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ड्रोन विंगमैन, स्टील्थ और AI: भारतीय जेट्स में ‘गूगल जैसा दिमाग’, नए युग की जंग के उड़ते शैतान!

ड्रोन विंगमैन, स्टील्थ और AI: भारतीय जेट्स में ‘गूगल जैसा दिमाग’, या फिर कुछ और?

अरे भाई, आजकल के फाइटर जेट्स सिर्फ तेज़-तर्रार मशीनें नहीं रह गए हैं। सच कहूं तो, ये तो उड़ते हुए सुपरकंप्यूटर हैं! हमारी भारतीय वायुसेना में शामिल हो रहे ये ड्रोन विंगमैन और AI-चालित स्टील्थ जेट्स देखकर लगता है जैसे कोई साइंस फिक्शन फिल्म का सीन हो। पर नहीं, यह असली है। और यही तो खास बात है।

सोचिए, एक ऐसा विमान जो न सिर्फ दुश्मन को चकमा दे सकता है, बल्कि खुद सोच-समझकर फैसले ले सकता है। जैसे आपके फोन में Google Assistant होता है, वैसे ही इनमें… पर नहीं, ये तो उससे कहीं ज्यादा स्मार्ट हैं! क्या आप जानते हैं कि ये कैसे काम करते हैं? चलिए, एक कप चाय की चुस्की लेते हुए समझते हैं।

डिज़ाइन का जादू: कैसे गायब हो जाते हैं ये जेट्स?

देखिए न, स्टील्थ तकनीक की बात करें तो ये विमान रडार के लिए वैसे ही हैं जैसे आपके घर की छिपकली – दिखती तो है, पर पकड़ में नहीं आती। इनकी बनावट ही कुछ ऐसी है।

एक तरफ तो इनके एंगल्ड पैनल्स रडार की नज़रों से बचाते हैं, वहीं दूसरी तरफ इन पर लगी खास कोटिंग्स सिग्नल्स को सोख लेती हैं। और भईया, कार्बन फाइबर की बात ही कुछ और है – हल्का पर मजबूत, जैसे आपके जिम वाले प्रोटीन शेक!

सबसे मजेदार बात? एक ही जेट को अलग-अलग कामों के लिए ढाला जा सकता है। जैसे आपका स्मार्टफोन – कभी कैमरा, कभी गेमिंग डिवाइस। बस फर्क इतना कि ये जेट जानलेवा खेल खेलते हैं।

कॉकपिट: जहां पायलट बन जाता है सुपरहीरो

अब बात करते हैं कॉकपिट की। भई, ये तो स्टार वॉर्स की फिल्मों जैसा लगता है! HMDS (यानी हेल्मेट माउंटेड डिस्प्ले) तो कमाल की चीज़ है – जैसे आपके VR हेडसेट, पर जान बचाने वाला।

और वो 360-डिग्री व्यू? सच बताऊं, पहली बार देखकर तो मुझे भी यकीन नहीं हुआ। ऐसा लगता है जैसे विमान का पूरा शरीर ही आंख बन गया हो। AI की मदद से पायलट को हर तरफ की जानकारी मिलती है – बिल्कुल उस मकड़ी की तरह जिसके आसपास आठ आंखें हों!

परफॉर्मेंस: जहां विज्ञान कथा बन जाती है हकीकत

थ्रस्ट-वेक्टरिंग के बारे में सुना है? ये तकनीक विमान को वैसे ही मोड़ देती है जैसे आपका स्मार्टफोन ऑटो-रोटेट करता है। बस इतना फर्क कि यहां जीवन-मरण का सवाल होता है।

पर असली मज़ा तो AI में है। ये जेट्स सीखते हैं, समझते हैं, और फैसले लेते हैं। जैसे आपका फोन आपकी आदतें समझ लेता है, वैसे ही ये दुश्मन की आदतें पकड़ लेते हैं। और हां, सॉफ्टवेयर अपडेट? जी हां, ये भी होता है – मिड-एयर में ही!

सेंसर्स: जो देख लेते हैं अंधेरे में भी

इन जेट्स की ‘आंखें’ तो किसी चमत्कार से कम नहीं। रात के अंधेरे में भी ये देख सकते हैं – बिल्कुल उस बिल्ली की तरह जो अंधेरे में भी चूहे को देख लेती है।

AI टारगेटिंग सिस्टम तो और भी कमाल का है। एक साथ कई निशाने, और हर एक पर पूरी नज़र। जैसे आप व्हाट्सएप पर पांच चैट एक साथ चला लेते हैं, वैसे ही ये जेट्स!

भविष्य: जहां विमान खुद उड़ेंगे

आने वाले दिनों में तो ये और भी स्मार्ट हो जाएंगे। हाइब्रिड पावर से लेकर पूरी तरह स्वायत्त (autonomous) उड़ान तक। सोचिए, एक दिन पायलट सिर्फ निगरानी करेगा – जैसे आप अपने सेल्फ-ड्राइविंग कार में बैठे हों!

अंत में बस इतना कहूंगा – भारत अब रक्षा तकनीक में पूरी दुनिया को टक्कर दे रहा है। और ये जेट्स इसका सबूत हैं। क्या आपको नहीं लगता कि हमारा देश वाकई नई ऊंचाइयों को छू रहा है? सोचिएगा ज़रूर…

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भारतीय जेट्स में ड्रोन विंगमैन और AI का कॉम्बिनेशन… सच कहूं तो यह सिर्फ तकनीकी अपग्रेड नहीं, बल्कि पूरी तरह से गेम-चेंजर है! अब सोचिए, स्टील्थ टेक्नोलॉजी के साथ ये ‘उड़ते शैतान’ (जिन्हें मैं गूगल के दिमाग वाले ड्रोन कहना पसंद करूंगा) क्या-क्या कर सकते हैं? है ना दिलचस्प?

एक तरफ तो यह हमारी वायु सेना को बेमिसाल बना रहा है, वहीं दूसरी तरफ… असल में देखा जाए तो यह पूरी जंग के तरीके को ही बदल देगा। मानो कोई चेस का गेम हो और हमने अचानक क्वीन को उड़ने की क्षमता दे दी हो। सच में!

और यह तो बस शुरुआत है। जैसे-जैसे ये टेक्नोलॉजीज आगे बढ़ेंगी… हालांकि मुझे लगता है कि हम अभी इसके असली पावर का अंदाजा भी नहीं लगा पा रहे। क्या आपको नहीं लगता?

ड्रोन विंगमैन और AI-Powered जेट्स – जानिए वो सब जो आप जानना चाहते हैं!

ड्रोन विंगमैन: जेट्स का वो ‘साइडकिक’ जिसके बारे में सब बात कर रहे हैं

देखिए, अगर आसान भाषा में कहें तो ड्रोन विंगमैन वो ‘विंगमैन’ है जो आपके फेवरेट सुपरहीरो मूवी में होता है। असल में ये एक autonomous drone है जो हमारे fighter jets के साथ उड़ेगा। मजे की बात? ये कोई साधारण ड्रोन नहीं है। सोचिए जैसे आपके फोन में Google Assistant होता है, वैसे ही ये real-time में data analyze करेगा, threats को पहचानेगा और पायलट की मदद करेगा। कमाल है न?

सवाल तो यह उठता है – क्या यह सच में radar को चकमा दे पाएगा?

अरे भई, बिल्कुल! ये नई स्टील्थ टेक्नोलॉजी तो जैसे किसी साइंस फिक्शन मूवी से निकलकर आई है। ये न सिर्फ radar signals को सोख लेगी (absorb), बल्कि उन्हें गुमराह भी करेगी (deflect)। और तो और, advanced materials और AI-powered evasion tactics की मदद से ये दुश्मन के radar systems को पूरी तरह confuse कर देगी। एक तरह से कहें तो ये टेक्नोलॉजी ‘छुपन-छुपाई’ का अगला लेवल है!

AI जेट्स का ‘दिमाग’: कितना स्मार्ट है ये सिस्टम?

ईमानदारी से कहूं तो ये वाकई कमाल का है। हमारे जेट्स में जो AI लग रहा है, वो Google जैसी कंपनियों के स्तर का है। Neural networks और machine learning पर काम करता ये सिस्टम combat situations में सेकंड के हज़ारवें हिस्से में फैसले ले सकता है। सोचिए – ये दुश्मन के movements को predict करेगा, और पायलट को best possible options सुझाएगा। लगभग वैसे ही जैसे आपके फोन का predictive text काम करता है, बस थोड़ा… हजार गुना ज्यादा एडवांस्ड!

सबसे बड़ा सवाल: यह टेक्नोलॉजी ‘मेड इन इंडिया’ है या नहीं?

तो दोस्तों, यहां कहानी थोड़ी दिलचस्प है। एक तरफ तो हमारे DRDO और कुछ private companies ने इसमें बड़ा योगदान दिया है। लेकिन दूसरी तरफ, कुछ बेहद एडवांस्ड सिस्टम्स के लिए हमें विदेशी तकनीक की मदद लेनी पड़ी। पर अच्छी खबर ये है कि Make in India initiative के तहत अब ज्यादा से ज्यादा चीजें यहीं बन रही हैं। थोड़ा धैर्य रखिए, एक दिन हम पूरी तरह आत्मनिर्भर हो ही जाएंगे!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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