कॉपर के रेट इन दिनों आसमान छू रहे हैं। लंदन मेटल एक्सचेंज (LME) पर तो कॉपर ने 4 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। असल में, सप्लाई कम होने और स्टॉक तेजी से घटने की वजह से यह उछाल आया है। गोल्डमैन सैक्स ने भी रेड अलर्ट जारी कर दिया है – उनका कहना है कि आने वाले दिनों में कॉपर की किल्लत और बढ़ेगी। आज हम इसी मुद्दे पर गहराई से बात करेंगे – कारण, असर और आगे क्या हो सकता है।
कॉपर के दाम आसमान पर क्यों?
1. सप्लाई में दिक्कत
पूरी दुनिया में कॉपर के स्टॉक तेजी से घट रहे हैं। इसके पीछे कई वजहें हैं – कोविड की वजह से माइनिंग प्रभावित हुई, वर्कर्स की हड़तालें हुईं, कुछ देशों में राजनीतिक उठापटक चल रही है। मतलब साफ है – कॉपर की सप्लाई चेन पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।
2. डिमांड बढ़ना
ग्रीन एनर्जी और EVs का जमाना आ गया है, और इन सबमें कॉपर की खपत बेतहाशा बढ़ रही है। उधर, ग्लोबल इकोनॉमी के रिकवर होने और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स ने भी डिमांड को पंख लगा दिए हैं। नतीजा? सप्लाई-डिमांड का गैप बढ़ता जा रहा है।
3. निवेशकों का खेल
हेज फंड्स और बड़े Investors ने कॉपर को नया ‘हॉट कमोडिटी’ बना दिया है। कमोडिटी मार्केट में पैसा लगाने का क्रेज बढ़ा है, जिसका सीधा असर कॉपर के दामों पर पड़ रहा है। दरअसल, निवेशकों को लगता है कि आने वाले सालों में कॉपर की डिमांड और बढ़ेगी – इसलिए वे अभी से पोजीशन ले रहे हैं।
गोल्डमैन की चेतावनी: क्या है मामला?
1. सप्लाई क्राइसिस गहराएगा
गोल्डमैन के Experts का मानना है कि अगले कुछ सालों में कॉपर की कमी और भयानक रूप ले सकती है। नई माइनिंग प्रोजेक्ट्स में देरी और नए भंडार न मिल पाने की स्थिति में तो हालात और खराब होंगे। उनकी राय में, अगर जल्द कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति हाथ से निकल सकती है।
2. दामों पर क्या असर?
शॉर्ट-टर्म में तो कॉपर के दाम और चढ़ सकते हैं। लॉन्ग-टर्म में हाई प्राइसेस नए निवेश को आकर्षित कर सकती हैं, जिससे सप्लाई सुधर सकती है। पर फिलहाल तो यह उछाल थमता नहीं दिख रहा।
इस उछाल के क्या होंगे नतीजे?
1. इंडस्ट्री पर मार
कंस्ट्रक्शन, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो सेक्टर को सीधा झटका लगेगा। प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ने से इन उद्योगों का मार्जिन प्रभावित होगा। आखिरकार यह बोझ Consumers पर ही पड़ेगा – उन्हें महंगे प्रोडक्ट्स खरीदने पड़ेंगे।
2. ग्लोबल इकोनॉमी पर दबाव
कॉपर की बढ़ती कीमतें इन्फ्लेशन को और हवा दे सकती हैं। इससे सेंट्रल बैंक्स को अपनी Monetary Policy टाइट करनी पड़ सकती है। डेवलपिंग कंट्रीज के लिए तो यह दोहरी मार होगी, क्योंकि कई देशों के लिए कॉपर एक प्रमुख एक्सपोर्ट आइटम है।
आगे की राह: निवेशक क्या करें?
1. फ्यूचर ट्रेंड्स
ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन के चलते कॉपर की डिमांड लगातार बढ़ेगी। सप्लाई चेन को दुरुस्त करने के लिए टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन्स की भूमिका अहम होगी। Companies को Sustainable Mining Practices अपनाने होंगे, तभी भविष्य में ऐसे संकटों से बचा जा सकेगा।
2. निवेश के टिप्स
इन्वेस्टर्स कॉपर फ्यूचर्स और ETFs में पैसा लगाकर इस रैली का फायदा उठा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे – डायवर्सिफिकेशन और रिस्क मैनेजमेंट को नजरअंदाज न करें। Experts की सलाह है कि लॉन्ग-टर्म View के साथ ही निवेश करें।
आखिरी बात
कॉपर की यह कीमती उछाल असल में सप्लाई-डिमांड के असंतुलन की देन है। इंडस्ट्रीज और निवेशकों को इसके प्रभावों के लिए तैयार रहना होगा। भविष्य में Sustainable Solutions और टेक्नोलॉजी ही इस समस्या का समाधान हो सकती हैं।
Source: Livemint – Markets | Secondary News Source: Pulsivic.com