“ओवैसी का बयान – पाकिस्तान टेरेरिज्म और चीन से बात करने की मांग पर ज्वलंत सवाल!”

ओवैसी का बयान: पाकिस्तान और चीन पर सवाल, या फिर सियासी चाल?

अरे भाई, भारतीय राजनीति में बोरियत कभी होती ही नहीं! अभी कल की ही बात है, असदुद्दीन ओवैसी साहब ने फिर से लोकसभा में ऐसा बयान दिया कि सबके होश उड़ गए। हैदराबाद के ये सांसद और AIMIM प्रमुख जब भी माइक पकड़ते हैं, कुछ न कुछ विवाद तो पैदा करते ही हैं। इस बार? पाकिस्तान के आतंकवाद और चीन से सीधी बातचीत की मांग पर जमकर तंज कसा। सच कहूं तो, उनका ये भाषण सुनकर मुझे लगा – यार ये तो वही पुराना ओवैसी है, बस नए अंदाज में!

सर्जिकल स्ट्राइक की तारीफ… पर सवाल भी?

देखिए न, 2016 का वो ऑपरेशन सिंदूर याद है ना? जब हमारी सेना ने पाकिस्तान में घुसकर जवाबी कार्रवाई की थी। ओवैसी ने उसकी तारीफ तो की… पर साथ ही एक ऐसा सवाल उछाला जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया। उनका कहना था – “भई, एक सैन्य कार्रवाई अच्छी बात है, लेकिन क्या ये आतंकवाद का परमानेंट सॉल्यूशन है?” सच कहूं तो ये सवाल मेरे दिमाग में भी कई बार आया है।

और हां, चीन वाला मामला तो और भी दिलचस्प है। ओवैसी साहब ने सीधे पूछा – “जब चीन पाकिस्तान को हर मोर्चे पर सपोर्ट कर रहा है, तो क्या हमारी सरकार चीन से सीधी बात करने को तैयार है?” अब ये सवाल तो वाकई में विदेश मंत्रालय के लिए सिरदर्द बन गया है।

लोकसभा में झड़प: क्या कहा ओवैसी ने?

संसद में उनका भाषण सुनकर तो लगा जैसे बम फट गया हो! उन्होंने कहा – “आतंकवाद के खिलाफ बातचीत? नहीं भई, सख्त जवाब ही एकमात्र रास्ता है।” पर साथ ही सरकार पर ये तीर भी चलाया – “सर्जिकल स्ट्राइक का जश्न मनाना अच्छा है, पर असली सवाल तो ये है कि आतंकवाद का स्थायी इलाज क्या है?” सच बताऊं? ये सवाल मेरे जैसे आम आदमी के मन में भी उठता है।

चीन पर तो उनकी टिप्पणी और भी तीखी थी। मजे की बात ये कि उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री मोदी को टारगेट किया। पूछा – “क्या हमारी सरकार चीन से पाकिस्तान के आतंकवाद पर बात करने को तैयार है?” अरे भाई, ये तो सीधे विदेश नीति पर सवाल था!

राजनीति गरमाई: किसने क्या कहा?

इस बयान के बाद तो राजनीतिक माहौल गरमा गया। भाजपा वाले तो झट से बोले – “ये तो देश की एकता के खिलाफ साजिश है!” वहीं कांग्रेस ने कहा – “सरकार को इन सवालों का जवाब देना चाहिए।” और सोशल मीडिया? अरे वहां तो #OwaisiVsModi ट्रेंड करने लगा। कुछ लोग उनके सवालों को सही ठहरा रहे थे, तो कुछ कह रहे थे – “ये सब तो नाटक है!”

मेरा मानना? देखिए, राजनीति में हर बयान का अपना एजेंडा होता है। पर क्या ओवैसी के ये सवाल वाजिब हैं? शायद हां। क्योंकि आखिरकार, आतंकवाद जैसे मुद्दे पर सवाल उठाना हर नागरिक का अधिकार है।

आगे क्या? सरकार का अगला कदम

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि सरकार इस पर क्या रिएक्ट करेगी? क्या जवाब देगी या चुप्पी साध लेगी? मेरे ख्याल से तो ये मुद्दा और लंबा खिंचेगा, क्योंकि सेना और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर बहस तो होनी ही चाहिए।

एक बात तो तय है – ओवैसी ने अपना राजनीतिक एजेंडा तो आगे बढ़ा ही लिया। अब देखना ये है कि ये उन्हें मुस्लिम वोट बैंक में और मजबूती देगा या फिर विवाद में फंसाएगा। पर इतना जरूर है – इस बयान ने देश की सुरक्षा नीति पर नई बहस जरूर छेड़ दी है। और हां, जब तक पाकिस्तान से आतंकवाद का खतरा रहेगा, ऐसे सवाल उठते रहेंगे। सच ना?

अंत में बस इतना कहूंगा – राजनीति में हर बयान का अपना मतलब होता है। पर कभी-कभी सवाल पूछना भी जरूरी होता है। चाहे वो ओवैसी ही क्यों न पूछे!

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Owaisi का यह बयान, सच कहूं तो, एक बार फिर वही पुरानी बहस को जिंदा कर दिया है। पाकिस्तानी terrorism और China के साथ बातचीत की बात… सुनते ही दिमाग में सवाल आता है – क्या यह सच में हमारे राष्ट्रीय हित में होगा? या फिर यह सिर्फ़ एक political stunt है? देखा जाए तो, इस मुद्दे पर दो तरह की राय है। एक तरफ वो लोग हैं जो इसे diplomacy का जरूरी हिस्सा मानते हैं। लेकिन दूसरी तरफ… वो हैं जो इसे देश की एकता के साथ खिलवाड़ समझते हैं। असल में, यह debate इतनी सरल नहीं है जितनी दिखती है। एक बयान से कहीं आगे की बात है। भारत के लिए…

और सच पूछो तो, यह सिर्फ़ national security का मामला भी नहीं है। यहां पर हमारी पूरी राजनीतिक संस्कृति दांव पर लगी हुई है। क्या आपको नहीं लगता?

ओवैसी का बयान – पाकिस्तान टेरेरिज्म और चीन से बात करने की मांग पर ज्वलंत सवाल! – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. ओवैसी ने पाकिस्तान और चीन से बात करने की मांग क्यों की है?

सवाल दिलचस्प है। ओवैसी जी का तर्क सीधा है – बिना बातचीत के कोई रास्ता नहीं। खासकर जब बात टेरेरिज्म और बॉर्डर जैसे नाजुक मुद्दों की हो। पर सच कहूं तो, ये बात हर किसी को पचती नहीं। एक तरफ तो डायलॉग की बात समझ आती है, दूसरी तरफ सवाल उठता है – क्या सच में ये काम करेगा?

2. क्या ओवैसी का यह बयान देश की सुरक्षा के खिलाफ है?

अरे भई, यहां तो दो अलग-अलग कैम्प खड़े हो गए हैं। एक तरफ वो लोग जो इसे देशद्रोह बता रहे हैं। दूसरी तरफ ओवैसी खुद कह रहे हैं कि वो तो शांति की बात कर रहे हैं। सच्चाई? शायद बीच में कहीं है। जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही इस मामले में भी दोनों तरफ के तर्क सुनने लायक हैं।

3. पाकिस्तान के साथ बातचीत करने से टेरेरिज्म कम होगा?

ओवैसी जी का मानना है कि हां, बिल्कुल। उनकी लॉजिक है – बातचीत से तनाव कम होगा, फिर टेरेरिज्म पर लगाम लगेगी। लेकिन यहां एक बड़ा ‘पर’ है। हमारे सेना के जवानों का खून बहाने वाले पाकिस्तान पर भरोसा करें? मुश्किल सवाल है। इतिहास गवाह है कि उनका ट्रैक रिकॉर्ड… खैर, आप समझ ही गए होंगे।

4. चीन के साथ बातचीत करने से क्या फायदा होगा?

देखिए, चीन के साथ तो बातचीत के बिना चलता ही नहीं। बॉर्डर हो या ट्रेड, हर मुद्दे पर तो बैठना ही पड़ता है। ओवैसी की बात में दम है – समस्या तभी सुलझेगी जब दोनों तरफ से कोशिश होगी। पर सवाल ये है कि क्या चीन वाकई में समाधान चाहता है? या फिर वो तो अपना खेल खेल रहा है? जवाब आपके पास हो तो बताइएगा!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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