ट्रंप की यह जिद: पॉवेल को हटाने की मांग पर क्या है असली मामला?
अरे भई, डोनाल्ड ट्रंप फिर से वही कर रहे हैं जो उन्हें आता है – Federal Reserve के चेयरमैन जेरोम पॉवेल को निशाना बनाना। पर सवाल यह है कि यह सब अचानक क्यों? असल में ट्रंप का नया आरोप तो सुनिए – वो कह रहे हैं पॉवेल “स्वतंत्र” नहीं हैं और उनके फैसले राजनीति से प्रभावित होते हैं। अब ये कोई मामूली बात नहीं, क्योंकि Federal Reserve की एक छोटी सी घोषणा भी दुनिया भर के बाजारों को हिला देती है। सच कहूं तो यह मामला वॉल स्ट्रीट से लेकर हमारे देश के शेयर बाजार तक को प्रभावित कर सकता है।
क्या आप जानते हैं? पॉवेल को ट्रंप ने ही बनाया था चेयरमैन!
यहां तो इरोनी ही इरोनी है दोस्तों। 2018 में खुद ट्रंप ने पॉवेल को यह पद दिया था। शुरू-शुरू में तो दोनों का रिश्ता शहद-शक्कर जैसा था। लेकिन जब Federal Reserve ने ब्याज दरें बढ़ानी शुरू कीं… बस फिर क्या था! ट्रंप को लगा यह उनकी आर्थिक नीतियों के खिलाफ जा रहा है। उनका तो सीधा सा लॉजिक था – “कम ब्याज दर = अर्थव्यवस्था को बूस्ट”। पर पॉवेल ने महंगाई को देखते हुए अपना स्टैंड बनाया। और यहीं से शुरू हुई यह टकराहट जो अब पूरी तरह खुल गई है।
ट्रंप का नया हमला: “पॉवेल Democrats के पक्ष में हैं!”
हाल ही के एक इंटरव्यू में तो ट्रंप ने सीधे-सीधे कह दिया कि पॉवेल को हटाया जाना चाहिए। उनका आरोप? “ये तो Democrats के एजेंडे पर काम कर रहे हैं!” अब यह बयान ऐसे समय में आया है जब 2024 के चुनावों की गहमागहमी शुरू हो चुकी है। मजे की बात यह कि Federal Reserve की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। शायद वो “नो कमेंट” वाली नीति पर चल रहे हैं।
अमेरिका में क्या चल रहा है इस पर बहस?
देखिए, इस मामले पर अमेरिका में दो धड़े साफ नजर आ रहे हैं:
- Republicans का एक हिस्सा ट्रंप के साथ है
- जबकि दूसरे लोग कह रहे हैं Federal Reserve को स्वतंत्र रहना चाहिए
Democrats तो बिल्कुल clear हैं – उनका कहना है यह ट्रंप की “कंट्रोल फ्रीक” वाली आदत है। और अर्थशास्त्रियों की बात करें तो ज्यादातर का मानना है कि Federal Reserve की आजादी अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है। बिल्कुल वैसे ही जैसे RBI का स्वतंत्र होना हमारे लिए जरूरी है।
आगे क्या हो सकता है? एक संभावित परिदृश्य
मान लीजिए 2024 में ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बन जाते हैं। तब? तब तो वो पॉवेल को हटाने की पूरी कोशिश करेंगे। पर यह इतना आसान नहीं होगा। Federal Reserve की स्वतंत्रता अमेरिकी व्यवस्था का बेसिक स्ट्रक्चर है। कांग्रेस और कोर्ट भी इसमें दखल दे सकते हैं। सच तो यह है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की नौकरी का मामला नहीं, बल्कि पूरी अमेरिकी आर्थिक प्रणाली के मूल सिद्धांतों का सवाल है।
इस ड्रामे का अगला एपिसोड क्या होगा? हम आपको लगातार अपडेट करते रहेंगे। कमेंट्स में बताइए आपकी राय क्या है!
ट्रंप vs फेडरल रिजर्व: जेरोम पॉवेल को हटाने की मांग पर बवाल – जानिए पूरा माजरा
अरे भाई, अमेरिकी राजनीति का ये नया ड्रामा देख रहे हो? ट्रंप साहब फिर से सुर्खियों में हैं, और इस बार निशाने पर है फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल। पर सवाल यह है कि आखिर ट्रंप को पॉवेल से इतनी खार क्यों है? चलिए, बात करते हैं…
1. ट्रंप का पॉवेल पर इतना गुस्सा – क्या बात है?
देखिए, मामला सीधा-सा है। ट्रंप को लगता है कि पॉवेल ने interest rates बढ़ाकर उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया। वो तो चाहते थे कि फेड उनकी economic growth plans को पूरी तरह सपोर्ट करे, पर पॉवेल ने अपने तरीके से काम किया। और यहीं से शुरू हुई टकराहट।
एक तरफ तो ट्रंप चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था रॉकेट की तरह उड़े, वहीं पॉवेल जैसे लोग स्थिरता को तरजीह देते हैं। समझदारी की बात है, लेकिन ट्रंप को यह रास नहीं आई।
2. क्या सिर्फ interest rates ही मुद्दा है?
अरे नहीं भाई! यह तो सिर्फ शुरुआत है। असल में ट्रंप को पॉवेल की पूरी working style ही नहीं भाई। फेड की जो independence है, वो ट्रंप को हजम नहीं हो रही। 2020 election से पहले जब ट्रंप को पूरी तरह सपोर्ट की जरूरत थी, पॉवेल ने अपनी ही चाल चली। और यही बात ट्रंप को चुभ गई।
3. क्या ट्रंप सच में पॉवेल को हटा सकते हैं?
यहीं तो मजा आता है! दावा तो बड़ा-बड़ा कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि फेडरल रिजर्व कोई ट्रंप की personal property नहीं है। कानूनन, President का यहां कोई दखल नहीं। चेयरमैन को तभी बदला जा सकता है जब उनका term खत्म हो, और वो भी Senate की मंजूरी के बाद।
सीधे शब्दों में कहें तो – ट्रंप की यह धमकी सिर्फ दिखावा है। Legal तौर पर possible ही नहीं।
4. अगर पॉवेल जाएंगे तो कौन आएगा?
अब यह सवाल दिलचस्प है! ट्रंप तो ऐसे व्यक्ति को चाहेंगे जो उनकी low-interest-rate policies का समर्थक हो। Judy Shelton और Kevin Warsh जैसे नाम चर्चा में हैं, जो ट्रंप के विचारों के करीब माने जाते हैं।
पर याद रखिए, यह सब अटकलें हैं। फेड की अपनी प्रक्रिया है, और ट्रंप चाहकर भी वहां ज्यादा दखल नहीं दे सकते। कम से कम कानून तो यही कहता है।
तो क्या सोचते हो? क्या ट्रंप इस बार भी अपने तरीके से काम करवा पाएंगे, या फेड की independence उनके रास्ते की रुकावट बनी रहेगी? कमेंट में बताइएगा जरूर!
Source: NY Post – Business | Secondary News Source: Pulsivic.com