bihar 65 lakh voters cut first phase complete 20250727173024168464

बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम कटने की तैयारी! नई वोटर लिस्ट का पहला चरण पूरा, जानें पूरी खबर

बिहार में 65 लाख वोटरों का नाम गायब होने वाला है? चौंकाने वाली खबर, पर असलियत क्या है?

अरे भई, बिग ब्रेकिंग न्यूज है यार! बिहार की वोटर लिस्ट से करीब 65 लाख नाम कटने वाले हैं। सुनकर हैरान हुए न? मैं भी हुआ था। लेकिन चलिए पूरी कहानी समझते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने Special Intensive Revision का पहला चरण पूरा कर लिया है – जिसमें 25 जुलाई तक offline और online आवेदन लिए गए थे। अब 1 अगस्त को ड्राफ्ट लिस्ट आएगी… और उसमें ये बड़ी कटौती देखने को मिल सकती है। सच कहूं तो, 2025 के चुनाव को देखते हुए ये मामला राजनीतिक भूचाल ला सकता है।

आखिर क्यों हो रहा है ये सब?

देखिए, हर साल वोटर लिस्ट अपडेट होती है – नए नाम जुड़ते हैं, पुराने हटते हैं। लेकिन इस बार? Special Intensive Revision चल रहा है। मकसद? डुप्लीकेट, गलत या मृत मतदाताओं को हटाना। पर सच्चाई ये है कि पिछली बार भी जब ऐसा हुआ था, तो विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया था। उनका कहना था – “सरकार अपने विरोधियों के वोटर हटवा रही है!” हालांकि, निर्वाचन आयोग का दावा है कि सब कुछ ट्रांसपेरेंट है। सवाल ये है कि किस पर यकीन करें?

क्या-क्या बदलाव आने वाले हैं?

तो 1 अगस्त को जो ड्राफ्ट आएगा, उसमें दो चीजें होंगी:
1. नए वोटरों की लिस्ट
2. वो नाम जिन्हें काटा जा सकता है

अधिकारियों के मुताबिक, ज्यादातर डुप्लीकेट एंट्री वाले या गलत जानकारी वाले लोगों के नाम जाएंगे। लेकिन… और ये बड़ा लेकिन है… अगर किसी का नाम गलती से कट गया तो? उनके पास आपत्ति दर्ज कराने का मौका होगा। फाइनल लिस्ट अक्टूबर तक आ जाएगी।

राजनीति गरमाई तो है, पर जनता क्या कहती है?

यहां दोनों तरफ के तर्क हैं। एक तरफ आयोग कह रहा है कि ये जरूरी सफाई है। दूसरी तरफ विपक्ष का आरोप – “ये तो चुनावी खेल है!” असली चिंता तो आम जनता की है। कई लोग डरे हुए हैं कि कहीं उनका नाम गलती से न हट जाए। समझ सकते हैं न? वोटिंग का अधिकार तो बेसिक राइट है।

आगे क्या होगा? चुनाव पर क्या असर पड़ेगा?

पूरी प्रक्रिया कुछ ऐसी है:
1. 1 अगस्त – ड्राफ्ट लिस्ट
2. आपत्तियां दर्ज होंगी
3. अक्टूबर – फाइनल लिस्ट

अगर सच में इतने नाम कटे तो? 2025 के चुनाव का पूरा समीकरण बदल सकता है। ये सिर्फ प्रशासनिक मामला नहीं, बल्कि राजनीतिक भूकंप का संकेत है। देखना ये है कि आने वाले दिनों में ये मुद्दा कितना गरमाता है।

खबर पर नजर रखिएगा! क्योंकि ये सिर्फ 65 लाख नामों की बात नहीं… ये 65 लाख वोटों की बात है। और बिहार में? वोट बैंक तो राजनीति की जान है!

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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